खड़गे ने राज्यसभा में वाजपेयी की राज धर्म टिप्पणी का आह्वान किया, भाजपा सदस्यों ने विरोध किया
राज्यसभा में बुधवार को नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने 2002 के गुजरात दंगों के बाद तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की 'राज धर्म' टिप्पणी का जिक्र किया। इस पर सत्ता पक्ष एवं विपक्ष के बीच सदन में तीखी नोकझोंक हुई और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सदस्यों ने आरोप लगाया कि खरगे ने पूर्व प्रधानमंत्री की टिप्पणी को अपनी सुविधा के हिसाब से आंशिक रूप से उद्धृत किया है। केंद्रीय मंत्रियों पीयूष गोयल और निर्मला सीतारमण ने खरगे की टिप्पणियों का विरोध किया।
खरगे ने उच्च सदन में राष्ट्रपति अभिभाषण पर पेश धन्यवाद प्रस्ताव पर हुई चर्चा में भाग लेते हुए कहा, ‘‘वाजपेयी जी ने अहमदाबाद में कहा था कि सांप्रदायिक हिंसा से विदेशों में भारत की छवि खराब हुई है... क्या मुंह लेकर विदेश जाऊंगा, राज धर्म का पालन नहीं हुआ।'' सदन के नेता पीयूष गोयल ने खरगे की टिप्पणी का प्रतिवाद करते हुए कहा कि वाजपेयी कांग्रेस शासन काल के दौरान हुए दंगों से परेशान थे।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने हस्तक्षेप करते हुए कहा कि खरगे को पूरा बयान उद्धृत करना चाहिए था और वाजपेयी के भाषण का हिस्सा इस वाक्य से खत्म होता है, ‘‘यही तो अभी राज धर्म पालन कर रहे हैं।'' विपक्ष के सदस्यों ने वित्त मंत्री के बयान पर आपत्ति जताई और मांग की कि उन्हें अपनी बात को सत्यापित करनी चाहिए। राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने नेता प्रतिपक्ष खरगे और वित्त मंत्री को अपनी बातों को सत्यापित करने को कहा। खरगे ने एक समाचार पत्र की प्रति दिखायी लेकिन सभापति ने कहा कि समाचार पत्र की रिपोर्ट दस्तावेजों का विकल्प नहीं हैं।
खरगे ने कहा कि विकास के गुजराज मॉडल की खूब चर्चा होती है और वही शिशु मृत्यु दर और कुपोषण के मामले में राज्यों की सूची में निचले पायदान पर है। उन्होंने कहा कि नीति आयोग और हार्वर्ड की रिपोर्ट के अनुसार विभिन्न स्वास्थ्य संकेतकों के अनुसार गुजरात सबसे नीचे है। उन्होंने कहा कि यह स्थिति तब है जबकि मोदी करीब 13.5 साल तक गुजरात के मुख्यमंत्री रहे और नौ साल से प्रधानमंत्री हैं। उन्होंने कहा कि उससे पहले भी राज्य में भाजपा की सरकार थी।