जाने पेट्रोल और डीजल इंजन कैसे एक दूसरे से है अलग ! क्या हैं इनके नुकसान और फायदे
वाहनों में अब ईंधन के कई विकल्प आने लगे हैं. लेकिन इसके बाद भी पेट्रोल और डीज़ल, इसके मुख्य ईंधन बने हुए हैं. बिना ईंधन के वाहन का कोई मतलब नहीं है. चाहे वह कितना भी महंगा क्यों न हो. वाहन में फ्यूल की खपत इंजन के आधार पर होती है. इसीलिए हम आज आपको पेट्रोल और डीज़ल इंजन में अंतर को बताने जा रहे हैं.
पेट्रोल इंजन
पेट्रोल इंजन Isochoric और Isentropic तकनीक पर काम करता है. इस इंजन में पेट्रोल और हवा का मिश्रण Carburetor में होता है. यहां से हवा और पेट्रोल का ये मिश्रण सिलेंडर में चला जाता है. इस इंजन में पहले हवा और पेट्रोल Compressed होता है, इसके बाद फ्यूल Electric Spark के ज़रिए प्रज्वलित होता है. पेट्रोल और हवा के मिश्रण में हवा का औसत ज्यादा होता है. इस तरह पेट्रोल इंजन को पावर सप्लाई मिलती है.
डीज़ल इंजन
इस इंजन में इंजेक्टर का प्रयोग होता है. इसमें इंजेक्टर के जरिये पहले डीज़ल, फिर हवा को सिलेंडर में भेजा जाता है. जहां इन दोनों का मिश्रण होता है. इसमें पहले हवा को कंप्रेस्ड कर उसकी ऊर्जा से इंजन को पावर मिलती है. जिससे वाहन चलता है इस इंजन में पेट्रोल इंजन की तरह इलेक्ट्रिक स्पार्क नहीं होता.
पेट्रोल और डीज़ल इंजन में अंतर
- पेट्रोल इंजन में Spark Plug और डीज़ल इंजन में Fuel Injector का प्रयोग होता है.
- डीज़ल इंजन ईंधन की ख़पत कम करता है और पेट्रोल इंजन ज्याद.
- डीज़ल इंजन के रखरखाव में खर्चा ज़्यादा, जबकि पेट्रोल इंजन में कम आता है.
- पेट्रोल इंजन वाले वाहनों में विस्फ़ोट होने के चांस डीज़ल इंजन से अधिक होते है. क्योंकि पेट्रोल इंजन में पेट्रोल और हवा दोनों कंप्रेस्ड होती हैं. जबकि डीज़ल इंजन में सिर्फ़ हवा ही कंप्रेस्ड होती है.
- ज्यादातर हल्के वाहनों (कार, बाइक व स्कूटर) में पेट्रोल इंजन लगा मिलता है. जबकि बड़े वाहन (ट्रक, ट्रैक्टर व बस) में डीज़ल इंजन का प्रयोग होता है.