जानिए सुबह की सबसे पहली आरती में भस्म क्यों रमाते हैं महाकाल? यह है बाबा का श्रृंगार और आभूषण

जानिए सुबह की सबसे पहली आरती में भस्म क्यों रमाते हैं महाकाल? यह है बाबा का श्रृंगार और आभूषण
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वर्षों पहले बाबा महाकाल की आरती के लिए श्मशान से भस्म लाने की परंपरा थी, लेकिन पिछले कुछ सालों से कपिला गाय के गोबर से बने कंडे, शमी, पीपल, पलाश, बड़, अमलतास और बेर की लकड़ियों को जलाकर तैयार की गई भस्म का इस्तेमाल किया जा रहा है।

 भगवान शिव की नगरी उज्जैन विश्वभर में प्रसिद्ध है, यहां 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक दक्षिण मुखी श्री महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग स्थित है। जिसके दर्शन करने मात्र से जीवन-मृत्यु का चक्र खत्म हो जाता है और व्यक्ति को मृत्यु के बाद मोक्ष की प्राप्ति होती है। श्री महाकालेश्वर मंदिर की भस्म आरती विश्व प्रसिद्ध है, जिसे देखने के लिए प्रतिदिन हजारों श्रद्धालु बाबा महाकाल की नगरी उज्जैन पहुंचते हैं। 

यह पहला ऐसा मंदिर है जहां भगवान शिव की दिन में 6 बार आरती की जाती है। इसकी शुरुआत भस्म आरती से ही होती है। महाकाल मंदिर में सुबह 4 बजे भस्म आरती होती है। इसे मंगला आरती भी कहा जाता है। माना जाता है कि बाबा महाकाल भस्म आरती से प्रसन्न होते हैं। यह आरती बाबा महाकाल को उठाने के लिए की जाती है, इस की आरती में केवल ढोल नगाड़े बजाकर ही उन्हें उठाया जाता है। बताया जाता है कि वर्षों पहले बाबा महाकाल की आरती के लिए श्मशान से भस्म लाने की परंपरा थी, लेकिन पिछले कुछ सालों से अब कपिला गाय के गोबर से बने कंडे, शमी, पीपल, पलाश, बड़, अमलतास और बेर की लकड़ियों को जलाकर तैयार किए गए भस्म का इस्तेमाल किया जाने लगा है। मान्यता है कि ज्योतिर्लिंग पर चढ़े भस्म को प्रसाद रूप में ग्रहण करने से रोग दोष से भी मुक्ति मिलती है। ऐसा माना जाता है कि भगवान शिव श्मशान के साधक हैं और भस्म ही उनका श्रृंगार और आभूषण भी है। 

इसीलिए बाबा महाकाल को अर्पित की जाती है भस्म
पौराणिक कथा के अनुसार दूषण नाम के राक्षस ने उज्जैन नगरी में तबाही मचा दी थी। यहां के ब्राम्हणों ने भगवान शिव से इसके प्रकोप को दूर करने की विनती की। भगवान शिव ने दूषण को चेतावनी दी, लेकिन वो नहीं माना। क्रोधित शिव यहां महाकाल के रूप में प्रकट हुए और अपनी क्रोध से दूषण को भस्म कर दिया। इसके बाद उसके भस्म से बाबा भोलेनाथ ने अपना श्रृंगार किया था। इसलिए यहां आज भी महादेव का श्रृंगार भस्म से किया जाता है।



भस्म आरती में हुआ बाबा महाकाल का अलौकिक श्रृंगार
पोष शुक्ल पक्ष की दशमी शनिवार को भस्म आरती के दौरान बाबा महाकाल का अलौकिक श्रृंगार किया गया। इससे पहले बाबा महाकाल का श्रृंगार किया गया फिर उन्होंने भस्म रमाकर भक्तों को दर्शन दिए। 

श्री महाकालेश्वर मंदिर में शनिवार को भस्म आरती के लिए चार बजे मंदिर के पट खोले गए। पट खुलते ही पुजारी और पुरोहितों ने भगवान श्री गणेश, माता पार्वती, कार्तिकेय और बाबा महाकाल का जलाभिषेक किया गया, कपूर आरती की गई। भगवान महाकाल का जलाभिषेक दूध, दही, घी, शक्कर फलों के रस से बने पंचामृत से किया गया और ड्रायफ्रूट से भगवान का श्रृंगार करने के बाद ज्योतिर्लिंग को कपड़े से ढांककर महानिवार्णी अखाड़े की ओर से बाबा महाकाल को भस्म अर्पित की गई। इस दौरान हजारों श्रद्धालुओं ने बाबा महाकाल के दर्शन कर लाभ लिया। जिससे पूरा मंदिर परिसर जय श्री महाकाल की गूंज से गुंजायमान हो गया।

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