जाने क्यों दिया जाता है कार में सनरूफ ,देखे पूरी डिटेल्स
कारों में सनरूफ का फीचर मिलना बहुत आम हो गया है. पहले यह फीचर सिर्फ महंगी कारों में ही देखने को मिलता था, लेकिन अब धीरे धीरे यह सस्ती कारों में दिया जाने लगा है. लेकिन क्या आपको पता है कि कारों में यह फीचर क्यों दिया जाता है, अगर नहीं तो हम आज आपको इससे जुड़ी सभी डिटेल्स के बारे में बताने वाले हैं.
रेगुलर सनरूफ
इसमें रिट्रैक्टेबल (अंदर-बाहर) होने वाले ग्लॉस का इस्तेमाल होता है. इसमें एक बारीक नेट वाले कपड़े का बना टिंटेड शेड लगा होता है, जो छाया देने के साथ ही एयर वेंटिलेशन भी बरकरार रखता है. जिससे धूप के कारण केबिन गर्म नहीं होता है.
पैनोरमिक सनरूफ
इस सनरूफ को इस समय बहुत इस्तेमाल किया जा रहा है. यह फ्रंट और बैक सीट को कवर करता है. इससे रात और दिन के समय अंदर बैठकर ही बाहर के नजारों का आनंद लिया जा सकता है. यह दोनों ओर से खुलता है.
मूनरूफ
यह फीचर काफी पहले कारों में दिया जाता था. इसे स्लाइड और टिल्ट किया जा सकता है. इसका इस्तेमाल अधिकतर कार के वेंटिलेशन के लिए किया जाता है, जिससे केबिन में शुद्ध हवा आ सके.
क्या हैं सनरूफ के फायदे?
सनरूफ से कार का लुक बेहद शानदार हो जाता है, साथ ही इसका इस्तेमाल गर्मियों में केबिन के अंदर शुद्ध हवा लेने के लिए, ठंडी में धूप का आनंद लेने के लिए और आपात स्थिति में कार से बाहर निकलने के लिए किया जाता है.
क्या होते हैं नुकसान?
कार में इस फीचर के नुकसान भी हैं, जैसे बारिश के दौरान इससे कार के केबिन के अंदर पानी आ सकता है जिससे कार के महत्वपूर्ण इलेक्ट्रॉनिक कंपोनेंट्स खराब हो सकते हैं. साथ ही इसे लगातार खोलकर गाड़ी चलाने से कार के अंदर काफी धूल मिट्टी और गंदगी हो जाती है, जिसकी सफाई में कड़ी मशक्कत करनी पड़ती है.
कैसे हुई शुरूआत?
इस फीचर का जनक अमेरिका के हेंज सी. प्रीचर को कहा जाता है. जिन्होंने मात्र 13 वर्ष की उम्र से ही ऑटोमोटिव कंपनियों में काम करना शुरू कर दिया था. उन्होंने वर्ष 1965 में अमेरिकन सनरूफ कॉर्पोरेशन (ASC) की लॉस एंजेलिस में स्थापित किया. जिसके बाद इस संस्था के नेटवर्क में अन्य देशों तक विस्तार हुआ.
क्यों हुई शुरूआत?
कुछ ठंडे देशों के लोग ड्राइविंग के दौरान अधिक समय बिताने के कारण पर्याप्त धूप नहीं ले पाते थे, जिसके कारण उनके शरीर में विटामिन डी की कमी पाई गई. इस कारण इस फीचर की जरूरत महसूस की गई और यहीं से कारों में इस फीचर की शुरुआत हुई. जबकि भारत और यूरोपीय देशों में इस तरह धूप लेने की कोई खास आवश्यकता नहीं पड़ती है.
भारत में सनरूफ की शुरुआत
दुनिया में साल 1937 में पहली बार नैश कार में यह सुविधा दी गई थी. लेकिन भारत में इसे आने में काफी समय लग गया. देश में पहली बार यह फीचर 1990 के दशक में स्कोडा और ओपल की कारों में देखने को मिला. लेकिन काफ़ी समय तक देश में यह फीचर केवल महंगी कारों में ही मिलता था.