शनिश्चरी अमावस्या पर पनौती छोड़ गए लाखों श्रद्धालु, प्रशासन करेगा जूते-चप्पल और कपड़ों की नीलामी
धार्मिक नगरी उज्जैन अजब-गजब है। शनिश्चरी अमावस्या पर इंदौर रोड स्थित त्रिवेणी संगम मुख्य घाट पर श्रद्धालुओं ने आस्था का स्नान किया था, जिसके बाद शनिदेव के दर्शन कर श्रद्धालुओं ने घाटों पर ही अपनी पनौती छोड़ दी।
शनिश्चरी अमावस्या पर वैसे तो स्नान और दान का विशेष महत्व होता है। लेकिन यह भी मान्यता है कि शनिश्चरी अमावस्या पर पनौती छोड़ने से शनि की साढ़े साती और शनि की ढैय्या के कारण आ रही कठिनाई भी समाप्त होती है। इसलिए अमावस्या पर स्नान-दान और दर्शन लाभ लेने आने वाले लाखों श्रद्धालु कपड़े, जूते-चप्पल पनौती उतारने के महत्व को मानते हुए यहीं छोड़ जाते हैं, जिससे उनके शरीर के हर कष्ट का निवारण हो। जब कपड़े, जूते-चप्पल यहां ढेर हो जाते हैं तो प्रशासन उसकी नीलामी करता है। ये परंपरा कई साल से चली आ रही है।
शनिश्चरी अमावस्या के दिन श्रद्धालुओं द्वारा छोड़े गए कपड़े और जूतों की प्रशासन नीलामी करता है। पुजारी राकेश बैरागी ने बताया कि अमावस्या के दिन शनि महाराज का जन्म हुआ और आज शनिवार के दिन जो अमावस्या होती है, उसे शनिचरी अमावस्या कहा गया है। राजा विक्रमादित्य के शासन काल के इस मंदिर में दर्शन पूजन का महत्व रहा है।
यहां के अलावा किसी मंदिर में दर्शन पूजन नहीं की जाती है। यहां गणेश जी, हनुमान जी साढ़े साती और ढैय्या की दशा एक साथ विरजामन है। यहां राजा को भगवान से आशीर्वाद और वरदान मिला था कि जो भी भक्त मंदिर में आएगा उसका हर कष्ट निवारण होगा। इसलिए यहां बड़े हर्ष उल्लास के साथ भक्त पहुंचते हैं और आशीर्वाद लेते हैं।