विनम्रता के संस्कार बिना सफल नहीं होता है जीवन : साध्वी मधु कंवर मासा
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भीलवाड़ा BHN.
विनम्रता के संस्कार बिना जीवन सफल नहीं होता है। भाई का भाई के प्रति प्रेम समर्पण के साथ त्याग बिना जीवन सफल नहीं होता है। जिस प्रकार मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम ने भाई भरत के लिए राजगद्दी का त्याग कर 14 साल के वनवास को स्वीकार किया और संसार को आदर्श मर्यादा की प्रेरणा दी। यह विचार आज महा साध्वी मधु कंवर मासा ने आज अहिंसा भवन में आयोजित धर्मसभा में उपस्थित श्रावक श्राविकाओं को व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि प्रेम हमें हारना ही सिखाता है चाहे वह पति-पत्नी का हो माता पिता का हो देवरानी जेठानी का हो प्रेम की हार में ही जीत होती है। उन्होंने कहा कि जीवन में आगे बढऩा हो तो प्लीज शब्द का उपयोग अत्यधिक करना चाहिए। साधु संत भी विनम्रता की भाषा में आदर पूर्वक शब्दों का उपयोग करते हैं। अपनी आत्मा के कल्याण का मार्ग प्रशस्त करते हैं। परिवार में भी विनम्रता से ही वार्ता करना चाहिए। संबंधों में मधुर अच्छे शब्दों का प्रयोग आवश्यक है। प्राचीन काल में लोग पड़ोसी को मकान उपयोग करने के लिए नि:शुल्क प्रदान कर देते थे। किसी को मना भी करना है तो प्रेम से करना चाहिए। साध्वी प्रतिभा कंवर मासा ने फरमाया कि मोबाइल के वीडियो गेम में बच्चे शूट करना, मारना, गोली चलाना, पाप करना सीखते हैं, लेकिन धार्मिक कीर्तन करके खेलों में बच्चे महापुरुषों के नाम संस्कार तपस्या आदि का संस्कार सीखते हैं। पहले माता-पिता को स्वयं मोबाइल का उपयोग कम करना होगा, तभी बच्चों को अच्छे संस्कार सिखा सकते हैं। क्योंकि मोबाइल का ज्यादा उपयोग शरीर के लिए भी घातक होता है और शिक्षा और धर्म अध्यात्म के लिए भी नुकसानदाई होता है। साध्वी डॉ चिंतन श्री मासा ने फरमाया कि कड़वे शब्द बारूद के ढ़ेर से भी ज्यादा विनाशकारी बन जाते हैं। एक शब्द में महाभारत खड़ा कर दिया। बुद्धिमान बोलने से पहले सोचता है। नादान बोलने के बाद सोचता है। कठोर मर्म कारी छेदनकारी पर पीड़ाकारी वचन हिंसा का प्रतीक है। वाणी का संयम अत्यंत जरूरी है। मीठे वचनों से इंसान तो क्या हिंसक पशुओं को भी वश में किया जा सकता है। वचनों में अमृत भी है वचनों में जहर भी है वारी से व्यक्ति के जाति कुल और संस्कारों का परिचय होता है। सोसाइटी और समाज में जीवन जीने के कुछ नियम और अनुशासन होना चाहिए तभी बच्चे संस्कारित होकर आगे बढ़ सकते हैं। धर्म की पिच पर तेज का नियम होना आवश्यक है। हमें परमात्मा की मर्यादा का पालन करना चाहिए, तभी हमारा जीवन सार्थक सिद्ध हो सकता है। वाणी का संयम अत्यंत जरूरी है। मीठे वचनों से इंसान तो क्या हिंसक पशुओं को भी वश में किया जा सकता है। वचनों में अमृत भी है वचनों में जहर भी है, वाणी से व्यक्ति के जाति कुल और संस्कारों का परिचय होता है। मोबाइल का उपयोग अनुशासन में ही रहकर करना चाहिए। मोबाइल में लॉक नहीं होना चाहिए मोबाइल का प्रत्येक सदस्य देख सके इस प्रकार मोबाइल का उपयोग होना चाहिए। धर्मसभा का संचालन श्री संघ के मंत्री सुशील चापलोत ने किया। प्रचार प्रसार समिति के संयोजक मनीष बंब ने बताया कि चंदनबाला महिला मंडल की अध्यक्षा प्रतिमा बंब, मंत्री वनिता बाबेल कोषाध्यक्ष सरोज मेहता, सुशीला छाजेड़ ने शहर के विभिन्न गौशालाओं में पहुंचकर लंपि रोग से ग्रसित गो वंश को आयुर्वेदिक लड्डू खिलाए। इस दौरान श्री संघ के सरक्षक हेमंत आंचलिया अध्यक्ष अशोक पोखरना,उपाध्यक्ष हिम्मत सिंह बापना, कोषाध्यक्ष जसवंत सिंह डागलिया आदि उपस्थित थे।