लोकसभा चुनाव: भाजपा की राह आसान करेंगे जयंत, नीतीश के बाद इंडिया गठबंधन की दूसरी बड़ी टूट

लोकसभा चुनाव: भाजपा की राह आसान करेंगे जयंत, नीतीश के बाद इंडिया गठबंधन की दूसरी बड़ी टूट
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लोकसभा चुनाव से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह को भारत रत्न देने की घोषणा कर भाजपा व राष्ट्रीय लोकदल के गठबंधन की पटकथा लिख दी है। दादाजी को भारत रत्न मिलने की घोषणा के बाद जयंत चौधरी ने भी दिल जीत लिया... के संदेश के साथ एनडीए गठबंधन का एलान कर दिया। जयंत ने कहा कि अब कोई कसर रहती है, आज मैं किस मुंह से इन्कार करूं। रालोद के एनडीए में शामिल होने से भाजपा यूपी में ही नहीं बल्कि पंजाब, हरियाणा और राजस्थान में भी बढ़त की उम्मीद कर सकती है।

चौधरी चरण सिंह के पोते होने के नाते जयंत उत्तर भारत के जाट समाज में एक बड़े चेहरे के रूप में देखे जाते हैं। राजस्थान में विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा ने प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया को हटा दिया था। पूनिया भाजपा के जाट चेहरा थे। राजस्थान की भजनलाल सरकार में जाट समाज से कन्हैयालाल चौधरी और सुमित गोदारा कैबिनेट मंत्री, झाबर सिंह खर्रा राज्यमंत्री स्वतंत्र प्रभार और विजय सिंह चौधरी राज्यमंत्री बनाए गए हैं। फिर भी राजस्थान में पार्टी के पास बड़े जाट चेहरे का अभाव है। हरियाणा में भी भाजपा व जननायक जनता पार्टी के नेता एवं डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला के बीच अनबन की अटकलें है। वहां भी पार्टी के पास मजबूत जाट नेता का अभाव है। पार्टी लोकसभा चुनाव में जयंत को केवल यूपी ही नहीं अन्य राज्यों में भी सघन चुनावी दौरा कराएगी।

 पश्चिमी यूपी में जाटों की आबादी करीब 50 लाख है। जाट मतदाता लोकसभा की दस और विधानसभा की 40 सीटों को प्रभावित करते हैं। रालोद से गठबंधन होने के बाद अब पश्चिमी यूपी की मथुरा, मुजफ्फरनगर, बागपत, आगरा, सहित अन्य सीटों पर जाट वोट बंटने का खतरा नहीं रहेगा।

रालोद को बहाना है, इंडिया पर निशाना है
विश्लेषक मानते हैं कि भाजपा नेतृत्व के लिए रालोद से गठबंधन तो एक बहाना है। उनका असली निशाना इंडिया गठबंधन है। बिहार में नीतीश कुमार से गठबंधन के बाद आरजेडी व कांग्रेस सहित इंडिया गठबंधन को झटका दिया गया। रालोद को एनडीए में शामिल करने की पहल कर सपा को करारा झटका देने की योजना है। विश्लेषकों के मुताबिक 2014 और 2019 के चुनाव में एनडीए से बाहर रहने के बाद रालोद का यूपी में खाता तक नहीं खुला। रामलहर के माहौल में 2024 में भी भाजपा के लिए राह ज्यादा मुश्किल नहीं थी, लेकिन भाजपा ने मिशन 400 पार के लक्ष्य में माहौल सृजन और इंडिया गठबंधन को कमजोर करने के लिए रालोद की कई शर्तें मानते हुए गठबंधन की पहल कर दी।

मिल सकती है दो लोकसभा व एक राज्यसभा सीट
सूत्रों का कहना है कि रालोद को भाजपा से गठबंधन के बाद जयंत को मोदी सरकार में जबकि एक विधायक को योगी सरकार में मंत्री बनाया जा सकता है। लोकसभा चुनाव में मुजफ्फरनगर, बागपत व बिजनौर में से कोई दो सीटें गठबंधन में दी जा सकती हैं। आगामी राज्यसभा चुनाव में भी रालोद को एक सीट मिल सकती है।

रालोद को सीट देकर फायदे में भाजपा

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राज्यसभा की एक सीट देने से भाजपा को कोई नुकसान नहीं हैं। भाजपा अपने हिस्से की सात सीटें जीतेगी। लेकिन सपा को एक सीट का नुकसान होगा। सपा अब तीन की जगह दो ही सीटें जीत सकेगी। मई में होने वाले विधान परिषद चुनाव में भी रालोद को प्रदेश में एक सीट मिल सकती है। सपा को राज्यसभा में एक और विधान परिषद में भी दो सीटों का नुकसान होगा।

2009 में भी रहा है रालोद-भाजपा गठबंधन, मिली थी कामयाबी
लोकसभा चुनाव 2009 में यूपीए की लहर में भी यूपी में भाजपा व रालोद के गठबंधन ने कमाल दिखाया था। भाजपा ने रालोद के साथ गठबंधन कर चुनाव लड़ा था। रालोद को गठबंधन में सात सीटें मिलीं थीं। इसमें उसने पांच जीती थी। भाजपा को 10 सीटें मिली थीं। लेकिन बाद में रालोद ने एनडीए से अलग होकर यूपीए का समर्थन किया। इसके बाद दोनों की राहें जुदा हो गईं। करीब 15 वर्ष बाद दोनों फिर एक साथ आते नजर आ रहे हैं।

पिछड़े वर्ग के प्रभावशाली नेता थे चौधरी चरण सिंह
राजनीतिक विश्लेषक बताते हैं कि चौधरी चरण सिंह केवल जाटों के ही नहीं बल्कि पिछड़े वर्ग की अन्य जातियों व अगड़े वर्ग के भी लोकप्रिय नेता थे। 1980 के लोकसभा चुनाव में जनता दल से अलग होने के बाद उन्होंने लोकदल का नेतृत्व किया। उस चुनाव में यूपी की 32, बिहार की चार और राजस्थान की दो लोकसभा सीटों पर लोकदल जीता था।

राम लहर को भांप चुके हैं जयंत
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि जयंत अयोध्या में राम मंदिर बनने के बाद चल रही राम लहर को भांप चुके हैं। जयंत के समर्थकों का मानना है कि सपा के साथ सात सीटों पर चुनाव लड़ने के बाद भी एक भी सीट पर जीत पक्की नहीं थी। वहीं, भाजपा से गठबंधन के बाद यदि दो तीन सीटें भी मिलीं तो तीनों पर जीत मिल सकती है। इससे लगभग एक दशक से केंद्र व राज्य में सरकार से बाहर चल रही रालोद की सत्ता में वापसी हो सकती है।

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