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मकर संक्रांति: गुड़ में मिले तिल, उड़ी पतंग और खिले दिल...

मकर संक्रांति: गुड़ में मिले तिल, उड़ी पतंग और खिले दिल...

भीलवाड़ा (हलचल)। जिले में कोरोना के बढ़ते संक्रमण के बीच शुक्रवार को मकर संक्रांति का पर्व मनाया गया। लोगों ने खूब दान-पुण्य किया। गायों को रजका-चारा व गरीबों को खाद्य सामग्री सहित वस्त्रादि भेंट किए गए। तिल के लड्डुओं की बिक्री बाजार में जोरों पर रही। पतंगों की दुकान पर बच्चों की भीड़ देखी गई। बच्चों में पतंगबाजी को लेकर क्रेज देखा गया। डोर व प्लास्टिक पतंगों की डिमांड ज्यादा रही। युवाओं ने कागजों की पतंगें पसंद की। सुबह हवा चलने के बाद बच्चे छतों पर दिखे तो दोपहर बाद तक लोग परिवार के साथ पतंगबाजी का आनंद लेते दिखे। लोगों ने बताया कि वैसे तो कोरोना संक्रमण के बढऩे के चलते वे घरों पर हैं लेकिन बच्चों के साथ पर्व को एंजॉय कर रहे हैं। बच्चे भी उत्साहित दिखे। छोटे बच्चे भी छोटी पतंगों के साथ छतों पर नजर आए। छोटी चरखी हाथ में लिए पतंग उड़ाने की कोशिश कर रहे बच्चों की उनके अभिभावक पतंग उड़ाने में मदद कर रहे थे। पतंग आसमान में ऊंची होने पर बच्चों में जोश देखा गया।
वो काटा...वो मारा... का शोर
भीलवाड़ा शहर जिलेभर में छतों पर पेंच लड़ा रहे बच्चे वो काटा... वो मारा... का शोर कर रहे थे। ठंड के चलते अभिभावक भी पतंग उड़ा रहे बच्चों के साथ धूप सेंकते नजर आए। तिल के व्यंजन सहित अन्य मिठाइयों का लोगों ने गुनगुनी धूप में आनंद लिया।
नहीं दिखा पहले जैसा जोश...
हालांकि मकर संक्रांति पर लोगों का वह जोश इस बार देखने को नहीं मिला जो हमेशा होता है। एक ओर तो कोरोना का बढ़ता संक्रमण और दूसरी ओर प्रशासन की ओर से जारी की गई निषेधाज्ञा को देखते हुए इस बार लोग थोड़े कम जोश में दिखे।
महिलाओं ने बांटी सुहाग की सामग्री
मकर संक्रांति के मौके पर महिलाओं ने 14-14 महिलाओं को सुहाग सामग्री भेंट की। इस मौके पर महिलाएं एक-दूसरे के घर पहुंची और उन्हें भेंट दी। सभी ने एक-दूसरे के सुहाग की लंबी उम्र की कामना की।
कोराह्यना के चलते दूसरे साल भी नहीं हुआ जीमण
दान-पुण्य के त्योहार मकर संक्रांति पर शहर के बाजार नंबर तीन में इस बार भी जीमण नहीं हुआ। व्यापारियों का कहना है कि सालों से चली आ रही इस परंपरा का निर्वहन कोरोना की वजह से दो साल से नहीं हो पा रहा है। उनका कहना था कि इस बाजार में प्रतिवर्ष एक हजार लोगों को खाना खिलाया जाता है। उधर, जीमण की आस में पहुंचे जरुरतमंद लोगों को निराशा के साथ लौटना पड़ा।