ममता बनर्जी की TMC से छिना राष्ट्रीय दल का दर्जा, पार्टी ने कहा-चुनाव आयोग के फैसले को देंगे चुनौती
राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा छिनने के बाद ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली तृणमूल कांग्रेस, चुनाव आयोग के फैसले को अदालत में चुनौती देने पर विचार कर रही है। इसके लिए पार्टी फिलहाल विकल्पों की तलाश कर रही है। बता दें कि चुनाव आयोग ने सोमवार को अपने एक फैसले में तृणमूल कांग्रेस, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी और कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया (सीपीआई) का राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा छीन लिया।
टीएमसी फैसले को देगी कानूनी चुनौती
चुनाव आयोग के इस फैसले पर टीएमसी ने अभी तक कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं दी है लेकिन पार्टी नेताओं का कहना है कि टीएमसी इस फैसले को कानूनी तौर पर चुनौती देने के विकल्प तलाश रही है। वहीं टीएमसी के राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा छिनने पर भाजपा ने तंज कसा है।
पश्चिम बंगाल भाजपा के अध्यक्ष सुकांता मजूमदार ने ट्वीट करते हुए लिखा, 'टीएमसी का राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा छिन गया है और अब वह एक क्षेत्रीय पार्टी है। दीदी की टीएमसी को बड़ा बनाने की कोशिशें पूरी नहीं हो पा रही हैं क्योंकि लोग जान चुके हैं कि टीएमसी सबसे भ्रष्ट, तुष्टीकरण करने वाली और आतंक फैलाने वाली सरकार की पार्टी है। इसकी सरकार भी गिरनी तय है क्योंकि पश्चिम बंगाल के लोग इस सरकार को लंबे समय तक बर्दाश्त नहीं करेंगे।'
चुनाव आयोग का फैसला
सोमवार को चुनाव आयोग ने अपने फैसले में एनसीपी और टीएमसी को राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा घटाकर क्षेत्रीय पार्टी का कर दिया। एनसीपी और टीएमसी को नागालैंड और मेघालय में भी क्षेत्रीय पार्टी का दर्जा दिया गया है क्योंकि हालिया विधानसभा चुनाव में दोनों पार्टियों का प्रदर्शन बेहतर रहा था। ममता बनर्जी ने कांग्रेस से अलग होकर एक जनवरी 1998 को टीएमसी का गठन किया। 2001 और 2006 में असफल कोशिशों के बाद टीएमसी ने 2011 में वामपंथी मोर्चे को हराकर पश्चिम बंगाल की सत्ता हासिल की। अब टीएमसी मजबूती से पश्चिम बंगाल की सत्ता पर काबिज है। हाल के समय में टीएमसी ने देश अन्य राज्यों में भी अपने पांव जमाने की कोशिश की है और पार्टी 2024 के लोकसभा चुनाव में भी भाजपा को चुनौती देने की तैयारी कर रही है।
टीएमसी और एनसीपी के राष्ट्रीय पार्टी के दर्जे के छिनने के बाद अब भाजपा, कांग्रेस, सीपीआई (एम), बसपा, नेशनल पीपल्स पार्टी और आम आदमी पार्टी समेत कुल छह राष्ट्रीय पार्टियां रह गई हैं।