महापुरुषों के जीवन से मनुष्य जीने की कला प्राप्त कर सकता है

महापुरुषों के जीवन से मनुष्य जीने की कला प्राप्त कर सकता है
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भीलवाड़ा । महापुरुषों के जीवन से हमें जीवन जीने की कला प्राप्त होती है। रामस्नेही संत ईश्वरराम महाराज ने सत्संग के दौरान श्रध्दालूओ को सम्बोधित करतें हुयें कहा कि प्रभु का स्मरण, प्रभु-कथा का श्रवण करने से जीव भव सागर से

 पार हो जाता है। प्रभु नाम नौका है। आत्मा को परमात्मा से मिलन करवा सकता है ! महापुरुषों के आदर्श गुणों,शिक्षा, सिद्धांतों को जीवन में उतारने की प्रेरणा मिलती है। प्रत्येक समस्या का समाधान मिलता है। कैसे जीवन जीना है उसका बोध होता है। प्रभु स्तुति करने से जीवन को सम्यक ज्ञान, श्रद्धा,चिंतन,मनन शक्ति और सदाचरण करने का बल प्राप्त कर सकते है ! मीडिया प्रवक्ता सुनिल चपलोत ने बताया कि सत्संग मे सदभावना सेवा ट्रस्ट की अध्यक्षा कमला चौधरी,जगत माता स्नेह लता धारीवाल,बलवीर देवी चौरड़िया,प्रमिला सूरिया,चंदा कोठारी,सरिता पोखरना,रेखा कोठारी, सिम्मी पोखरना आदि जैन समाज की महिला  पदाधिकारियों ने रामस्नेही संत ईश्वरराम महाराज, भण्डारी जयरामदास,संत ललितराम,संत तेचराम आदि रामस्नेही संतो का रामस्नेही चिकित्सालय प्रबंधक समिति के अशोक अजमेरा,रामस्नेही परिवार के श्रीराम तोषनीवाल,ओम प्रकाश तोषनीवाल,कंवरलाल पोरवाल, ओमप्रकाश झंवर रमेशचंद राठी पारसमल पीपाड़ा आदि सदस्यों और भक्तोजनों की उपस्थिति मे संतो का माला शोल ओढ़ाकर  अभिनन्दन करते हुयें कहा कि संत स्वयं तो तिरते ही है ! वो हमे संत्सग रूपी जीनवाणी से जीवन जिने का सदमार्ग दिखाते है ! संत ईश्वरराम महाराज की प्रेरणा पर सदभावना सेवा ट्रस्ट की महिला पदाधिकारियों ने लंपी महामारी रोग से ग्रस्त बेसहारा गौवंश को बचाने के लिए दवाई युक्त लड्डू   गायों को खिलाएगी !जिससे लम्पी महामारी बिमारी से गाये रोग मुक्त होकर स्वस्थ हो जाये !

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