देश के ज्यादातर हिस्सों में सामान्य से ज्यादा रहेगा न्यूनतम तापमान, बारिश के भी हैं आसार

देश के ज्यादातर हिस्सों में सामान्य से ज्यादा रहेगा न्यूनतम तापमान, बारिश के भी हैं आसार
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मौसम विभाग के अनुसार उत्तर भारत के कई हिस्सों समेत देश के कई राज्यों में न्यूनतम तापमान अभी भी सामान्य से ऊपर दर्ज किया जा रहा है। इस समय जम्मू और कश्मीर, लद्दाख, गिलगित बाल्टिस्तान और मुजफ्फराबाद में पारा लुढ़कने से कड़ाके की ठंड पड़ती है, लेकिन यहां न्यूनतम तापमान सामान्य से काफी ऊपर यानी पांच डिग्री सेल्सियस अधिक दर्ज किया गया है।

हालांकि, केदारनाथ धाम में बर्फबारी जारी है, यहां पारे में भारी गिरावट दर्ज की जा रही है। धाम के आसपास के इलाकों में कड़ाके की सर्दी का प्रकोप महसूस किया जा रहा है। वहीं प्रदेश के कई इलाकों में मौसम शुष्क बना हुआ है, लेकिन सुबह और शाम सर्दी सता रही है।

मौसम विभाग के अनुसार देश के अन्य राज्यों में पूर्वी मध्य प्रदेश, बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल में गंगा के तटीय इलाकों, सौराष्ट्र और कच्छ के अलग-अलग हिस्सों में भी न्यूनतम तापमान सामान्य से पांच डिग्री सेल्सियस ऊपर रहेगा। पूर्वानुमान में मौसम विभाग ने यह भी बताया है कि 16 नवंबर तक देश के अधिकतर इलाकों में मौसम शुष्क बना रहेगा, इसके बाद पहाड़ी इलाकों से लेकर मैदानी क्षेत्र तक तापमान गिरने की बात कही गई है।

बंगाल के कुछ हिस्सों में हो सकती है भारी बारिश
अंडमान-निकोबार द्वीप समूह, अंडमान सागर और दक्षिण-पूर्व बंगाल की खाड़ी के आसपास के क्षेत्रों पर ऊपरी हवा के चक्रवाती प्रसार के कारण कम दबाव का क्षेत्र बन गया है। कम दबाव और चक्रवाती प्रसार के चलते पश्चिम बंगाल के कुछ हिस्सों में भारी बारिश की आशंका जताई गई है। हालांकि, चक्रवात बनेगा या नहीं, इसकी भारतीय मौसम विभाग की ओर से अभी तक आधिकारिक घोषणा नहीं की गई है।

विभाग ने जानकारी दी है कि अवसाद या डीप डिप्रेशन बनने जा रहा है। इसके उत्तर पश्चिम की ओर ओर बढ़ने और 16 नवंबर के आसपास कम दबाव के क्षेत्र में तब्दील होने की आशंका व्यक्त की गई है।

पहाड़ी इलाकों में भी बारिश के आसार
मौसम संबंधी गतिविधियों के स्थिर रहने से 16 नवंबर के बाद एक बार फिर पश्चिम और उत्तर भारत समेत कुछ पहाड़ी इलाकों,  हिमाचल और उत्तराखंड में हल्की से मध्यम बारिश के आसार हैं। इसके अलावा बंगाल की खाड़ी से उत्तर-पूर्वी हवाएं भारत के दक्षिण-पूर्व प्रायद्वीप पर लगातार हावी हैं। यदि इनका प्रसार उत्तर पूर्व की ओर होता है तो देश के मैदानी इलाकों में पारे में गिरावट आने की पूरी संभावना है।

 

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