पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय ने स्काईमेट के दावे को सिरे से किया खारिज, कहा- इस साल होगी सामान्य बारिश
पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के सचिव एम रविचंद्रन ने कहा कि भारत में दक्षिणी-पश्चिम मॉनसून के समय भारत में सामान्य बारिश होगी। मंत्रालय का कहना है कि इस साल दक्षिणी भारत, पूर्वी मध्य भारत, पूर्वी भारत, उत्तरी-पूर्वी भारत और उत्तरी-पश्चिम भाग में सामान्य बारिश होगी।
भारत सरकार ने निजी वेदर एजेंसी स्काईमेट वेदर के दावे को खारिज कर दिया है। सोमवार को स्काईमेट वेदर ने दावा किया था कि इस मॉनसून सामान्य से कम बारिश होगी। सरकार के पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के सचिव एम रविचंद्रन ने कहा कि भारत में दक्षिणी-पश्चिम मानसून के समय भारत में सामान्य बारिश होगी।
मंत्रालय का कहना है कि इस साल दक्षिणी भारत, पूर्वी मध्य भारत, पूर्वी भारत, उत्तरी-पूर्वी भारत और उत्तरी-पश्चिम भाग में सामान्य बारिश होगी। हालांकि, मंत्रालय का कहना है कि उत्तरी-पूर्वी भारत और उत्तरी-पश्चिम भारत के कुछ अंचलों में बारिश सामान्य से कम होगी। साथ ही पश्चिमी मध्य भारत के भी कुछ इलाकों में सामान्य से कम बारिश होने का अनुमान है।
2023 में मानसून सामान्य रहेगा
भारत के मौसम विभाग ने कहा है कि वर्ष 2023 में मानसून सामान्य रहेगा। हालांकि, दूसरे चरण में अल नीनो के असर की आशंका रहेगी। यह लगातार पांचवां साल है, जब विभाग ने सामान्य मानसून की भविष्यवाणी की है। इसके तहत दीर्घकालीन दक्षिण पश्चिम मानसून जून से सितंबर तक रहेगा। मई के अंतिम सप्ताह में मौसम विभाग एक बार फिर अपडेट पूर्वानुमान जारी करेगा।
विभाग ने कहा है कि पूरे देश में औसत का 96 फीसदी यानी 83.7 मिलीमीटर बारिश का अनुमान है। इसमें पांच फीसदी की घट-बढ़ हो सकती है। मौसम विज्ञान केंद्र के महानिदेशक डॉक्टर एम महापात्रा ने बताया कि आईएमडी ने दीर्घकालीन मानसून अनुमान जारी करते हुए कहा है कि प्रशांत क्षेत्र में अल नीनो की स्थिति बदल गई है।
मानसून की अवधि में अल नीनो के प्रभावी रहने की आशंका जताई गई है। यह दीर्घकालीन दक्षिण पश्चिमी मानसून के दूसरे भाग पर असर डाल सकता है। महापात्रा ने कहा कि इस बार हमने अलग-अलग बारिश के अनुमान जारी किए हैं। इसमें मानसून के दौरान राजस्थान, पश्चिम उत्तर प्रदेश और पश्चिमी मध्य प्रदेश में सामान्य से कम बारिश हो सकती है। वहीं पंजाब, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में स्थित भारतीय प्रायद्वीप के कई क्षेत्रों और इससे सटे पूर्वी मध्य भारत, पूर्वोत्तर भारत और उत्तर पश्चिम भारत के कुछ हिस्सों में सामान्य से अधिक बारिश भी हो सकती है।
जलवायु परिवर्तन का प्रभाव बढ़ रहा
ओडिशा, छत्तीसगढ़, कर्नाटक, तमिलनाडु, पुडुचेरी, केरल, दक्षिण तेलंगाना और आंध्र प्रदेश में सामान्य से अधिक बारिश हो सकती है। पूरे बिहार और उत्तर प्रदेश की बात करें तो कहीं कम और कहीं ज्यादा बारिश हो सकती है। डॉक्टर एम महापात्रा ने कहा कि जलवायु परिवर्तन का प्रभाव पड़ रहा है। भारी बारिश की संभावना में बढ़ोतरी हो रही है। उन्होंने कहा, सामान्य बारिश के पूर्वानुमान के बीच बाढ़ और सूखा देखने को मिल सकता है।
उत्तरी गोलार्द्ध में सामान्य से कम बर्फबारी
मौसम विभाग ने कहा है कि फरवरी और मार्च के दौरान उत्तरी गोलार्द्ध के क्षेत्रों में इस बार सामान्य से कम बर्फबारी देखने को मिली है। इसका असर भी मौसम पर रहेगा। हालांकि इसका सकारात्मक प्रभाव देखने को मिलेगा। इससे मानसून के दौरान अल नीनो की स्थितियों से निपटने में मदद मिलेगी।
क्या है अल नीनो?
प्रशांत महासागर में पेरू के पास सतह का गर्म होना अल नीनो कहलाता है। इसकी वजह से समुद्र के तापमान में बदलाव होता है। इसका असर वायुमंडल के तापमान पर पड़ता है। इससे समुद्र के तापमान में चार से पांच डिग्री की बढ़ोतरी हो जाती है। इसका असर पूरी दुनिया के तापमान पर पड़ता है।
स्काई मेट का दावा
प्राइवेट वेदर एजेंसी ने दावा करते हुए सोमवार को कहा था कि भारत में इस साल बारिश होने की संभावना सामान्य से भी कम है। ला नीना के खत्म होने से 20 प्रतिशत सूखे की संभावना है। साथ ही अल नीनो भी हावी हो सकता है। बारिश कम होने के कारण इस साल फसलों पर संकट आ सकता है। इससे फसलें भी महंगी हो सकती हैं।
20 फीसदी सूखे की जताई थी आशंका
स्काई मेट के अनुसार, इस साल जून, जुलाई, अगस्त, सितंबर चार महीनों में 868.6 एमएम की बारिश का एलपीए 94 प्रतिशत रहेगा। स्काईमेट ने कहा कि कि देश के उत्तरी और मध्य भागों में बारिश की कमी होगी। गुजरात, मध्यप्रदेश और महाराष्ट्र में भी जुलाई और अगस्त के दौरान अपर्याप्त बारिश होगी। उत्तर भारत के पंजाब, हरियाणा, राजस्थान और उत्तर प्रदेश में साल के दूसरे छमाही में सामान्य से कम बारिश की संभावना है। स्काईमेट ने 20 फीसदी सूखे की आशंका भी जताई थी।