वृद्धाश्राम में रोती मां: नवरात्रों में घरों में सजाई मां की मूर्ति, खुद की मां को नहीं दी जगह; बयां किया दर्द

मंदिरों से लेकर घरों और सोशल मीडिया के तमाम प्लेटफॉर्म पर नवरात्र में मां दुर्गा छाई हैं, फिर कौन है वो जिनकी मां इन दिनों में वृद्धाश्रम आई हैं। एक ओर नवरात्र पर हम सभी मां दुर्गा की आराधना में लगे हुए हैं। वहीं, दूसरी ओर वृद्धाश्रम में आ रही बूढ़ी मां के आंसू समाज का असली चेहरा सामने दिखा रहा है। उनकी डबडबाती आंखें अपनों द्वारा सताने की कहानी बयां कर रही हैं।
कुछ बेसहारा बुजु्र्गों ने ग्रेटर नोएडा नॉलेज पार्क के पास स्थित रामलाल वृद्धाश्रम में सहारा लिया है। यहां आईं बुजुर्ग महिला बताती हैं कि बेटे-बहू ने घर में माता की मूर्ति की स्थापना की है, लेकिन अपनी असली मां को बाहर निकाल दिया। वृद्धाश्रम के अध्यक्ष शिव प्रसाद शर्मा ने बताया कि नवरात्र में अब तक तीन वृद्धा और एक वृद्ध आए हैं।
वृद्धाश्रम की देहरी पर बैठकर रोईं बुजुर्ग महिला
सदरपुर निवासी मीना देवी (70) अपनों से हताश होकर नवरात्र में वृद्धाश्रम पहुंचीं और देहरी पर बैठकर फूट-फूट कर रोने लगी। कहने लगीं कि कभी सोचा न था कि जिन बेटों को अपने खून-पसीने से सींच रही हूं वह एक दिन मुझे वृद्धाश्रम में रहने के लिए मजबूर कर देंगें। उन्हें रोता देख आश्रम में रह रहे बुजुर्गों ने उनको वहीं रहने की सलाह दी। मीना देवी का कहना है कि बेटों ने मुझे ऐसा दर्द दिया है, जिसे मैं मरते दम तक नहीं भूल सकती हूं।
बहू ने घर से निकाला बेटा चुप रहा
नोएडा सेक्टर-45 निवासी कोमल देवी (75) ने बताया कि घर में मां दुर्गा की स्थापना की गई है। जिनकी रोजाना सुबह-शाम पूजा की जाती है, लेकिन बहू ने मुझे घर से जाने के लिए कह दिया। बेटे ने भी उसे कुछ नहीं कहा और काम पर चला गया। ऐसे में मैं वहां कैसे रुक सकती थी। बेटे की चुप्पी ने दिल तोड़ दिया। जैसे-तैसे किसी की मदद से आश्रम तक पहुंची। अब कभी घर नहीं जाऊंगी कहते हुए वृद्धा की आंखों से आंसू बहने लगे।
आत्महत्या करने जा रहे थे बुजुर्ग
अपनों से आहत होकर बुजुर्ग आत्महत्या करने जा रहे थे, लेकिन किसी ने समझाया और वृद्धाश्रम का पता बताया तो उन्होंने यह ख्याल मन से निकाल दिया। नोएडा स्थित ओरंगपुर अट्टा निवासी विजय कुमार नायक (78) रोते हुए कहते हैं कि उनके दो बेटे और तीन बेटियां हैं। सभी की शादी हो गई है। पत्नी दिव्यांग हैं। वह बताते हैं कि बहू-बेटे गाली-गलौज करते हैं और खाना भी ठीक से नहीं देते हैं। ऐसे में आत्महत्या के अलावा कोई रास्ता नजर नहीं आ रहा।