नया नाम, नई पहचान….अपना ब्रांड नए सिरे से गढ़ने में जुटी कोल इंडिया

नया नाम, नई पहचान….अपना ब्रांड नए सिरे से गढ़ने में जुटी कोल इंडिया
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देश की सबसे पुरानी सरकारी कंपनियों में शुमार कोल इंडिया (सीआईएल) का मकसद ऊर्जा परिवर्तन की राष्ट्रीय योजना के मुताबिक खुद को ढालना और कारोबार बढ़ाना है सरकारी खनन कंपनी और दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी कोयला खनन कंपनी कोल इंडिया अपना ब्रांड नए सिरे से गढ़ने में जुट गई है। रीब्रांडिंग की इस कवायद में कंपनी का नाम भी बदला जाएगा। देश की सबसे पुरानी सरकारी कंपनियों में शुमार कोल इंडिया (सीआईएल) का मकसद ऊर्जा परिवर्तन की राष्ट्रीय योजना के मुताबिक खुद को ढालना और कारोबार बढ़ाना है।

सूत्रों ने बताया कि कोयला मंत्रालय और कंपनी ने नाम भी बदलकर सीआईएल एनर्जी इंडिया रखने का फैसला किया है। इससे कंपनी की भावी कारोबारी योजना की झलक मिलेगी, जो कोयला खनन के अलावा अन्य क्षेत्रों में भी जाना चाहती है।

एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘कोल इंडिया अपना कारोबार दुर्लभ खनिजों के खनन, कोयले के गैसीकरण, कार्बन कैप्चर, हरित हाइड्रोजन और नवीकरणीय ऊर्जा जैसे क्षेत्रों में फैलाना चाहती है। उसके कारोबारी भविष्य को सुरक्षित करने के लिए जरूरी है कि ब्रांड की पहचान भी केवल कोयले तक सीमित न रहे।’

रीब्रांडिंग और नाम बदलने पर अभी चल रहा है विचार 

मंत्रालय के सूत्रों ने बताया कि रीब्रांडिंग और नाम बदलने पर अभी विचार चल रहा है और कोल इंडिया का निदेशक मंडल जल्द ही इस पर कोई फैसला लेगा। अधिकारी ने जोर देकर कहा कि कंपनी अपनी भावी कारोबारी योजनाओं को देश में ऊर्जा परिवर्तन की कार्य योजना के साथ जोड़ना चाहती है।

भारत ने साल 2070 तक शून्य कार्बन उत्सर्जन का लक्ष्य निर्धारित किया है मगर कोयले का इस्तेमाल बंद करने की तारीख अभी तक मुकर्रर नहीं की गई है। हाल में भारत की अध्यक्षता में जी 20 की ऊर्जा परिवर्तन पर आयोजित मंत्रिस्तरीय बैठक में भाग लेने वाले देशों में जीवाश्म ईंधन का अंधाधुंध इस्तेमाल बंद करने पर आम सहमति नहीं बन पाई। इसके बजाय जीवाश्म ईंधन से उत्सर्जन कम करने के तरीकों पर चर्चा की गई।

एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘इसलिए कोयला बेशक मुख्य कारोबार बना रहेगा मगर कंपनी को भविष्य के लिहाज से अपनी नीति तैयार करनी होगी। इन नए क्षेत्रों में कारोबार का विस्तार करने के लिए कंपनी को काफी रकम की जरूरत होगी। जो कंपनी केवल जीवाश्म ईंधन से जुड़ी हो उसे विदेश से पर्यावरण के लिए रकम नहीं मिल पाएगी।’

ऑस्ट्रेलिया की प्रमुख खनन कंपनी ने भी बदला था अपना नाम

वैश्विक स्तर पर ऑस्ट्रेलिया की प्रमुख खनन कंपनी बीएचपी ने ही ऊर्जा परिवर्तन के अपने लक्ष्यों को ध्यान में रखते हुए अपना नाम बदला है। दुनिया की इस सबसे बड़ी खनन कंपनी ने 2017 में ‘थिंक बिग’ नारे के साथ 1 करोड़ डॉलर का अभियान शुरू किया था। साथ ही उसने अपने नाम से बिलिटन हटा दिया था।

भारत में एनटीपीसी ने भी अपनी रीब्रांडिंग की और हरित ऊर्जा स्रोतों में निवेश करते समय अपना पुराना नाम नैशनल थर्मल पावर कॉरपोरेशन त्याग दिया। नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा पर ध्यान केंद्रित करने के लिए उसने अलग कंपनी एनटीपीसी ग्रीन एनर्जी भी बनाई है। पीएफसी, आरईसी और एसजेवीएन जैसी कुछ अन्य कंपनियों ने भी अपने मुख्य कारोबार से इतर दूसरे क्षेत्रों में भी जाने के लिए अपने नाम छोटे किए हैं।

मगर कुछ लोगों को इसमें बहुत अर्थ नहीं दिख रहा। कोल इंडिया के पूर्व चेयरमैन पार्थ भट्टाचार्य ने कहा कि कंपनी के लंबे वजूद के लिए कोयले से इतर संभावनाएं तलाशना जरूरी है मगर अभी उसे कोयला उत्पादन पर ही ध्यान देना चाहिए। उन्होंने कहा, ‘अभी कोयले की मांग बहुत अधिक है, इसलिए कोल इंडिया को कोयला उत्पादन बढ़ाने पर जोर देना चाहिए।

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