गंभीर पीलिया से ग्रसित नवजात बालिका का रक्त बदल बचाई जान
चित्तौड़गढ़। जिला चिकित्सालय की नवजात शिशु वार्ड इकाई अपनी अच्छी सेवाओं एवं गंभीर रूप से बीमार शिशुओं के बेहतर उपचार के लिए एक अलग ही मुकाम रखती है। चित्तौडगढ के आस पास नवजात शिशुओं की इस तरह की सुविधा नही है जो इस चिकित्सालय की एस.एन.सी.यू में उपलब्ध है। प्रमुख विशेषज्ञ एंव प्रभारी एस.एन.सी.यू डॉ.जय सिंह के नेतृत्व में इकाई नए मुकाम हासिल करती रही है। अब इस इकाई ने गंभीर पीलिया से ग्रसित दो दिन पूर्व जन्मे नवजात शिशु में रक्त बदलने का पहला मामला है। डॉ. जयसिंह ने बताया कि बेगू ब्लॉक के चेची गॉव की सन्नू पत्नी अशोक कंजर ने एक नवजात बालिका को जन्म दिया था। जन्म के 24 घण्टे के अन्दर ही शिशु पीलिया ग्रसित हो गई एवं उसका पीलिया का स्तर बड़ी तेजी से बढ गया। मापदण्ड के अनुसार शिशु का फोटोथेरेयी से उपचार शुरू कर दिया गया लेकिन शाम तक कोई सुधार नही होने पर शिशु का रक्त बदला गया। डॉ जय सिंह ने बताया कि शिशु के शरीर के संपूर्ण रक्त को बदलने की प्रकिया को ब्लड एक्सचेन्ज ट्रॉन्सफ्यूजन कहते है जो अक्सर मेडिकल कॉलेजों में ही होती है। यह प्रक्रिया चित्तौड में पहले कभी भी नही की गई थी। ब्लड बैंक प्रभारी डॉ अनिल सैनी का भी पूरा सहयोग रहा। शिशु के पीलिया के स्तर में काफी गिरावट आ गई जो अब स्वस्थ है। इस प्रक्रिया में सहयोगी सदस्य मनीष तिवारी, मनीष भट्ट, अकिंत पारीक, लोकेश धाकड़, रेखा जाट एवं निर्मला टांक रहे।