मोदी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव गिरा, अधीर रंजन लोकसभा से निलंबित; PM ने विपक्ष को लताड़ा
मोदी सरकार के खिलाफ विपक्षी दलों का लाया अविश्वास प्रस्ताव गुरुवार यानी 10 अगस्त को गिर गया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अंत में अविश्वास प्रस्ताव पर जवाब दिया। मोदी ने 2 घंटे 12 मिनट का भाषण दिया, जिसमें वे मणिपुर पर 1 घंटे 52 मिनट बाद बोले। बड़ी बात ये कि जब प्रधानमंत्री ने मणिपुर पर बात शुरू की, उसके पहले ही विपक्ष सदन से वॉकआउट कर चुका था।
पीएम ने ये भी कहा- यूपीए को लगता है कि देश के नाम का इस्तेमाल कर विश्वसनीयता बढ़ाई जा सकती है। ये इंडिया गठबंधन नहीं है। ये घमंडिया गठबंधन है। इसकी बारात में हर कोई दूल्हा बनना चाहता है। सबको प्रधानमंत्री बनना है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि देश की जनता ने हमारी सरकार के प्रति बार-बार जो विश्वास जताया है, वे आज देश के कोटि-कोटि नागरिकों का आभार व्यक्त करने के लिए उपस्थित हुआ हूं। कहते हैं कि भगवान बहुत दयालु है और भगवान की मर्जी होती है कि वो किसी न किसी माध्यम से अपनी इच्छा की पूर्ति करता है। मैं इसे भगवान का आशीर्वाद मानता हूं कि विपक्ष प्रस्ताव लेकर आया। 2018 में भी यह ईश्वर का ही आदेश था, जब विपक्ष के मेरे साथी अविश्वास प्रस्ताव लेकर आए थे। उस समय भी मैंने कहा था कि अविश्वास प्रस्ताव हमारी सरकार का फ्लोर टेस्ट नहीं है, बल्कि ये उन्हीं (विपक्ष) का फ्लोर टेस्ट है। हुआ भी यही।
उन्होंने आगे कहा कि जब मतदान हुआ, तो विपक्ष के पास जितने वोट थे, उतने वोट भी वो जमा नहीं कर पाए थे। इतना ही नहीं, जब हम सब जनता के पास गए तो जनता ने भी पूरी ताकत के साथ इनके लिए नो-कॉन्फिडेंस घोषित कर दिया और चुनाव में एनडीए को भी ज्यादा सीटें मिलीं और भाजपा को भी ज्यादा सीटें मिलीं। यानी एक तरह से विपक्ष का अविश्वास प्रस्ताव हमारे लिए शुभ होता है।
पीएम बोले- राजनीति आपके लिए प्राथमिकता थी
उन्होंने कहा कि अच्छा होता कि सत्र की शुरुआत के बाद से ही विपक्ष ने गंभीरता के साथ सदन की कार्यवाही में हिस्सा लिया होता। बीते दिनों दोनों सदनों ने जनविश्वास बल, डिजिटल डेटा प्रोटेक्शन बिल जैसे कई महत्वपूर्ण बिल यहां पारित किए और। ऐसे बिल भी थे कि जो हमारे मछुआरों के हक में थे, जिसका फायदा केरल के मछुआरों को होना था। केरल के सांसद तो इस पर अच्छे से हिस्सा लेते थे, राजनीति ऐसी हावी है कि उन्हें इसी बिल की चिंता नहीं है। हिंदुस्तान साइंस पावर के रूप में कैसे उभरे, उससे जुड़े बिल पर भी आपका ऐतराज? डिजिटल डेटा प्रोटेक्शन बिल भी देश के युवाओं के जज्बे से जुड़ा हुआ था। आने वाला समय तकनीक से चलेगा, आज डेटा को एक प्रकार से सेकेंड ऑयल, सेकेंड गोल्ड के रूप में माना जाता है। उस पर गंभीर चर्चा की जरूरत थी, लेकिन राजनीति आपके लिए प्राथमिकता थी।
प्रधानमंत्री ने कहा- आप कट्टर भ्रष्ट साथियों की शर्त पर मजबूर होकर जुटे
पीएम मोदी ने कहा कि देश की जनता ने उन्हें जिस काम के लिए यहां भेजा है, उस जनता का भी विश्वासघात किया गया है। विपक्ष के कुछ दलों ने उनके आचरण और उनके व्यवहार से सिद्ध कर दिया है कि उनके लिए देश से बड़ा दल है। देश से पहले प्राथमिकता दल है। मैं समझता हूं कि आपको गरीब की भूख की चिंता नहीं है, सत्ता की भूख ही आपके दिमाग में सवार है। आपको देश के युवाओं के भविष्य की परवाह नहीं, अपने राजनीतिक भविष्य की चिंता है। इन्होंने एक दिन सदन चलने भी दिया, लेकिन किस काम के लिए? अविश्वास प्रस्ताव के लिए और अपने कट्टर भ्रष्ट साथियों की शर्त पर मजबूर होकर जुटे।
पीएम ने कहा- आपके दरबारी भी सोशल मीडिया पर बहुत दुखी
प्रधानमंत्री ने कहा- अविश्वास प्रस्ताव पर भी आपने कैसे चर्चा की? आपके दरबारी भी सोशल मीडिया पर बहुत दुखी हैं। मजा देखिए। फील्डिंग विपक्ष ने लगाई, लेकिन चौके-छक्के यहीं (सत्तापक्ष) से लगे। इधर तो सेंचुरी हो रही है, लेकिन विपक्ष नो बॉल पर ही चर्चा करता जा रहा है। मैं विपक्ष के साथियों से यही कहूंगा कि तैयारी करके क्यों नहीं आते जी? थोड़ी मेहनत कीजिए। मैंने पांच साल दिए थे आपको तैयारी के लिए। 2018 में मैंने कहा था कि तैयारी करके आना। क्या हाल है आपका? क्या दारिद्र है? विपक्ष के हमारे साथियों को दिखास की, छपास की इच्छा रहती है, स्वाभाविक है। आप ये मत भूलिए कि देश भी आपको देख रहा है। आपके एक-एक शब्द को देश गौर से सुन रहा है, लेकिन हर बार देश को आपने निराशा के सिवा कुछ नहीं दिया। विपक्ष के रवैये पर कहूंगा कि जिनके खुद के बही-खाते बिगड़े हुए हैं, वो भी हमसे हमारा हिसाब पूछते हैं।
अधीर रंजन पर तंज- गुड़ का गोबर कैसे करना, इसमें ये माहिर हैं
सबसे बड़े विपक्षी दल के नेता का बोलने की सूची में नाम ही नहीं था। 1999 में वाजपेयी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव आया। तब शरद पवार साहब ने नेतृत्व किया। 2003 में अटलजी की सरकार थी। सोनिया जी ने लीड ली, प्रस्ताव रखा। 2018 में खडगे जी थे, उन्होंने इसे आगे बढ़ाया, लेकिन इस बार अधीर बाबू का क्या हाल हो गया? उनकी पार्टी ने उन्हें बोलने का मौका नहीं दिया, ये तो कल अमित भाई ने बहुत जिम्मेदारी के साथ कहा कि अच्छा नहीं लग रहा है। आपकी उदारता थी कि समय समाप्त हो गया था, तब भी आपने उन्हें मौका दिया। लेकिन गुड़ का गोबर कैसे करना, इसमें ये माहिर हैं।
पीएम ने कहा- हम अधीर बाबू के प्रति अपनी पूरी संवेदना व्यक्त करते हैं
प्रधानमंत्री ने कहा कि पता नहीं हो सकता है इंडिया से कोई फोन आया हो। कांग्रेस बार-बार उनका अपमान करती है। कभी चुनावों के नाम उन्हें अस्थाई रूप से उन्हें हटा देते हैं। हम अधीर बाबू के प्रति अपनी पूरी संवेदना व्यक्त करते हैं। ...जरा जोर से हंस लीजिए।
इस कालखंड का प्रभाव हजार साल तक रहेगा
पीएम ने कहा कि देश के इतिहास में एक समय ऐसा होता है कि वह पुरानी बंदिशों को तोड़कर नई ऊर्जा के साथ आगे बढ़ने के लिए कदम उठाता है। इक्कीसवीं सदी के साथ यह कालखंड हमारे लिए अवसर लेकर आया है। हम ऐसे कालखंड में हैं, जो बहुत अहम है। मैं विश्वास से कहना चाहता हूं कि यह कालखंड जो करेगा, इसका प्रभाव इस देश में आने वाले हजार साल तक रहने वाला है। 140 करोड़ देशवासियों का पुरुषार्थ और सामर्थ्य आने वाले एक हजार साल की मजबूत नींव रखने वाला है। इसलिए इस कालखंड में हम सभी का बहुत बड़ा दायित्व और जिम्मेदारी है। ऐसे समय हम सभी का एक ही फोकस होना चाहिए, देश का विकास, सपनों को पूरा करने का संकल्प। यही समय की मांग है। 140 करोड़ देशवासियों की सामूहिक ताकत उस ऊंचाई पर पहुंचा सकती है। आज विश्व ने उनका लोहा माना हुआ है। हम उन पर भरोसा करें। हमारी युवा पीढ़ी भी संकल्प को सिद्धि तक ले जाने का सामर्थ्य रखती है।
साख पर दाग लगाने की कोशिश में हैं
पीएम ने कहा कि 2014 में तीस साल के बाद देश की जनता ने पूर्ण बहुमत की सरकार बनाई और 2019 में भी हुआ। उनके संकल्पों को साकार करने का सामर्थ्य कहां है, यह देश जान गया है। इसलिए 2019 में एक बार फिर देश की सेवा करने का मौका दिया। इस सदन में बैठे प्रत्येक व्यक्ति की जिम्मेदारी है कि वह भारत के युवाओं के सपनों को, महत्वाकांक्षाओं को अवसर दें। सरकार में रहते हुए हमने भी इस दायित्व को निभाने का भरपूर प्रयास किया। हमने भारत के युवाओं को घोटालों से रहित सरकार की। हमने दुनिया में भारत की बिगड़ी हुई साख को संभाला है और उसे एक बार फिर नई ऊंचाई पर ले गए हैं। अभी भी कुछ लोग साख पर दाग लगाने की कोशिश में हैं, लेकिन दुनिया जान चुकी है।
मोदी ने कहा- जनता के आत्मविश्वास को तोड़ने की कोशिश हुई
उन्होंने कहा कि हमारे विपक्ष के साथियों ने क्या किया? जब चारों तरफ संभावनाएं ही संभावनाएं हैं, तब इन्होंने अविश्वास प्रस्ताव की आड़ में जनता के आत्मविश्वास को तोड़ने की कोशिश की है। आज भारत के युवा रिकॉर्ड संख्या में स्टार्टअप खोलकर चकित कर रहे हैं। रिकॉर्ड विदेशी निवेश आ रहा है। निर्यात नई बुलंदी को छू चुका है। आज ये भारत की कोई अच्छी बात सुन नहीं सकते हैं। आज गरीब के दिल में अपने सपने पूरा करने का भरोसा पैदा हुआ है। आज देश में गरीबी तेजी से घट रही है। नीति आयोग की रिपोर्ट के अनुसार पिछले पांच साल में साढ़े तेरह करोड़ गरीबी से बाहर आए हैं।
स्वच्छ भारत अभियान से तीन लाख लोगों की जिंदगी बची
प्रधानमंत्री ने कहा कि WHO कहता है कि स्वच्छ भारत अभियान के जरिए तीन लाख लोगों की जिंदगी बची है। ये लोग हैं कौन? वही जो झुग्गी-झोपड़ी में जीने को मजबूर हैं। ये गरीब परिवार के लोग हैं। गांव में जीने वाले लोग हैं। वंचित तबके के लोग हैं, जिनकी जान बची है। यूनिसेफ ने कहा कि स्वच्छ भारत अभियान के कारण हर साल गरीबों के 50 हजार रुपये बच रहे हैं, लेकिन भारत की इन उपलब्धियों से कांग्रेस समेत विपक्ष के कुछ लोगों को अविश्वास है। जो सच्चाई दूर से दिख रही है, वह इन्हें यहां रहते नहीं दिख रही है।
अधीर रंजन चौधरी के बयान को लेकर संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने आपत्ति जताई। उन्होंने मामले को विशेषाधिकार समिति के पास भेजने का प्रस्ताव रखा। उन्होंने कांग्रेस सांसद को सदन से निलंबित करने का प्रस्ताव भी रखा। उन्होंने कहा कि समिति की रिपोर्ट आने तक अधीर रंजन को निलंबित किया जाए। लोकसभा अध्यक्ष ने जोशी के प्रस्ताव पर मतदान कराया, जिसे ध्वनिमत से पारित कर दिया गया।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि 5 मार्च 1966 को कांग्रेस ने अपनी वायु सेना से मिजोरम में असहाय नागरिकों पर हमला करवाया। कांग्रेस को जवाब देना चाहिए कि क्या यह किसी अन्य देश की वायु सेना थी। क्या मिजोरम के लोग मेरे देश के नागरिक नहीं थे? क्या उनकी सुरक्षा भारत सरकार की जिम्मेदारी नहीं थी?
पीएम बोले- हमारी सरकार ने नॉर्थ ईस्ट को प्राथमिकता दी
पीएम मोदी ने कहा कि इनकी पीड़ा, संवेदना सेलेक्टिव है। इनकी सभी बातें राजनीति से शुरू होती है,राजनीति पर खत्म होती है। इन्हें राजनीति के अलावा कुछ नहीं सूझता। मणिपुर में छह साल से जो सरकार है, वह समस्या का हल ढूढ रही है। पहले तो आए दिन बंद होता था, कर्फ्यू लगता था। अब सरकार उसका समाधान खोज रही है। नॉर्थ ईस्ट जिस प्रकार से साउथ एशिया का विकास हो रहा है। हमारा नॉर्थ ईस्ट विकसित होने जा रहा है, इस विकास का केंद्र बिंदू बनने जा रहा है। इसलिए हमारी सरकार ने नॉर्थ ईस्ट को प्राथमिकता दी है। नौ सालों में हमने पूर्वोत्तर के लिए अहम काम प्राथमिकता के साथ किया है।
उसने हर भारतीय की भावना को गहरी ठेस पहुंचाई है: PM मोदी
उन्होंने कहा कि यहां सदन में मां भारती के बारे में जो कहा गया है, उसने हर भारतीय की भावना को गहरी ठेस पहुंचाई है। मुझे नहीं पता कि क्या हो गया है। सत्ता के बिना ऐसा हाल किसी को हो जाता है। सत्ता सुख के बिना जी नहीं सकते? क्या भाषा बोल रहे हैं? पता नहीं क्यों कुछ लोगों को भारत की मां की मृत्यु की कामना करते देखा गया, इससे बड़ा दुख क्या होगा। ये लोग कभी लोकतंत्र की, कभी संविधान की हत्या की बात करते हैं। दरअसल, जो इनके मन में है, वही उनके कृतित्व में सामने आ जाता है। मैं हैरान हूं। ये बोलने वाले कौन लोग हैं, देश भूल गया है। क्या विभाजन की पीड़ा हम भूल गए? उन चीखों को लेकर आज भी वह हमारे सामने आता है। वह लोग जिन्होंने मां भारती के तीन-तीन टुकड़े कर दिए, वह भी तब जब मां भारत की बेड़ियों को काटना था, तब इन्होंने मां भारती की भुजाएं काट दीं। ये लोग किस मुंह से ऐसा बोलने की हिम्मत करते हैं? ये वो लोग हैं, जिस वंदे मातरम गीत ने देश के लिए मर-मिटने की प्रेरणा दी थी। हिंदुस्तान के हर कोने में वंदे मातरम चेतना का स्वर बन गया था, इन्होंने वंदे मातरम गीत के भी टुकड़े कर दिए। ये वो लोग हैं, जो भारत तेरे टुकड़े होंगे गैंग को बढ़ावा देते हैं। ये उन लोगों की मदद कर रहे हैं, जो कहते हैं कि सिलीगुड़ी के पास जो कॉरिडोर हैं, उसे काट दें, तो पूर्वोत्तर अलग हो जाएगा।
जो बाहर गए, उन्हें पूछें कि कच्छतीवु कहां हैं, उनसे पूछिए। ये द्रमुक वाले मुझे चिट्ठी लिखते हैं कि मोदी जी उसे वापस ले आइए। तमिलनाडु से आगे और श्रीलंका से पहले यह टापू किसने किसी देश को दे दिया था? तब यह टापू मां भारती का अंग नहीं था? कौन था उस समय? श्रीमती इंदिरा गांधी के नेतृत्व में यह हुआ था। कांग्रेस का इतिहास मां भारती को छिन्न-भिन्न करने का रहा है। कांग्रेस का प्रेम क्या रहा है? एक सच्चाई बड़े दुख के साथ इस सदन के सामने रखना चाहता हूं। यह पीड़ा वह नहीं समझ पाएंगे, मैं चप्पे-चप्पे पर घुमा हुआ व्यक्ति हूं। मेरा इमोशनल अटैचमेंट है वहां के प्रति। मैं तीन प्रसंग आपके सामने रखना चाहता हूं।
मणिपुर चर्चा हो सकती थी, लेकिन इन्होंने झूठ फैला रखा है'
'अगर इन्होंने मणिपुर पर चर्चा की गृह मंत्री की बात पर सहमति दिखाई देती थी तो विस्तृत चर्चा हो सकती थी। विस्तार से जब इन्होंने बात रखी तो पता चला कि ये लोग कैसा झूठ फैलाते हैं, कितना पाप फैला रखा है। मणिपुर की स्थिति पर देश के गृह मंत्री ने बड़े धैर्य से और राजनीति के बिना सारे विषय को विस्तार से समझाया। उसमें देश की जनता को जागरूक करने का प्रयास था। मणिपुर की समस्या के लिए रास्ते खोजने का प्रयास था।'
मणिपुर पर अदालत का फैसला आया। अब अदालतों में क्या हो रहा है, ये हम जानते हैं। उसके पक्ष-विपक्ष में स्थिति बनी। कई परिवारों को मुश्किल हुई। महिलाओं के साथ गंभीर अपराध हुए। यह अपराध अक्षम्य है। दोषियों को कड़ी से कड़ी सजा दिलवाने के लिए हम भरपूर प्रयास कर रहे हैं। जिस प्रकार से प्रयास चल रहे हैं, निकट भविष्य में शांति का सूरज जरूर उगेगा। मणिपुर फिर एक बार नए आत्मविश्वास के साथ आगे बढ़ेगा। मैं मणिपुर के लोगों से भी आग्रहपूर्वक कहना चाहता हूं। वहां की माताओं, बहनों, बेटियों से कहना चाहता हूं- देश आपके साथ है। यह सदन आपके साथ है। हम सब मिलकर इस चुनौती का समाधान निकाल लिया, वहां शांति की स्थापना होगी। मणिपुर फिर विकास की राह पर तेज गति से आगे बढ़ेगा। प्रयासों में कोई कसर बाकी नहीं रहेगी।
प्रधानमंत्री ने कहा- नई दुकान पर कुछ दिनों में ताला लग जाएगा
'जिन लोगों ने गमले में कभी मूली नहीं उगाई, वो खेतों को देखकर हैरान होने ही हैं। जिन्होंने हमेशा गाड़ी का शीशा डाउन करके दूसरों की गरीबी देखी है, उन्हें सब हैरान करने वाला लग रहा है। इन लोगों को पता है कि इनकी नई दुकान पर कुछ दिनों में ताला लग जाएगा। आज इस चर्चा के बीच देश के लोगों को मैं बड़ी गंभीरता के साथ इस घमंडिया गठबंधन की आर्थिक नीति से भी सावधान करना चाहता हूं। ये घमंडिया गठबंधन ऐसी अर्थव्यवस्था चाहता है कि देश कमजोर हो। जिन आर्थिक नीतियों पर ये आगे बढ़ना चाहते हैं, जिस तरह खजाना लुटाकर वोट पाने का खेल खेल रहे हैं, आप आसपास के देशों में देख लीजिए। हमारे देश के राज्यों में भी इसका असर हो रहा है। चुनाव जीतने के लिए घोषणाएं की जा रही हैं। देशवासियों को सत्य समझाना चाहता हूं कि ये लोग भारत के दीवालिया होने की गारंटी है। ये अर्थव्यवस्था को डुबाने की गारंटी है। यह डबल डिजिटल महंगाई की गारंटी है। ये पॉलिसी पैरालिसिस की गारंटी है। तुष्टीकरण की गारंटी है। मोदी देश को गारंटी देता है कि तीसरे कार्यकाल में देश को तीसरे नंबर की अर्थव्यवस्था बनाएंगे। लोकतंत्र में जिनका भरोसा नहीं होता, वो सुनाने को तैयार होते हैं, लेकिन सुनने का धैर्य नहीं होता। अपशब्द बोलो, भाग जाओ। कूड़ा-कचरा फेंक भाग जाओ। झूठ फैलाओ, भाग जाओ।'
विपक्षी दलों ने वॉकआउट किया
पीएम मोदी के संबोधन के बीच विपक्षी दलों ने वॉकआउट कर दिया। इस पीएम ने कहा कि ये लोग सुनाने में तो विश्वास रखते हैं, लेकिन सुनने की क्षमता नहीं रखते।
राहुल पर तंज- इनके दिमाग का हाल देश लंबे समय से जानता है
'कुछ बातें समय पर कहने का अवसर मिलता है। इत्तेफाक देखिए। कल यहां दिल से बात करने की बात कही गई थी। उनके दिमाग के हाल को तो देश लंबे समय से जानता है, लेकिन अब उनके दिल का भी पता चल गया। इनका मोदी प्रेम तो इतना जबर्दस्त है कि चौबीसों घंटे सपने में मोदी आता है। अगर पानी पी लें तो कहते हैं कि मोदी को पानी पिला दिया। अगर मैं कड़ी धूप में भी चल पड़ता हूं और पसीना पोंछ देता हूं तो कहते हैं कि मोदी को पसीना ला दिया। इनके जीने का सहारा देखिए। एक गीत की पंक्ति है- डूबने वाले को तिनके का सहारा ही बहुत, दिल बहल जाए फकत इतना कि सारा ही बहुत, इतने पर भी आसमां वाला गिरा दे बिजलियां, कोई बतला दे जरा ये डूबता फिर क्या करे। मैं कांग्रेस की मुसीबत समझता हूं। इनकी लूट की दुकान है, झूठ का बाजार है। इसमें नफरत है, घोटाले हैं, तुष्टीकरण है, मन काले हैं, परिवारवाद के हवाले देश दशकों से हवाले है। तुम्हारी दुकान ने इमरजेंसी बेची है, बंटवारा बेचा है, सिखों पर जुल्म बेचे हैं। शर्म करो नफरत की दुकान वालों, तुमने सेना का स्वाभिमान बेचा है।'
कांग्रेस, नो कॉन्फिडेंस
उन्होंने कहा, 'कांग्रेस अपने घमंड से इतनी चूर हो गई है कि उसे जमीन दिखाई तक नहीं देती। 61 वर्षों से तमिलनाडु के लोग कह रहे हैं कि कांग्रेस नो कॉन्फिडेंस। पश्चिम बंगाल में उन्हें आखिरी बार 1972 में मिली थी, वे 51 साल से कह रहे हैं कांग्रेस नो कॉन्फिडेंस। उत्तर प्रदेश, गुजरात के लोग 38 साल से कांग्रेस को कह रहे हैं- नो कॉन्फिडेंस। त्रिपुरा के लोग 35 वर्षों से यही कह रहे हैं। ओडिशा में कांग्रेस को आखिरी बार 1995 में जीत मिली थी, यानी 28 वर्षों से कांग्रेस को एक ही जवाब मिल रहा है- कांग्रेस नो कॉन्फिडेंस। नगालैंड के लोग भी 25 वर्षों से यही कह रहे हैं। जनता ने कांग्रेस के प्रति बार-बार नो कॉन्फिडेंस घोषित किया है।'
पीएम ने कहा- मैग्नेटिक पावर इनके पास है
पीएम ने कहा कि कश्मीर दिन-रात जल रहा था, लेकिन कांग्रेस को कश्मीर के आम नागरिकों पर नहीं, हुर्रियत पर विश्वास करते थे। भारत ने आतंकवाद पर सर्जिकल स्ट्राइक किया, एयर स्ट्राइक किया। इन्हें भारत की सेना पर भरोसा नहीं था, दुश्मन के दावों पर भरोसा था। दुनिया में कोई भारत पर अपशब्द कहे, तुरंत उसे पकड़ लेते हैं। ऐसी मैग्नेटिक पावर इनके पास है। भारत में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर देते हैं। मिट्टी के ढेले जितनी भी जिसकी कीमत न हो, ऐसी बातों को तवज्जो देना कांग्रेस की फितरत रही है।