सांप ही नहीं, बिच्छू-छिपकली भी नशेड़ियों की सूची में, पूंछ सुखाकर बना लेते नशे की खुराक
नशे की पूर्ति के लिए करने के लिए नशेड़ी चरस, गांजा और शराब से आगे निकल गए हैं। नोएडा में रेव पार्टी के दौरान पुलिस ने जहरीले सांप और उनसे निकला जहर बरामद किया। फरीदाबाद में सांप से नशा करने वाले सार्वजनिक रूप से सामने नहीं आते। यहां बिच्छू और छिपकली से किए जाने वाले नशे के बारे में कई लोग बताते हैं। इसका प्रभाव जेल और नशा मुक्ति केंद्र तक भी फैला हुआ है। क्योंकि यहां ये आसानी से मिल जाते हैं।
नशे के आदी हो चुके लोगों को किसी भी कीमत पर नशे की पूर्ति करनी होती है। हाल ही में जितने भी घरेलू और वाहन चोर पुलिस ने पकड़े, उन्होंने पूछताछ में बताया कि नशे की पूर्ति के लिए वे अपराध को अंजाम देते हैं। जेल जाने के बाद भी नशे की लत उनका पीछा नहीं छोड़ती। यहां नशे की पूर्ति के लिए वे जीव जंतुओं से होने वाले नशे की तरफ आकर्षित हो जाते हैं।
नीमका स्थित जिला कारागार में बने नशा मुक्ति केंद्र के पूर्व कोऑर्डिनेटर जगत तेवतिया ने बताया जेल में उनके सामने कई ऐसे मामले सामने आए जिनमें लोग छिपकली को खाकर नशे की पूर्ति करते रहे हैं। जेलों में बंदियों को मादक पदार्थ उपलब्ध न होने के कारण नशे के आदि इस तरह की चीजों का उपयोग करते हैं। नशेड़ी जेल की दीवारों पर छिपकली को किसी पत्थर से मारकर नीचे गिरा लेते हैं। उसकी पूंछ को धूप में सुखाकर हल्की आग पर भूनने के बाद बीड़ी या सिगरेट के तंबाकू के साथ सेवन करते हैं। इससे उन्हें “इंस्टेंट हाई” और कैनाबिस के समान अनुभव होता है। जेल के अन्य कैदी नए वालों को इस नशे के बारे में बता देते हैं।
सांप के जहर से बने ममीरा से भी लेते हैं नशे का आनंद
बातचीत में गांव राजपुर निवासी सपेरे प्रभुनाथ ने बताया सांप के जहर से ममीरा (सांप के जहर से बनने वाला सुरमा, जिससे आंखों की रोशनी बढ़ाने का दावा होता है) बनाया जाता है। इसे आंखों की रोशनी बढ़ाने के लिए काम में लाया जाता था। कुछ लोग इसमें जहर की मात्रा ज्यादा बढ़ाकर नशे के लिए इस्तेमाल करते हैं।
10 घंटे तक रहता है बिच्छू का नशा
सांप से कटवाने की बात को सपेरों ने सिरे से नकार दिया। दबी जबान में एक बुजुर्ग ने बताया अफीम की लत से जूझ रहे लोग नशे में आगे बढ़ने के लिए बिच्छू का इस्तेमाल करते हैं। इसमें मरे हुए बिच्छू को धूप में सुखाकर कोयले पर जलाया जाता है। उसकी पूंछ में सारा जहर होता है। कुछ लोग जली हुई पूंछ को चरस और तंबाकू के साथ मिलाकर सिगरेट में भी पीते हैं। इसका नशा करीब 10 घंटों तक पूरे चरम पर रहता है। धीरे-धीरे ये कम होने लगता है।