25 हजार गिफ्ट लेने से पहले अब सरकार से लेनी होगी अनुमति
केंद्र सरकार में अफसरों और कार्मिकों द्वारा विदाई/सम्मान समारोह आयोजित करने में मनमर्जी बरती जा रही है। यह भी देखने में आया है कि सरकार द्वारा तय मापदंडों के विपरित, गिफ्ट लिए जा रहे हैं। सीसीएस (आचरण) नियम, 1965 के नियम 14 के अनुसार, निजी निकायों और संस्थानों के सरकारी कर्मचारियों द्वारा पुरस्कार स्वीकार करने के संबंध में डीओपीटी द्वारा समय-समय पर निर्देश जारी किए जाते रहे हैं, लेकिन इसके बावजूद पूरी तरह से तय नियमों का पालन सुनिश्चित नहीं हो पा रहा। अब सरकार द्वारा ऐसे मामलों में सख्ती बरती जाएगी। इस तरह के समारोह में शामिल होने या गिफ्ट लेने से पहले, 'बॉस से लेकर बाबू' तक सभी को इजाजत लेनी होगी।
नियमों में कुछ ढील दी गई हैं, बशर्ते
बता दें कि सीसीएस (आचरण) नियम, 1964 के नियम 14 में प्रावधान है कि कोई भी सरकारी कर्मचारी, सरकार की पूर्व मंजूरी के बिना, कोई भी मानार्थ या विदाई भाषण नहीं दे सकता। वह कोई भी प्रशंसापत्र स्वीकार नहीं करेगा। अगर किसी अधिकारी या कर्मचारी के सम्मान में कोई समारोह/मनोरंजन कार्यक्रम आयोजित होता है तो वह उसमें भाग नहीं लेगा। हालांकि इन नियमों में कुछ ढील भी दी गई है। जैसे किसी सरकारी कर्मचारी के सम्मान में आयोजित समारोह/मनोरंजन कार्यक्रम, निजी और अनौपचारिक हो। सेवानिवृत्ति, स्थानांतरण या कोई ऐसा व्यक्ति, जिसने हाल ही में सरकार की सेवा छोड़ दी है तो उस स्थिति में सार्वजनिक निकायों या संस्थानों द्वारा जो भी समारोह आयोजित किया जाता है तो वह सरल और सस्ता होना चाहिए। यानी वहां पर सस्ते मनोरंजन की स्वीकृति रहेगी।
सरकार के पास स्वयं कई तरीके खुले हैं
डीओपीटी के मुताबिक, सामान्य तौर पर, ऐसे पुरस्कार निजी निकायों और संस्थानों द्वारा दिए जाते हैं। इन संस्थानों को सरकारी कर्मचारियों को प्रोत्साहित करने की आवश्यकता नहीं है। यदि किसी सरकारी कर्मचारी ने कोई उत्कृष्ट कार्य किया है, तो उसकी योग्यताओं और सेवाओं को मान्यता देने के लिए सरकार के पास स्वयं कई तरीके खुले हैं। ऐसे में वह किसी निजी संस्था से पुरस्कार स्वीकार करे, ऐसा करना उचित नहीं होगा। असाधारण परिस्थितियों में अपने कार्यों के दायरे से बाहर किए गए काम के लिए सरकार खुद प्रोत्साहन देती है। ऐसी स्थिति में किसी अधिकारी की योग्यता को पुरस्कृत करने के बारे में सरकार विचार करती है। अगर कोई कर्मचारी किसी विशेष पुरस्कार का हकदार है तो ऐसे मुद्दों पर निर्णय लेना सक्षम प्राधिकारी के विवेक पर छोड़ दिया जाता है। यहां पर देखा जाता है कि वह प्रक्रिया तय मानदंड के आधार पर हो और उचित एवं विवेकपूर्ण रहे। उस पुरस्कार में कोई मौद्रिक घटक नहीं होना चाहिए।
पुरस्कार के लिए लेनी होगी सक्षम प्राधिकारी की मंजूरी
डीओपीटी द्वारा 4 दिसंबर को जारी कार्यालय ज्ञापन में कहा गया है कि सरकारी कर्मचारियों को निजी ट्रस्टों/फाउंडेशनों आदि द्वारा स्थापित मौद्रिक लाभ के पुरस्कार स्वीकार करने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए। इसके बावजूद यह देखा गया है कि इन निर्देशों का उनकी वास्तविक भावना के अनुसार पालन नहीं किया जा रहा है। निजी निकायों/संस्थाओं/संगठनों द्वारा दिए गए पुरस्कार केवल सक्षम प्राधिकारी की पूर्वानुमति से ही स्वीकार किए जा सकते हैं। कोई सरकारी कर्मचारी, पुरस्कार स्वीकार करना चाहता है तो उसे सक्षम प्राधिकारी यानी संबंधित मंत्रालय/विभाग के सचिव की इजाजत लेनी होगी। भारत सरकार के सचिवों द्वारा ऐसा कोई पुरस्कार लिया जाता है तो उसकी स्वीकृति के लिए सक्षम प्राधिकारी कैबिनेट सचिव होंगे। सक्षम प्राधिकारी भी कुछ शर्तों के साथ और केवल असाधारण परिस्थितियों में ही मंजूरी दे सकते हैं। जैसे पुरस्कार में नकद या अन्य किसी तरह की सुविधाओं के रूप में कोई मौद्रिक घटक नहीं होना चाहिए। जिस निजी निकाय/संस्था/संगठन द्वारा पुरस्कार/सम्मान दिया जा रहा है तो उसकी साख बेदाग होनी चाहिए। सभी मंत्रालयों/विभागों से अनुरोध किया गया है कि वे इन दिशानिर्देशों का कड़ाई से पालन सुनिश्चित करें।