संतदास महाराज के 274 वे निर्वाण दिवस पर दांतड़ा धाम पर गुंजे रामनाम के जयकारे

संतदास महाराज के 274 वे निर्वाण दिवस पर दांतड़ा धाम पर गुंजे रामनाम के जयकारे
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पारोली। अंतर्राष्ट्रीय संत दासोत धाम दांतड़ा में संतदास महाराज का 274 वां निर्वाण  दिवस पर्व  श्रद्धापूर्वक मनाया गया। 

 संतदास जी महाराज की अखंड वाणी का पाठ हुआ।

 उसके बाद पीठाधीश्वर निर्मल राम महाराज के मुखारविंद से 

मुझे मेरी मस्ती कहां ले चली---,  संतो के संग लाग रे तेरी अच्छी बनेगी--- , राम भज ले अभी मौका -- सरीखे भजनों पर श्रद्धालु भाव विभोर हो झुम उठे।

राम नाम के जयकारों से दांतड़ा धाम गूंजायमान  हो उठा।

 पीठाधीश्वर निर्मलराम महाराज ने महानिर्वाण पर्व पर विशेष पूजा अर्चना की।

देश के कोने-कोने से  आये श्रद्धालुओं को  महाराज जी ने आशीर्वाद दिया। 

कोटडी प्रधान करण सिंह कानावत, ठाकुर रामेश्वर सिंह, भीमसिंह मेंड‌तिया सहित आसपास सहित  उत्तरप्रदेश , बंगाल, गुजरात ,पंजाब , हरियाणा सहित देश के विभिन्न राज्यों से आये हजारों लोगों ने  इस महानिर्वाण पर्व का हिस्सा बनकर अपने आपको धन्य महसूस किया तथा वाणीजी तथा  पीठाधीश्वर महाराज की आरती की।

 

 पीठाधीश्वर निर्मलराम महाराज ने धर्म सभा को संबोधित करते हुए कहा कि जीवन में धैर्य को धारण करना जरूरी  है भजन, स्वाध्याय धैर्य के बिना संभव नहीं है ।

धर्मात्मा बनने से पहले धैर्यवान बनना जरूरी है।

वाणिजी सजीव  है जिसे अनुभव और धैर्य से पहचाना जा सकता है।

धर्म सभा के दौरान

 पीठाधीश्वर निर्मल राम महाराज दातड़ा धाम के पिछड़ेपन पर भावुक हो उठे।

इस मौके पर  महाराज के समक्ष श्रद्धालुओ ने अगली बार 275 वा निर्वाण दिवस बड़े हर्षोल्लास और धूमधाम पूर्वक मानने को लेकर दिल खोलकर राशि जुटाई है।

कैवल्य ज्ञान आश्रम काशी से आए अनुभव दास महाराज ने  बताया कि गुरु को ईश्वर से भी ऊपर का स्थान प्राप्त है। क्योंकि गुरु के ज्ञान व गुरु के बताए मार्ग से हम ईश्वर को प्राप्त कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि जो लोग गुरु के बताए मार्ग पर चलते हैं उन्हें जीवन में हर लक्ष्य की प्राप्ति होती है।

 इस अवसर पर उन्होंने देशवासियों की सुख, समृद्धि व शांति की अरदास  की ,इसी के साथ पांच दिवसीय आयोजन का हर्षोल्लासपूर्वक समापन हुआ।

 

*तीन जनो ने की चादर धारण, बने संत।*

 

संत दास महाराज के निर्वाण दिवस के मौके पर काशी कैवल्य ज्ञान आश्रम के महंत अनुभव दास महाराज के दोनों बेटे एवं एक जमाई ने इस मौके पर  दांतड़ा पीठाधीश्वर निर्मल राम महाराज के समक्ष चादर धारण कर संत संगती में शामिल हुए जो अब धर्म के अलख जगाएंगे।

कार्यक्रम के अंत में पंकत प्रसादी का आयोजन हुआ।

 

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