हर तीन मिनट में एक बाल विवाह, एक दिन में दर्ज होते हैं तीन मामले ही

हर तीन मिनट में एक बाल विवाह, एक दिन में दर्ज होते हैं तीन मामले ही
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 दिल्ली। बाल विवाह के मामलों में कमी के नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के आंकड़ों पर सवाल उठाते हुए कहा कि देश में हर तीन मिनट में एक बाल विवाह होता है, लेकिन एक दिन में इसके तीन मामले ही दर्ज होते हैं।

 

एनसीआरबी की सोमवार को जारी रिपोर्ट में साल 2021 के मुकाबले 2022 में बाल विवाह के मामले दर्ज होने की संख्या पांच फीसदी घटने का दावा करते हुए कहा गया है कि देश में साल 2021 में बाल विवाह के 1050 मामले दर्ज हुए थे जबकि 2022 में यह संख्या 1002 ही रही।

प्रख्यात बाल अधिकार कार्यकर्ता और एनजीओ ‘बाल विवाह मुक्त भारत’ के संस्थापक भुवन ऋभु ने मंगलवार को कहा कि संयुक्त राष्ट्र के अनुमान के अनुसार देश में हर साल 15 लाख से ज्यादा लड़कियों की शादी 18 साल की उम्र से पहले हो जाती है। इसका मतलब यह है कि देश में रोजाना 4320 और हर मिनट तीन बाल विवाह हो रहे हैं, जबकि एनसीआरबी के आंकड़े कुछ और कहते हैं। अपराध की दर और उसकी शिकायत में यह खाई बाल विवाह की रोकथाम के लिए जमीनी स्तर पर निगरानी एजेंसियों की जवाबदेही, उनके कामकाज के तरीकों और प्रतिबद्धता पर सवालिया निशान खड़े करती है।

उन्होंने कहा कि एक सामान्य घटना के बजाय बाल विवाह को अपराध के तौर पर देखना होगा। समाज व न्यायिक तंत्र का लक्ष्य निरोधक कानूनी उपायों के जरिए लोगों में सजा का भय पैदा कर उन्हें बाल विवाह के प्रति हतोत्साहित करने का होना चाहिए।

 

ऋभु ने बताया कि देश को साल 2030 तक बाल विवाह से मुक्त कराने के लक्ष्य के साथ 160 से ज्यादा गैर सरकारी संगठनों की ओर से महिलाओं की अगुआई में 300 जिलों में बाल विवाह मुक्त भारत अभियान चलाया जा रहा है। देश की 17 राज्य सरकारों ने विभिन्न विभागों व अफसरों-कर्मियों को इसके खात्मे के प्रयासों में बढ़-चढ़ कर हिस्सा लेने का निर्देश दिया गया है।

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