एक देश-एक चुनाव: सहमति बनने के बाद भी तैयारियों में लगेगा तीन साल का समय, 35 लाख से ज्यादा EVM-VVPAT की जरूरत

एक देश-एक चुनाव: सहमति बनने के बाद भी तैयारियों में लगेगा तीन साल का समय, 35 लाख से ज्यादा EVM-VVPAT की जरूरत
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दिल्ली।

एक देश- एक चुनाव  को लेकर इन दिनों राजनीतिक हलचल बढ़ी हुई है, हालांकि अभी यह तय नहीं है कि इस पर कब से अमल होगा, क्योंकि केंद्र सरकार ने इसकी संभावनाओं को तलाशने के लिए हाल ही में एक उच्च स्तरीय कमेटी गठित की है।

बावजूद इसके यदि एक साथ चुनाव कराने की सहमति बन भी जाती है तब भी इससे जुड़ी तैयारियों के लिए कम से कम तीन साल का समय लगेगा। यह इसलिए क्योंकि एक साथ चुनाव के लिए निर्वाचन आयोग (Election Commission) को 35 लाख से ज्यादा ईवीएम (इलेक्ट्रानिक वोटिंग मशीन) और वीवीपैट (वोटर वेरीफाइड पेपर आडिट ट्रेल) की जरूरत होगी।

जबकि रिपोर्ट के मुताबिक, अभी आयोग के पास तकरीबन 20 लाख ईवीएम और वीवीपैट ही मौजूद है। ऐसे में बाकी की पंद्रह लाख ईवीएम और वीवीपैट तैयार कराने में उसे समय लगेगा। साथ ही इसके लिए उसे एकमुश्त बड़े बजट की भी जरूरत होगी।

एक साथ चुनाव कराने की वैसे भी जब से चर्चा शुरू हुई है, तब से निर्वाचन आयोग भी अपने गुणा- गणित में जुटा हुआ है।

सूत्रों के मुताबिक, आयोग ऐसी स्थितियों में अपनी जरूरतों को समझने में जुटा है। फिलहाल अबतक जो जानकारी निकलकर सामने आयी है, उसके तहत उसकी चिंता अभी एक साथ चुनाव कराने के लिए ईवीएम और वीवीपैट मशीनों की उपलब्धता को लेकर है, क्योंकि मौजूदा समय में इन मशीनों को तैयार करने वाली कंपनियों की क्षमता साल में सिर्फ पांच लाख मशीनें ही तैयार करने की है।

ऐसे में पंद्रह लाख मशीनों को तैयार करने में तीन साल का समय लगेगा। यही नहीं इन मशीनों को खरीदने के लिए आयोग को पांच हजार करोड़ से ज्यादा राशि की जरूरत पड़गी 

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