बड़े देशों में तेजी से बढ़ी हमारी जीडीपी, पहली छमाही का अनुमान 7.7 फीसदी बढ़कर 82.11 लाख करोड़ रुपये
पश्चिमी देशों में मंदी की आशंका और चीन में आर्थिक सुस्ती के बीच भारतीय अर्थव्यवस्था ने दूसरी तिमाही में सभी अनुमानों को पीछे छोड़ते हुए 7.6 फीसदी की दर से विकास हासिल की है। हमारी जीडीपी दुनिया के बड़े देशों की तुलना में सबसे ज्यादा तेजी से बढ़ी है। इस दौरान चीन की विकास दर केवल 4.9 फीसदी रही है।अप्रैल से सितंबर के दौरान पहली छमाही में जीडीपी का अनुमान 7.7 फीसदी बढ़कर 82.11 लाख करोड़ रहा है, जो एक साल पहले 76.22 लाख करोड़ रुपये रहा था। 2022-23 की पहली छमाही में इसमें 9.5 फीसदी की दर से बढ़त दर्ज की गई थी। अप्रैल से सितंबर के बीच वर्तमान मूल्य पर हमारी अर्थव्यवस्था का आकार 142.33 लाख करोड़ रुपये आंका गया है। एक साल पहले के 131.09 लाख करोड़ रुपये की तुलना में यह अनुमान 8.6 फीसदी अधिक है। 2022-23 में इसी अवधि में यह 22.2 फीसदी बढ़ा था।
आठ प्रमुख इन्फ्रा क्षेत्रों की वृद्धि दर 12.1%
आठ प्रमुख इन्फ्रा क्षेत्रों की वृद्धि अक्तूबर में 12.1% रही है। एक साल पहले 0.7% बढ़ी थी। सितंबर में इनकी विकास दर 9.2% रही थी। अप्रैल से अक्तूबर के दौरान 8.6% रही है जो एक साल पहले 8.4% रही थी। औद्योगिक उत्पादन सूचकांक में इनका योगदान 40% है।
राजकोषीय घाटा बजट लक्ष्य का 45 फीसदी
देश का राजकोषीय घाटा अप्रैल से अक्तूबर में 8.03 लाख करोड़ रहा है। यह सरकार के पूरे साल के बजट लक्ष्य का 45 प्रतिशत है। पिछले साल 45.6 प्रतिशत था। 2023-24 के लिए सरकार ने 17.86 लाख करोड़ या जीडीपी का 5.9 फीसदी के राजकोषीय घाटे का लक्ष्य रखा है। सरकार के खर्च और राजस्व के बीच के अंतर को राजकोषीय घाटा कहते हैं। कुल राजस्व में 13.02 लाख करोड़ टैक्स और 2.66 लाख करोड़ गैर टैक्स रहा। गैर टैक्स राजस्व इसलिए बढ़ा, क्योंकि आरबीआई ने सरकार को 87,416 करोड़ रुपये देने की मंजूरी दी थी।