पीएम मोदी बोले- GST से टैक्स में कमी आई, देशवासियों पर घट गया बोझ
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को 'फाइनेंशियल सेक्टर' विषय पर पोस्ट बजट वेबीनार को संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने टैक्स और देश की अर्थव्यवस्था को लेकर कई बातें कहीं। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, जीएसटी के चलते टैक्स प्रक्रिया में काफी सुधार हुआ है। एक समय तो हर तरफ यही बात छाई रहती थी कि भारत में टैक्स रेट कितना ज्यादा है। आज स्थिति बिल्कुल अलग है। GST की वजह से, इनकम टैक्स कम होने की वजह से, कॉर्पोरेट टैक्स कम होने की वजह से भारत में टैक्स बहुत कम हुआ है, वो बोझ नागरिकों पर बहुत कम होता जा रहा है।'
प्रधानमंत्री ने कहा, '2013-14 के दौरान हमारा सकल कर राजस्व करीब 11 लाख करोड़ था, 2023-24 के अनुमानों के मुताबिक सकल कर राजस्व अब 33 लाख करोड़ से ज्यादा का हो सकता है। यानी भारत टैक्स रेट कम कर रहा है बावजूद इसके कलेक्शन बढ़ रहा है।'
उन्होंने आगे कहा, 'पीएम गतिशक्ति की वजह से प्रोजेक्ट की प्लानिंग और उसे लागू करने में अभूतपूर्व तेजी आ गई है। हमें अलग-अलग भौगोलिक और आर्थिक क्षेत्र की प्रगति के लिए काम करने वाले प्राइवेट सेक्टर को भी ज्यादा से ज्यादा सपोर्ट करना होगा।'
पीएम ने और क्या कहा?
प्रधानमंत्री ने आगे वोकल फॉर लोकल की जानकारी भी दी। कहा, 'वोकल फॉर लोकल और आत्मनिर्भरता... यह हमारे लिए पसंद का मुद्दा नहीं है। यह भविष्य को प्रभावित करने वाला मुद्दा है। वोकल फॉर लोकल और आत्मनिर्भरता का विजन एक राष्ट्रीय जिम्मेदारी है।'
उन्होंने कहा, 'भारत फाइनेंशियल अनुशासन, पारदर्शिता को साथ लेकर चल रहा है तो एक बड़ा बदलाव भी हम देख रहे हैं। वित्तीय समावेशन से जुडी सरकार की नीतियों ने करोड़ों लोगों को फॉर्मल फाइनेंशियल सिस्टम का हिस्सा बना दिया है। आज समय की मांग है की भारत की बैंकिंग सिस्टम में आई मजबूती का लाभ ज्यादा से ज्यादा आखिरी छोर तक... जमीन तक पहुंचे। जैसे हमने MSME को सपोर्ट किया वैसे ही भारत के बैंकिंग सिस्टम को ज्यादा से ज्यादा सेक्टर्स की हैंड होल्डिंग करनी होगी।'
बैंकिंग व्यवस्था लाभ में आ गई है
पीएम ने कहा, 'जो बैंकिंग व्यवस्था 8-10 साल पहले डूबने की कगार पर थी वो अब लाभ में आ गई है। आज आपके पास एक ऐसी सरकार है जो लगातार साहसपूर्ण निर्णय कर रही है, नीतिगत निर्णयों में बहुत ही स्पष्ट है, आत्मविश्वास है और कन्विक्शन है। इसलिए आपको भी आगे बढ़ कर काम करना ही चाहिए।'