चित्तौड़गढ़ में बनेगा माँ पन्नाधाय और लोकदेवता अमराजी भगत का पैनोरमा

चित्तौड़गढ़ में बनेगा माँ पन्नाधाय और लोकदेवता अमराजी भगत का पैनोरमा
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चित्तौड़गढ़ । लोकदेवता अमरा जी भगत और पन्नाधाय पैनोरमा बनेगा। मुख्यमंत्री  अशोक गहलोत ने हाल ही जिले की यात्रा के दौरान इन दोनों पैनोरमा के निर्माण कार्यां का वर्चुअल शिलान्यास किया।
मुख्यमंत्री ने लोकदेवता अमरा जी भगत (अनगढ़ बावजी) के पेनोरमा तथा चित्तौड़गढ़ की ग्राम पंचायत माताजी की पांडोली में पन्नाधाय पैनोरमा के निर्माण कार्य का शिलान्यास किया। दोनों पैनोरमा के निर्माण के लिए उन्होंने पहले ही 4 करोड रुपए की स्वीकृति प्रदान कर दी है। 
पन्नाधाय पैनोरमा निर्माण के लिए राशि स्वीकृति के साथ ही चित्तौड़गढ़ यूआईटी द्वारा 7 बीघा जमीन आवंटित की गई है। जिला कलक्टर अरविन्द कुमार पोसवाल ने भदेसर तहसील की आक्या ग्राम पंचायत के नरबदिया में 3.50 हैक्टर भूमि आवंटित की है।
पैनोरमा में अमरा जी भगत द्वारा किए गए सामाजिक सरोकार के कार्यों को विभिन्न माध्यमों से दर्शाया जाएगा। दोनों पैनोरमा में मुख्य पैनोरमा भवन, सभागार, हॉल, पुस्तकालय, प्रवेश द्वार, छतरी, स्कल्पचर्स, ऑडियो-वीडियो सिस्टम, शिलालेख, विभिन्न आर्ट वर्क सहित अनेक कार्य होंगे।
उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री श्री अशोक गहलोत ने गाडरी समाज और जन भावनाओं के अनुरूप लोकदेवता अमरा जी भगत (अनगढ़ बावजी) पेनोरमा निर्माण की स्वीकृति दी है।
माँ पन्नाधाय का अविस्मरणीय बलिदान -
विश्व के इतिहास में पन्नाधाय के त्याग जैसा दूसरा उदाहरण अनुपलब्ध है। अविस्मरणीय बलिदान, साहस, त्याग, स्वाभिमान एवं स्वामी भक्ति के लिए पन्ना का नाम इतिहास में स्वर्ण अक्षरों में लिखा गया है। पन्ना राणा सांगा के पुत्र राणा उदयसिंह की धाय माँ थी। पन्नाधाय स्वामी को सर्वस्व अर्पण करने के लिए राणा सांगा के पुत्र उदय सिंह को माँ के स्थान पर दूध पिलाने के कारण पन्ना ‘ धाय माँ ’ कहलाई। पन्नाधाय को सर्वोत्कृष्ट बलिदान के लिए भी जाना जाता है जिन्होंने 1536 ईस्वी में अपने एकमात्र पुत्र चंदन की बाल्यावस्था में ही बलिदान देकर
मेवाड़ राज्य के कुलदीपक उदयसिंह की रक्षा की थी।
लोक देवता अमराजी भगत -
जिले के भदेसर तहसील के नरबदिया गांव में शिरोमणि लोक देवता अमराजी भगत का समाधि स्थल है। जब अमरा भगत का जन्म हुआ तो उन्होंने जन्म के 9 दिन तक अपनी माँ का दूध नहीं पिया था। सूर्य पूजन की रस्म पूरी करने के बाद माँ का दूध पीने पर इस यशस्वी बालक की चर्चा पूरे क्षेत्र में फैली। उस समय देश में प्लेग नाम की महामारी और ताप बीमारी फैली हुई थी। उन्होंने इस महामारी से लोगों को बचाने के लिए अनगढ़ बावजी की धूनी पर घोर तपस्या की और लोगों को बचाया इसी कारण से प्रसिद्ध हुए।
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