कवि नरेन्द्र दाधीच की स्मृति में काव्य गोष्ठी आयोजित

देश के सुप्रसिद्ध कवि स्व. श्री नरेन्द्र दाधीच के जन्म दिवस पर काव्य गोष्ठी आयोजित की गई। काव्य गोष्ठी में कवियों ने एक से बढ़कर एक रचनाएं प्रस्तुत की । काव्य गोष्ठी की शुरूआत जया दाधीच ने समधुर सरस्वती वंदना से की । दिवंगत कवि दाधीच के पौत्र रुद्रांश दाधीच ने उन्ही की चिरपरिचित रचना मुझे आज तिरंगा गाने दो सुनाई तो पूरा हॉल तालियों से गूंज उठा।
संजीव सजल ने जीवन की बगिया में संग संग खेले हैं आजा साथी हम तुम बहुत अकेले हैं क्या बचपन था क्या, बचपन की मस्ती थी कच्ची पगडण्डी वाली वो बस्ती थी, योगेश योगसा ने जब मिलोगे मुझे बोल दूंगा तुम्हें, बातें जो मैंने बरसों से बोली.....राजेश सेन ने लौट आओ के याद आओगे,कब तलक तुम मुझे सताओगे,चल पड़ा हूँ मैं अब सफर पे नए,क्या ज़माने के बाद आओगे, राही कबीर ने जीवन तो बस बहती नदियाँ और किनारे में और तु, ओम आदर्शी ने लाडली झुलक झूलक कर रोवे जी सासरिया मे बालपणा रा मोती पोवे जी, सूरज पारीक ने शब्दों के खेल खेल में ही दुश्मनियां न जाने कितनी ले बैठा, सुनाई। प्रसिद्ध हास्य कवि दीपक पारीक ने प्यास जब जब भी लगी तो ज़हर के प्याले पिये हैं, ज़िन्दगी जीने के खातिर बहुत समझौते किये हैं सुनाकर वातावरण को गीतों आनन्दित कर दिया। कार्यक्रम का संचालन महेश शर्मा ने किया।