वेदों से आए हैं सामाजिक समरसता के सिद्धान्त- त्रिलोक शर्मा

वेदों से आए हैं सामाजिक समरसता के सिद्धान्त- त्रिलोक शर्मा
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निंबाहेड़ा। राउमावि जावदा में वेद ज्ञान सप्ताह के पांचवे दिन शुक्रवार को मुख्य वक्ता कल्लाजी वेदपीठ एवं शोध संस्थान से यजुर्वेद के आचार्य त्रिलोक शर्मा ने कहा कि भारतीय साहित्य का जहां से उद्गम हुआ, वह स्रोत निर्विवाद रूप से वेद है। वेद आर्ष काव्य की श्रेणी में आते हैं। हमारे प्राचीन ऋषि मनुष्य थे, समाज के साथ थे। वे आपसी प्रेम और सद्भाव को सबसे अधिक मूल्यवान समझते थे। इसीलिए मनुष्य की जिजीविषा, उसके सामाजिक सरोकार और समाजिक जीवन की योजनाओं के सुंदर चित्र वेदों में से बार-बार झांकते हुए दिखाई पड़ते हैं। सर्वप्रथम वैदिक ऋषियों ने ही उस सामाजिक समरसता की परिकल्पना की, जो परवर्तीकाल में हमें भारतीय साहित्य की आत्मा के रूप में पहचान में आती है। ऋग्वेद के सबसे अंत में जो समापन-गीत है, उस पर हमारा ध्यान जाता है। यह सामाजिक समरसता का पहला गीत है, जो सदियों से समवेत स्वर में गाया जाता है। कार्यक्रम संयोजक एवं विश्वविद्यालय प्रवक्ता डॉ. मृत्युञ्जय तिवारी ने बताया कि विगत पांच दिनों से अलग-अलग स्थानों पर वेद ज्ञान सप्ताह का आयोजन श्री कल्लाजी वैदिक विश्वविद्यालय एवं महर्षि सांदीपनि राष्ट्रीय वेद विद्या प्रतिष्ठान भारत सरकार उज्जैन के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित किया गया है।  इसी क्रम में शुक्रवार को जावदा स्थित विद्यालय में वेद व्याख्यान हुआ, मुख्य अतिथि प्रधानाचार्य अरविन्द मूंदड़ा ने कहा कि वेदों का सामान्य भाषा में ज्ञान सभी के लिए सुलभ होना चाहिए और समाज को एकता में बांधने का कार्य वैदिक ज्ञान के अलावा कोई नहीं कर सकता। अध्यक्षीय उद्बोधन में विश्वविद्यालय चेयरपर्सन कैलाशचंद्र मूंदड़ा ने कहा कि वैदिक साहित्य के मूल में यह विचार काम करता है कि मनुष्यों में न तो कोई बड़ा है, न कोई छोटा। सब आपस में भाई-भाई हैं और अपने कल्याण के लिए सब मिलकर प्रयत्न करते हैं। अथर्ववेद के पृथ्वीसूक्त का गायक ऋषि जब घोषणा करता है कि माता भूमि: पुत्रोऽहं पृथिव्या:, तब वहां सब मनुष्य समभाव से धरती के पुत्र है। इसी संकल्पना ने वैदिक समाजवाद की नींव रखी। यही भाव तब भी मुखर हुआ, जब यजुर्वेद के सुप्रसिद्ध राष्ट्रगान आ ब्रह्मन् ब्राह्मणो ब्रह्मवर्चसी जायतामाराष्ट्रे राजन्य: शूर इषव्योऽति व्याधी महारथी जायताम् में सामाजिक समरसता के लिए प्रार्थना की गई है। संचालन डॉ मृत्युञ्जय तिवारी ने किया, जबकि कार्यक्रम में नरेगा योजना के समन्वयक रवि मेनारिया तथा बंशीलाल सुथार, कृत्तिका आमेटा, मुकेश जोशी, पूर्णिमा भटनागर, मयंक चौधरी, अनिता कुमावत आदि उपस्थित रहे।

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