शीतलहर से करें बचाव, सेहत पर अत्यधिक ठंड के हो सकते हैं जानलेवा दुष्प्रभाव

शीतलहर से करें बचाव, सेहत पर अत्यधिक ठंड के हो सकते हैं जानलेवा दुष्प्रभाव
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उत्तर भारत के ज्यादातर राज्य इन दिनों भीषण ठंड और शीतलहर झेल रहे हैं। दिन का कम तापमान लोगों के लिए ठंड के इस मौसम को काफी कठिन बना सकता है। अत्यधिक ठंडा मौसम न केवल असुविधाजनक होता है बल्कि स्ट्रोक से लेकर दिल के दौरे जैसी गंभीर स्वास्थ्य संबंधी जटिलताओं का कारण भी बन सकता है। यही वजह है कि स्वास्थ्य विशेषज्ञ इस मौसम में सभी लोगों को विशेष सावधानी बरतते रहने की सलाह देते हैं।

डॉक्टर कहते हैं, सिर्फ बच्चे-बुजुर्गों के लिए ही नहीं, युवाओं की सेहत पर भी अत्यधिक ठंड-शीतलहर का दुष्प्रभाव हो सकता है। शरीर के विभिन्न हिस्सों में रक्त की आपूर्ति करने वाली हमारी वाहिकाएं ठंड की प्रतिक्रिया में सिकुड़ जाती हैं जिससे रक्तचाप बढ़ सकता है। लंबे समय तक ठंडे तापमान के संपर्क में रहने से हाइपोथर्मिया हो सकता है, जो मस्तिष्क के कार्य को बाधित करने के साथ तंत्रिका संबंधी समस्याएं पैदा कर सकता है।

शीतलहर का सीजन अस्थमा, सीओपीडी और फेफड़ों के विकारों से पीड़ित लोगों में श्वसन संबंधी लक्षणों को भी बढ़ा सकती है। आइए ठंड के कारण सेहत को होने वाली समस्याओं और इनसे बचाव के उपायों के बारे में जानते हैं।

cold wave and winter health effects know Deadly Effects Of low Temperature in hindi

क्या कहते हैं स्वास्थ्य विशेषज्ञ?

हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ निरंजन सिंह बताते हैं, अत्यधिक ठंड, हृदय और तंत्रिका संबंधी स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकती है, जिससे दिल के दौरे से लेकर ब्रेन स्ट्रोक तक का खतरा बढ़ जाता है। यही कारण है कि बहुत अधिक ठंड के जानलेवा दुष्प्रभाव भी हो सकते हैं। ठंडे मौमस से जुड़े जोखिमों को कम करने के लिए सबसे जरूरी है कि आप इन दिनों विशेष बचाव करें, गर्म कपड़े पहने, शरीर की गर्म रखें। ये सभी उम्र के लोगों के लिए जरूरी है। 

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जानलेवा हृदय की समस्याएं

बढ़ती ठंड-शीतलहर का सबसे ज्यादा दुष्प्रभाव हृदय स्वास्थ्य पर देखा जाता है, ठंड के दिनों में हार्ट अटैक के मामले भी बढ़ने लगते हैं। असल में ठंड के कारण वाहिकासंकुचन शुरू हो जाता है, जिससे रक्तचाप और हृदय गति बढ़ जाती है। इससे हृदय प्रणाली पर अतिरिक्त दबाव पड़ता है, जो दिल का दौरा पड़ने के खतरे को बढ़ा सकती है।

इसके अलावा, ठंड के कारण रक्त भी गाढ़ा हो जाता है, जिससे थक्का बनने की आशंका बढ़ जाती है, जो दिल के दौरे और स्ट्रोक दोनों का कारक हो सकती है।

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ब्रेन स्ट्रोक का खतरा

हार्ट अटैक के अलावा ठंड के मौसम में हाइपोथर्मिया भी बड़ा खतरा रहा है, इसमें शरीर के लिए आंतरिक तापमान को स्थिर बनाए रखने में समस्या हो सकती है। यह न्यूरोलॉजिकल कार्यों को बाधित करने वाली स्थिति है जिसके कारण स्ट्रोक होने की आशंका बढ़ सकती है। सर्दियों में बढ़े हुए ब्लड प्रेशर के कारण भी स्ट्रोक होने का जोखिम बढ़ जाता है। इसलिए स्वास्थ्य विशेषज्ञ ठंड के समय में सभी लोगों को शरीर, विशेषतौर पर सिर को ढककर रखने की सलाह देते हैं। 

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बढ़ सकती हैं श्वसन संबंधी समस्याएं

शीतलहर-ठंडी हवा आपके वायुमार्ग के लिए समस्याओं को बढ़ाने वाली हो सकती है, जिससे अस्थमा या क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (सीओपीडी) जैसी पहले से मौजूद स्थितियों वाले व्यक्तियों के लिए खतरा पैदा हो जाता है। ठंड के मौसम में श्वसन संबंधी समस्याएं अधिक देखी जाती रही हैं। श्वसन तंत्र पर दबाव से हृदय से संबंधित विकारों का जोखिम भी बढ़ जाता है। अस्थमा रोगियों को इस मौसम में विशेष सावधानी बरतने की सलाह दी जाती है।

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