वैदिक परंपरा के संरक्षण से संभव है सनातन संस्कृति की रक्षा-जगद्गुरु शंकराचार्य
चितौड़गढ़। निंबाहेड़ा के कल्याणलोक जावदा स्थित श्री कल्लाजी वैदिक विश्वविद्यालय में बद्रिकाश्रम के ज्योतिष्पीठाधीश्वर जगद्गुरु शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती का आगमन हुआ। विश्वविद्यालय पहुंचने पर चेयरपर्सन कैलाश मून्दड़ा, कुलसचिव डॉ. मधुसूदन शर्मा प्रबंध मंडल के सदस्य प्रो. नीरज शर्मा और मनोज न्याती, डॉ. स्मिता शर्मा ने पूर्ण कुम्भ कलश के साथ में उनका स्वागत किया। जगतगुरु शंकराचार्य विश्वविद्यालय के प्रशासनिक भवन में ठाकुर श्री कल्लाजी राठौड़ के वन्दन के उपरान्त परिसर के प्रशासनिक भवन का अवलोकन किया। उन्होंने चारों वेदों के भवनों के साथ, यज्ञशाला, पुस्तकालय के साथ यज्ञपात्र और ज्योतिष संग्रहालय का भी अवलोकन किया। जहां चेयर पर्सन मूंदड़ा ने विश्वविद्यालय के प्रकाशित ग्रंथ उनको समर्पित किए। जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने विश्वविद्यालय नक्षत्र वाटिका के निकट वट वृक्ष का पौधा रोपण किया। जिसके नीचे भविष्य में भगवान दक्षिणामूर्ति विग्रह प्रतिष्ठित करने का निर्देश दिया। उन्होंने गौशाला का भी अवलोकन किया तथा वहां मौजूद गोवंश को हरा चारा खिलाकर प्रसन्नता के उद्गार व्यक्त किए। उन्होंने विश्वविद्यालय का निरीक्षण कर संतोष और प्रसन्नता प्रकट की। उन्होंने ऋग्वेद भवन के कोरिडोर में भगवान आदिशंकराचार्य की मूर्ति की प्रतिष्ठा के लिए बनाए गए आसन पीठ पर अपने दोनों कर कमलों से मंत्रोच्चार पूर्वक न्यास संकल्पित किया। जगद्गुरु शंकराचार्य ने विश्वविद्यालय प्रबंध मंडल के सदस्य और मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय के डीन पीजी स्टडीज प्रो. नीरज शर्मा और चेयरपर्सन मूंदड़ा के साथ वैदिक शिक्षा के योजनाबद्ध विकास- विस्तार और संरक्षण के लिए हो रहे प्रयासों पर चर्चा की तथा भविष्य में ज्योतिरर्मठ बद्रिकाश्रम के द्वारा वैदिक शिक्षा के विकास की दिशा में प्रोत्साहन के लिए आश्वासन प्रदान किया। जगद्गुरु शंकराचार्य ने श्री कल्लाजी वैदिक विश्वविद्यालय की स्थापना और उसके विकास में सहयोग करने वाले श्री कल्लाजी वेद पीठ एवं मंदिर मंडल न्यास के सभी पदाधिकारियों और निंबाहेड़ा के समस्त आस्थावान नागरिकों और भक्तों को अपना मंगलमय आशीर्वाद और अनुग्रह संदेश प्रदान किया।