देश में राजस्थान मॉडल के रूप में हो रहा विकसित-पर्यवेक्षक रावत
चित्तौड़गढ़। अभा कांग्रेस कमेटी की ओर से नियुक्त पर्यवेक्षक पूर्व मंत्री हरकसिंह रावत ने कहा कि गुजरात मॉडल फैल हो गया है। अब पूरे देश में राजस्थान मॉडल की चर्चा हो रही है। अगर दावेदारों को समय रहते संतुष्ट कर लिया और मेनेजमेंट सही रखा तो कांग्रेस की सरकार को रीपिट होने से कोई नहीं रोक सकता है। यह बात सर्किट हाउस में उन्होनें पत्रकारों से चर्चा करते हुए कही। रावत यहां संसदीय क्षेत्र के दावेदारों से चर्चा करने के साथ ही धरातल पर पार्टी के हालात जानने के लिये आये हुए थे। गत दिनों जयपुर दौरे पर आए नेता राहुल गांधी के राजस्थान विस चुनाव में टक्कर की बात के संबंध में पूछे गए सवाल पर रावत ने कहा कि राहुल गांधी ने सकारात्मक तरीके से बात कहते हुए कहा कि संघर्ष है। यह बात कार्यकर्ताओं की हौंसला अफजाई के लिए कही है क्योंकि हम अति आत्म विश्वास में नहीं रहे। मेहनत से ही सफलता मिलेगी तो इस बार स्पष्ट बहुमत की सरकार बनानी है। उन्होंने कहा कि संवैधानिक पदों पर बैठे लोगों को पद की गरिमा व सम्मान रखना चाहिए। तभी लोकमंत्र मजबूत होगा। उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी के लिए जिताऊ को ही टिकट देना प्राथमिकता है। लेकिन कांग्रेस हर तरह से अच्छे प्रत्याशी के चयन में लगी हुई है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस में प्रत्याशी चयन के लिए कई तरह की कमेटियां काम कर रही है। स्टेट स्क्रीनिंग कमेटी अलग है तो चार सदस्यीय टीम अलग है। उनके साथ ही जो चार पर्यवेक्षकों की टीम राज्य की विस क्षेत्रों का फीड बेक लेने के लिए घूम रही है। उन्होंने भीलवाड़ा, राजसमंद के बाद अब चित्तौड़गढ़ संसदीय क्षेत्र की विस सीटों का फीडबेक लिया है। इसका उदेश्य ये है कि सभी की बात सुनना। किसी एक के पक्ष में कोई रिपोर्ट नहीं गई हो, ऐसा चेक करना। सभी की बात सुनकर सही निर्णय करते हुए सरकार को रीपिट करवाना ही लक्ष्य है। सभी का एक ही लक्ष्य और प्रयास है कि कांग्रेस सरकार वापस कैसे आए। उनके दौरे में दावेदारों से जानकारी लेकर ये पता किया जा रहा है कि कौन कौन क्षेत्र में सक्रिय है और उनकी स्थिति क्या है। प्रत्याशी चयन के लिए अलग अलग वर्क चल रहा है। अब 30 सितंबर को जयपुर में मधुसूदन शास्त्री की अध्यक्षता में पर्यवेक्षकों की बैठक होगी। इसमें इन दौरे की रिपोर्ट पर चर्चा होगी। हमारा काम यह है कि सही फीड आलाकमान को देना है। टिकट में पहली प्राथमिकता जिताऊ ही है। जो जीता वही सिकंदर वाला फार्मूला सभी राजनीतिक दल अपनाते हैं। चूंकि कई सीटे तो ऐसी है जहां 28 तक दावेदार सामने आए हैं। चूंकि टिकट तो एक को ही मिलना है। ऐसे में सभी से समझाइश होगी कि पार्टी हित में आगे बढ़े। पर्यवेक्षक ने कहा कि अगर दावेदारों को संभाल लिया और मेनेजमेंट सही कर लिया तो चुनाव जीत लिया जाएगा, क्योंकि जनता चाहती है कि सरकार रिपीट हो।