रामलाल जाट मांडल से ही लडेंगे चुनाव, लेकिन अभी सूची का करना होगा इंतजार, मंत्रियों के टिकटों को लेकर फंसा पेच

भीलवाड़ा (हलचल) विधानसभा चुनाव को लेकर कांग्रेस की पहली सूची का इंतजार करे उम्मीदवारों और समर्थकों का इंतजार और लंबा हो गया है। उम्मीदवारों के नामों पर विवाद के बाद यह सूची दिल्ली में अटक कर रह गई है। प्रदेश के तीन मंत्रियों के नामों पर आलाकमान नाराज है। अब इस सूची के दो दिन बाद आने की संभावना जताई जा रही है। जानकार सूत्रों की माने तो भीलवाड़ा के मांडल से अब तक जो चर्चाएं चल रही थी वह भी साफ होती नजर आ रही है, यहां से राजस्व मंत्री रामलाल को ही पार्टी चुनाव में उतारने को लगभग हरी झंडी दे चुकी है, लेकिन अन्य सीटों को लेकर अब भी स्थिति साफ नहीं है, जीताऊ उम्मीदवारों को लेकर संशय बना हुआ है।
भीलवाड़ा की सात विधानसभा सीटों में से दो पर तो उम्मीदवार लगभग तय माने जा रहे है, इनमें से एक नाम राजस्व मंत्री रामलाल जाट का है तो दूसरा नाम अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के सचिव धीरज गुर्जर का है, लेकिन अन्य पांच सीटों आसींद, सहाड़ा, मांडलगढ, शाहपरा, भीलवाड़ा शहर की सीटों को लेकर अभी नाम तय नहीं हो पाए है। माना जा रहा है कि कांग्रेस-भाजपा की सूची का इंतजार कर रही है। भीलवाड़ा में कांग्रेस किसी युवा को उम्मीदवार बना सकती है और यह ब्राह्मण समाज से हो सकता है। सहाड़ा या मांडलगढ से प्रद्युमनसिंह को मैदान में उतारने की सुगबुहाट है, लेकिन अभी तय नहीं हो पाया है। जबकि शाहपुरा, मांडलगढ और आसींद में कौन उम्मीदवार जीताऊ हो सकता है, पर मंथन चल रहा है।
बुधवार रात तक आने वाली सूची का इंतजार अब और लंबा हो गया है, इसी के चलते कई दावेदार जयपुर और दिल्ली में डेरा डाले हुए है।
कैसे सीएम गहलोत को अपने ही पड़ गए 'भारी', प्रियंका की रैली के बाद आएगी 106 नामों की सूची
जुबां से माफ करने में वक्त नहीं लगता। लेकिन दिल से माफ करने में उम्र निकल जाती है। इसी कहावत के साथ राजस्थान कांग्रेस उम्मीदवारों की सूची आते-आते अब फिर टल गई। इसकी सबसे बड़ी वजह है मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के तीन समर्थकों को लेकर पार्टी में अनिश्चितता। इनमें से दो कद्दावर मंत्री भी हैं। इन तीनों नेताओं ने पिछले साल विधायकों को एक महत्वपूर्ण बैठक का बहिष्कार कराने के लिए जिम्मेदार माना जाता है। कांग्रेस सूत्रों की मानें तो अब 20 अक्तूबर को दौसा के सिकराय में होने वाली प्रियंका गांधी की सभा के बाद ही टिकटों की घोषणा होने के आसार हैं।
दरअसल, कांग्रेस संसदीय दल की अध्यक्ष सोनिया गांधी और नेता राहुल गांधी पिछले साल 25 सितंबर की घटना को नहीं भूले हैं। जब राजस्थान में पार्टी विधायकों के एक गुट की बगावत के कारण पार्टी के पर्यवेक्षकों को कांग्रेस विधायक दल की बैठक किए बिना राष्ट्रीय राजधानी लौटना पड़ा था। कांग्रेस पार्टी के सूत्रों के अनुसार, बुधवार सुबह जब कांग्रेस की केंद्रीय चुनाव समिति (सीईसी) की बैठक पार्टी प्रमुख मल्लिकार्जुन खडग़े की अध्यक्षता में हुई, तो सोनिया गांधी और राहुल गांधी के साथ साथ प्रदेश के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और अन्य नेता भी मौजूद थे।
सोनिया के इस सवाल से बदल गया माहौल
बैठक में मौजूद सूत्रों ने बताया कि टिकट वितरण के समय जैसे सूची में कोटा उत्तर विधानसभा सीट से जैसे ही शांति धारीवाल का नाम चर्चा में आया। वैसे ही गांधी ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की। सोनिया ने कहा कि ये वही व्यक्ति हैं न..इनका नाम सूची में कैसे है। इस सवाल पर बैठक रूम में कुछ देर तक सन्नाटा पसर गया। इसके बाद फिर सोनिया गांधी ने सवाल करते हुए कहा- इनपर तो भ्रष्टाचार के आरोप हैं न? मुख्यमंत्री ने सोनिया गांधी के सवालों का जवाब देते हुए कहा, नहीं-नहींज् कोई आरोप नहीं है। साफ छवि है इनकी। तभी राहुल गांधी ने कहा- भारत जोड़ो यात्रा के दौरान इनके खिलाफ कई शिकायतें मिली थीं। इधर राहुल गांधी ने 25 सितंबर की वह बात भी याद दिला दी। सूत्रों की मानें तो उन्होंने कहा- ये वही शांति धारीवाल हैं न जिन्होंने कहा था...कौन आलाकमान? इसके बाद एक बार फिर उस मीटिंग रूम में सन्नाटा पसर गया।
सूत्रों ने बताया कि सीएम अशोक गहलोत ने स्क्रीनिंग कमेटी से लेकर हर स्तर पर ज्यादातर सीटों पर मौजूदा विधायकों को टिकट देने की पैरवी की। गहलोत ने बुधवार को कहा था कि विधायकों की वजह से ही काम हुए हैं और केवल आरोप लगाने से कुछ नहीं होता है, इसके आधार पर उनका नाम कैसे काट सकते हैं।
दरअसल, पिछले साल 25 सितंबर को धारीवाल ने पार्टी आलाकमान के खिलाफ विद्रोह का नेतृत्व किया था। उस दौरान सोनिया गांधी, जो उस समय पार्टी की अंतरिम प्रमुख थीं, ने खरगे और अजय माकन को पर्यवेक्षकों के रूप में राजस्थान में कांग्रेस विधायकों की बैठक आयोजित करने के लिए भेजा था, इन खबरों के बीच कि गहलोत को उनके पद से हटाकर पार्टी प्रमुख बनाया जा सकता है। हालांकि, पार्टी विधायकों की बैठक नहीं हो पाने के बाद पर्यवेक्षक दिल्ली लौट गए। बैठक से पहले, गहलोत के करीबी माने जाने वाले विधायकों ने धारीवाल के नेतृत्व में मुलाकात की, जिसे गहलोत के वफादार को उनके उत्तराधिकारी के रूप में चुनने के लिए आलाकमान को एक संदेश के रूप में देखा गया।
अब कब आएगी कांग्रेस की लिस्ट
दूसरी तरफ दिल्ली में कांग्रेस की केंद्रीय चुनाव समिति की बैठक में राजस्थान के उम्मीदवारों की पहली सूची के नामों पर फैसला हो चुका है। कुछ नामों पर राहुल गांधी ने फिर से विचार करने को कहा है। प्रदेश प्रभारी रंधावा ने कहा कि कांग्रेस उम्मीदवारों की सूची एक-दो दिन में आएगी, हम भाजपा से डबल उम्मीदवारों की लिस्ट जारी करेंगे। प्रदेश की स्क्रीनिंग कमेटी ने करीब 100 सीटों पर सिंगल नामों का पैनल केंद्रीय चुनाव समिति के सामने रखा। इस बैठक के बाद 106 कांग्रेस उम्मीदवारों की पहली सूची जारी होनी थी, लेकिन चुनाव समिति की बैठक में केंद्रीय नेतृत्व ने कुछ सीटों पर आपत्ति जताई है, इसलिए फिलहाल यह सूची अटक गई है।
हालांकि, बिना विवाद वाली सीटों पर उम्मीदवार तय हो गए हैं। पहली लिस्ट में सीएम अशोक गहलोत, प्रदेशाध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा, सचिन पायलट और मंत्रियों के नाम हैं। लगातार जीत रहे नेताओं के नाम भी पहली लिस्ट में हैं। सर्वे में कमजोर कुछ मौजूदा विधायकों के टिकट कटने की संभावना है। ऐसे करीब 15 विधायकों को छांटा गया है।