सीमा बोली- जेल में जिंदगी गुजार दूंगी, पाकिस्तान नहीं जाऊंगी:वहां गई तो मार देंगे

सीमा बोली- जेल में जिंदगी गुजार दूंगी, पाकिस्तान नहीं जाऊंगी:वहां गई तो मार देंगे
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पाकिस्तान से भारत आई सीमा हैदर से UP ATS ने 2 दिन तक पूछताछ की। इसके बाद सीमा ने शुक्रवार को मीडिया से बातचीत में कहा- मेरी जिंदगी सचिन के लिए है। मैं भारत की जेल में जिंदगी गुजार दूंगी, लेकिन पाकिस्तान नहीं जाऊंगी। मैंने सिर्फ एक गुनाह किया, नेपाल से भारत आई।

ATS की पूछताछ के सवाल पर सीमा ने कहा- वहां बड़े लोग थे। इसलिए सारे सवाल भी बड़े थे। 6 पासपोर्ट में चार बच्चों के, एक पासपोर्ट खारिज हो चुका है। अगर मेरे मन में चोर होता, तो मैं उसे फेंक देती। मैंने कोई फर्जी पासपोर्ट नहीं बनाया। जिंदगी में क्या-क्या हुआ, मेरे बचपन से लेकर अब तक सारी जानकारी ATS ने ली।

अब पढ़िए सीमा का पूरा इंटरव्यू...

सवाल-ATS ने क्या पूछा और सबसे ज्यादा शक किस पर था?
जवाब-
 ATS को मेरे पर पूरा शक था। मैंने टीम को सब कुछ सच बता दिया। अपने जीवन के बारे में शुरू से अंत तक कब मिले और कैसे भारत पहुंची।

सवाल- कानूनी पहचान छिपाकर भारत आई?
जवाब- ये मेरी मजबूरी थी। मुझे वीजा नहीं मिल रहा था। इसलिए मोहब्बत के खातिर आना पड़ा।

सवाल- आपकी उम्र कितनी है?
जवाब- पाकिस्तान में उम्र कम लिखवाई जाती है। इसमें मैंने कोई झूठ नहीं बोला है। सचिन की अभी उम्र 23 है। (सीमा ने अपनी उम्र नहीं बताई)

सवाल- आप विनायक होटल में रुकी थीं, क्या आप ने अपना नाम प्रीति लिखवाया था?
जवाब- ये सरासर झूठ है। होटल वालों ने मेरा नाम नहीं लिखा था। सचिन एक दिन पहले गए थे। उन्होंने बताया था कि मेरी पत्नी आएगी। होटल वाले हर दिन 500 रुपए लेते थे। वहां से सिर्फ पशुपति नाथ मंदिर गए। वहां मेरी दोस्त सीता थी। जो होटल में काम करती थी।

सवाल- मंदिर में केवल हिंदू की शादी होती है?
जवाब- मैं पिछले एक साल से हिंदू हूं। पाकिस्तान में रहती तो वहां जिंदा नहीं रहती। इसलिए मैंने वहां अपने को हिंदू ही बताया। दो करवाचौथ मना चुकी हूं। वहां मेरी दोस्त सोनम थी। दो साल पहले की वीडियो निकलवा लीजिए। वहां भी सिंदूर लगाती थी। क्योंकि मैं सचिन को पति मानती थी। पाकिस्तान वाले पति से मेरा कोई रिश्ता नहीं था।

सवाल- क्या आपने भारत में कोई फोन खरीदा है?
जवाब- मैंने भारत में कोई फोन नहीं खरीदा है। सभी फोन पाकिस्तान से खरीदकर लाई थी। यहां एक फोन मेरे बच्चे से गिरकर टूट गया था।

नोएडा पुलिस जल्द चार्जशीट करेगी दाखिल
सीमा हैदर... जासूस है या नहीं, ATS की दो दिनों की पूछताछ में इसका कोई भी सबूत हाथ नहीं लगा है। ऐसे में अब उसे पाकिस्तान भेजने की तैयारी है। क्योंकि सीमा पर जो आरोप है, वह अवैध तरीके से भारत में घुसपैठ का है।

इस तरह के मामलों में 5 से 7 साल तक की सजा हो सकती है, लेकिन ऐसे मामलों में कार्रवाई करने की बजाय आरोपी को उसके देश वापस भेजा जाता है। अगर सीमा को वापस भेजा गया तो पाकिस्तान में वहां के लॉ के हिसाब से उस पर कार्रवाई हो सकती है।

पुलिस केस में बढ़ा सकती है धारा
उधर, नोएडा पुलिस कोर्ट में चार्जशीट लगाने के लिए दस्तावेज तैयार कर रही है। पुलिस के पास मुकदमा दर्ज होने के बाद चार्जशीट दाखिल करने के लिए 60 दिन का समय है। यूपी पुलिस एटीएस रिपोर्ट के आधार पर धाराओं में इजाफा कर सकती है।

पुलिस ने पहले सीमा हैदर पर फॉरनर्स एक्ट सेक्शन-14 और 120-बी लगाया था। इन धाराओं में पांच साल तक की सजा का प्रावधान है। इसलिए कोर्ट से सीमा और सचिन को आसानी से जमानत मिल गई। लेकिन अब इनकी धाराओं में 420, 468 और 471 की बढ़ोतरी की जा सकती है।

इसमें सात साल की सजा है। ऐसे में उसे जमानत भी नहीं मिल सकेगी। सीमा पाकिस्तान भेजी जाएगी या यहीं पर केस चलेगा

सीमा को किया जा सकता है डिपोर्ट
दिल्ली हाईकोर्ट के वकील इरफान फिरदौस ने बताया कि भारतीय कानून के तहत देखें तो सीमा हैदर एक अवैध प्रवासी है। अवैध प्रवासी वह होता है जो बिना लीगल डॉक्यूमेंट्स जैसे पासपोर्ट और वीजा के देश में प्रवेश करता है। इन्हें भारतीय नागरिकता नहीं मिल सकती है।

सीमा पर फॉरनर्स एक्ट 1946 के सेक्शन 14 के तहत मामला दर्ज किया गया है। इसके तहत पांच साल तक की जेल और जुर्माना हो सकता है। ऐसे में डिपोर्ट करने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता है।

गृह मंत्रालय लेगा फैसला
इरफान फिरदौस ने बताया कि इसके लिए अपने देश में अवैध रूप से रहने वाले विदेशी नागरिक की पहचान और उसे डिपोर्ट करने का फैसला इमिग्रेशन विभाग के जरिए गृह मंत्रालय लेता है। इसकी एक प्रक्रिया है और यह काम फॉरेनर्स रीजनल रजिस्ट्रेशन ऑफिसर यानी FRRO करता है।

डिपोर्टेशन में 15 से 60 दिन लगेंगे
इरफान ने बताया कि अवैध रूप से रहने वाले प्रवासियों को पहले गिरफ्तार किया जाता है। इसके बाद कोर्ट में उनके खिलाफ केस चलाने की बजाय डिपोर्ट कर दिया जाता है।

गिरफ्तारी के फौरन बाद ऐसे लोगों को FRRO में पेश किया जाता है, जहां से इन्हें डिटेंशन सेंटर भेजने का आदेश जारी होता है। इसके बाद इन्हें इनके देश डिपोर्ट करने में 15 से 60 दिन लग जाते हैं। अलग-अलग शहरों में ऐसे ऑफिस और डिटेंशन सेंटर बने हैं।

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