शिवराज हो सकते हैं देश के अगले कृषि मंत्री
देश में चर्चा इस बात की हो रही है कि मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में भारतीय जनता पार्टी का मुख्यमंत्री कौन बनेगा। भारतीय जनता पार्टी के सांसदों ने विधानसभा का चुनाव जीतकर लोकसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया। देश के कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर समेत मोदी कैबिनेट के मंत्री प्रहलाद पटेल भी शामिल हैं। अब चर्चा इस बात की भी हो रही है कि अगर मोदी सरकार की योजनाओं में सबसे आगे रहने वाला महत्वपूर्ण कृषि मंत्रालय खाली हो रहा है तो वहां अगला मंत्री कौन बनेगा। सियासी गलियारों में चर्चाएं मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के देश में नए कृषि मंत्री बनने की सबसे ज्यादा हो रही है। बताया यही जा रहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्राथमिकता में किसान और खेती सबसे पहले हैं। किसी कद्दावर नेता को ही देश का अगला कृषि मंत्री बनाया जाना तय माना जा रहा है।
भारतीय जनता पार्टी के सांसदों के इस्तीफा देने के बाद मोदी सरकार में एक बार फिर कैबिनेट विस्तार की चर्चा शुरू हो गई है। माना यही जा रहा है कि जैसे ही नरेंद्र सिंह तोमर, प्रहलाद पटेल और रेणुका सिंह मंत्री परिषद से इस्तीफा देंगे, उसके बाद मंत्रिमंडल विस्तार की प्रक्रिया शुरू हो सकती है। ऐसे में देखना यह होगा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कैबिनेट में किस राज्य को साधते हुए कैबिनेट का विस्तार किया जाता है। सियासी गलियारों में इस वक्त सबसे ज्यादा चर्चा जिस खाली हुए मंत्रालय की हो रही है वह कृषि मंत्रालय है। कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने इस्तीफा दे दिया है। इसलिए उनकी जगह पर कोई नया कृषि मंत्री तो बनेगा ही। अब यह नाम कौन होगा इसको लेकर सियासी गलियारों में कई तरह की चर्चाएं हो रही है।
राजनीतिक जानकारों का मानना है कि जिस तरीके से तोमर का इस्तीफा हुआ है उसे अनुमान यही लगाया जा रहा है कि मध्य प्रदेश की सरकार में उनको महत्वपूर्ण जिम्मेदारी दी जानी है। शिवराज सिंह चौहान को मुख्यमंत्री के सिवाय कुछ और बड़ी जिम्मेदारी दी जा सकती है। अब वह बड़ी जिम्मेदारी क्या होगी? इसको लेकर सियासी गलियारों में कई तरह की बातें हो रही हैं। कहा यह जा रहा है खेती किसानी के राज्य मध्य प्रदेश से आने वाले नरेंद्र सिंह तोमर की जगह मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ले सकते हैं। यानी देश के नए कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान हो सकते हैं। सियासी जानकारों का कहना है कि अगर इस तरीके का फेरबदल होता है तो यह सियासी रूप से एक बड़ा सियासी उलटफेर माना जाएगा।