श्री औंकारेश्वर महादेव मूर्ति स्थापना एवं महारुद्र यज्ञ महोत्सव

श्री औंकारेश्वर महादेव मूर्ति स्थापना एवं महारुद्र यज्ञ महोत्सव
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राजसमन्द ( राव दिलीप सिंह)सौ फीट रोड पर बालाजी नगर में औंकारेश्वर महादेव मंदिर प्रतिष्ठा महोत्सव के तहत चल रही नानी बाई का मायरा कथा में तीसरे व अंतिम दिन नरसी मेहता की ओर से ठाकुर जी स्वयं शोभायात्रा के साथ नानी बाई का मायरा भरने पहुंचे।

तीसरे दिन कथा के विभिन्न प्रसंग पर बोलते हुए ओजस्वी कथा वाचक अनिरुद्ध मुरारी ने कहा कि मुंह पर कड़वा बोलने वाले लोग कभी धोखा नहीं देते। उन्होंने कहा कि डरना तो मीठा बोलने वालों से चाहिए, जो दिल में नफरत पालते हैं और वक्त के साथ बदल जाते हैं। उन्होंने कहा कि नरसी मेहता के अपने सभी उनका अपमान करते थे। उन्होंने कहा कि बटुए को कहां मालूम कि पैसे उधार के हैं वो तो बस फूला रहता है अपने गुमान में। उन्होंने कहा कि ठीक यही हाल हमारा है। सांसे उस प्रभु की उधार दी हुई है, पर ना जाने गुमान किस बात पर है। जितनी सांसेे हमारे खाते में बची है, उनका सदुपयोग करें, उन सांसों को सेवा में सद्कार्य में अर्पण कर जीवन को धन्य बनाएं। 

नानी बाई का मायरा कथा के अंतिम दिन ठाकुर जी ने मायरा भरा, जिससे पहले राजनगर भोईवाड़ा स्थित चारभुजानाथ के मंदिर से शोभायात्रा के रूप में ढोल-नगाड़े और डीजे के साथ कार्यक्रम स्थल तक मायरा ले जाया गया। शोभायात्रा में ठाकुरजी को वेवाण में विराजित कर शामिल किया गया। इसके साथ ही बैलगाड़ी पर  सवार राधा-कृष्ण की झांकी आकर्षण का केंद्र रही। शोभायात्रा के कार्यक्रम स्थल पहुंचने पर भजन-कीर्तन और भक्तों के भाव नृत्य के साथ ठाकुरजी ने नानी बाई का मायरा भरा। मायरे में लाए गए सोने-चांदी के जेवरात, वस्त्र, बर्तन सहित श्रद्धालुओं की ओर से भेंट किए गए उपहार नानी बाई का स्वरूप धरने वाली जरुरतमंद बेटी को प्रदान किए गए। 

महोत्सव में गुरुवार दोपहर के समय एसडीएम अर्चना बुगालिया ने कार्यक्रम स्थल पर पहुंचकर औंकारेश्वर महादेव और वीर हनुमान मंदिर में दर्शन किए। इसके बाद आयोजित किए जा रहे औंकारेश्वर महादेव की मूर्ति प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव को ऐतिहासिक बताया। उन्होंने कुटियां में बनाई गई यज्ञशाला का अवलोकन भी किया। यहां पर महंत श्यामदास, शिवराज सिंह सोलंकी, पार्षद चंपालाल भोई, शैलेंद्र त्रिपाठी, कैलाश भोई और पंडित शशिकांत दीक्षित ने इकलाई और शॉल ओढ़ाकर स्वागत किया। वहीं, दोपहर में संतों के सान्निध्य में वैदिक मंत्रोचार से महाप्रसादी के लिए भट्टी पूजन किया गया।

आज होगी मूर्ति स्थापना और पूर्णाहुति

महोत्सव में शुक्रवार को मूॢत स्थापना व पूर्णाहुति होगी। इसके बाद आरती एवं महाप्रसादी के साथ महोत्स्व का समापन होगा। इससे पूर्व गुरुवार को महोत्सव में यज्ञकर्म, अष्टहोम मूर्ति स्नपन, अभिषेक कर्म एवं मूर्ति अधिवासन आदि अनुष्ठान पूर्ण किए गए। गुरुवार को मुख्य जिला न्यायधीश राघवेंद्र काछवाल ने सपत्नीक हवन में आहुतियां दी।

यह रहे मौजूद

ओंकारेश्वर महादेव मंदिर कार्यकारिणी अध्यक्ष महंत श्यामदास, वरिष्ठ उपाध्यक्ष शिवराज सिंह चौहान, उपाध्यक्ष कैलाश भोई,सचिव पं. शशिकांत दीक्षित, संयुक्त सचिव चंपालाल भोई,  कोषाध्यक्ष सुनील डूंगरवाल, सह कोषाध्यक्ष परमानंद माली, संगठन मंत्री सुरेश भाट, प्रचार प्रसार प्रमुख दीपक सोनी, एडवोकेट बाबूलाल माली, गंगाराम भोई, श्यामलाल भोई,  प्रहलाद लड्ढा,  देवीलाल गुर्जर, गौतम भोई, मदन गुर्जर,  राकेश भोई, सोहन लाल टांक, कन्हैयालाल टांक,  कुलदीप भोई,  शैलेंद्र त्रिपाठी,  घीसूलाल भोई के साथ ही काफी संख्या में श्रद्धालु मौजूद रहे।

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