गहने देने से इनकार किया तो ननद ने भाभी पर फेंका तेजाब, मासूम पर भी पड़े छीटें, कोर्ट ने ठहराया दोषी
नई दिल्ली। साढ़े सात साल पहले गांधी नगर थाना क्षेत्र में भाभी पर तेजाब फेंकने के मामले में कड़कड़डूमा कोर्ट ने ननद को दोषी ठहराया है। भाभी ने गहने देने से मना कर दिया था, इसलिए ननद ने वारदात को अंजाम दिया था। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश दीपाली शर्मा के कोर्ट ने निर्णय सुनाने के साथ ही दोषी को हिरासत में लेने का आदेश दिया है। इस मामले में सजा पर बहस के लिए सुनवाई 31 मई को होगी।
एक साल के बेटे पर भी पड़े छीटें
धर्मपुरा गली नंबर-चार में रहने वाली ममता पर 18 नवंबर 2015 को घर के अंदर ही तेजाब फेंका गया था। पीड़िता ने गांधी नगर थाना पुलिस को सूचना देते हुए आरोप लगाया था कि ननद मंजू ने वारदात को अंजाम दिया। साथ ही बताया था कि उनका एक साल का बेटा उस वक्त गोद में था, तेजाब की छीटें पड़ने से वह भी झुलस गया।
जांच के दौरान पीड़िता ने पुलिस को बयान दिया कि ननद अपने पति के साथ उनके ही घर में रहती है। वारदात वाले दिन सुबह 9:30 बजे जब वह बेटे को गोद में दूध पिला रही थीं। अचानक ननद आई और गहने मांगने लगी। उनके मना करने पर ननद उनको जलाने की धमकी देकर वहां से चली गई।
326 ए के तहत ठहराया दोषी
थोड़ी देर में ननद मंजू तेजाब से भरी शीशी लेकर आई और उन पर फेंक दिया। इससे उनका चेहरा, गर्दन, हाथ झुलस गए थे। उनके बेटा का चेहरा और गर्दन भी झुलस गई थी। जांच के आधार पर ननद मंजू को जानबूझ कर तेजाब फेंकने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था।
बाद में वह जमानत पर बाहर आ गई थी। अब इस मामले में कोर्ट ने ननद को भारतीय दंड संहिता की धारा 326ए के तहत तेजाब फेंकने का दोषी ठहराया है।
अधिकतम उम्रकैद की सजा का प्रावधान
अधिवक्ता रक्षपाल सिंह ने बताया कि तेजाब फेंकने के मामले में न्यूनतम 10 वर्ष और अधिकतम उम्रकैद की सजा का प्रविधान है। कोर्ट जुर्माना भी कर सकता है।