मालवा निमाड़ के हालात भाजपा मजबूत होकर भी आत्ममुग्ध नहीं कांग्रेस करारी हार के सदमे से नहीं निकल पा रही बाहर

मालवा निमाड़ के हालात  भाजपा मजबूत होकर भी आत्ममुग्ध नहीं  कांग्रेस करारी हार के सदमे से नहीं निकल पा रही बाहर
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इंदौर, कैलाश सिंह सिसोदिया 

आगामी लोकसभा चुनाव का बिगुल कभी भी बज सकता है और सियासी दलों ने अपनी अपनी बिसात बिछाना शुरू कर दिया है। बात मालवा निमाड़ की करे तो यहां भाजपा मजबूत स्थिति में होने के बावजूद उसका अंदाज फीलगुड वाला नहीं है। आत्ममुग्धता से परे भाजपा मैदान में इस कदर सक्रिय है कि लंबे अंतर से और लगातार जीतने वाली सीट पर भी रायशुमारी में पीछे नहीं। उधर बात प्रमुख विपक्षी पार्टी कांग्रेस की करे तो लग रहा है पार्टी अभी विधानसभा चुनाव  में मिली करारी हार के सदमे से ही नहीं उबरी है। वरिष्ठ नेताओं की पाला छोड़ने जैसी कवायदों ने पार्टी के भीतर असमंजस का वातावरण पैदा कर दिया वही दुसरी और लोकसभा प्रत्याशियों का भी टोटा नजर आ रहा है। बहरहाल इस सूरते हाल में कांग्रेस पार्टी भाजपा के खिलाफ कैसे मजबूती के साथ खड़ी होगी यह देखने वाली बात होगी।  

तीन सीटों पर हो सकता है रायशुमारी का असर
भाजपा द्वारा हर लोकसभा सीट पर करवाई जा रही रायशुमारी के बाद पार्टी कड़े फैसले ले सकती है ऐसा बताया जा रहा है। मालवा निमाड़ की सीटों पर हुई रायशुमारी में टिकट बदलने जैसी कोई राय संगठन को मिली हो ऐसा लग नहीं रहा। बहरहाल संगठन लोकसभा और विधानसभा चुनाव के नतीजों और स्थानीय नेताओं की राय पर अगर विचार करेगा तो रतलाम-झाबुआ, धार और खंडवा सीट को लेकर कुछ निर्णय हो सकता है।
- खंडवा उप चुनाव में जीत भले भाजपा की हुई मगर आम चुनाव के मुकाबले वोट प्रतिशत घट गया था।
- धार के मौजूदा सांसद छतरसिंह दरबार को उम्र के आधार पर टिकट से वंचित किया जा सकता है।
- रतलाम झाबुआ सीट से सांसद गुमानसिंह डामोर के कोर्ट में चल रहे पुराने केस आड़े आ सकते है।

सभी सीटों पर भाजपा का परचम
मालवा निमाड़ मतलब इंदौर उज्जैन संभाग में कुल आठ लोकसभा सीटे है। इन सभी सीटों पर भाजपा का परचम लहरा रहा है। इंदौर जैसी सीट तो भाजपा का अजेय गढ़ बन चुकी है। सीटों पर जीत के अंतर की बात करे तो रतलाम झाबुआ सीट भाजपा ने 90 से ज्यादा, रतलाम झाबुआ सीट पर करीब देढ़ लाख वोट और खंडवा उप चुनाव में करीब 80 हजार वोट से जीत दर्ज की। शेष सभी पांच सीटों पर जीत का अंतर दो लाख से लेकर साढे पांच लाख तक है।

विधानसभा चुनाव में कमजोर हुई कांग्रेस
गौरतलब है कि सूबे में कुल 66 विधानसभा सीट आती है मगर लोकसभा चुनाव में 64 सीट ही गणना में आती है। क्योकि आगर जिले की सुसनेर सीट राजगढ़ लोकसभा में और खातेगांव सीट विदिशा लोकसभा क्षेत्र में समाहित है। सूबे की लोकसभा सीटों के तहत आने वाली विधानसभा सीटों पर नजर डाले तो कांग्रेस 2018 के मुकाबले 2023 के चुनाव में ज्यादा कमजोर हुई है। बात 2018 के चुनाव की करे तो इसमे भाजपा के खाते में 33, कांग्रेस को 29 और 2 सीट निर्दलीय के खाते में गई थी। हालांकि उप चुनाव के बाद सीटों में काफी अंतर भी आ गया था। 2023 के चुनाव में कांग्रेस अपने पुराने प्रदर्शन पर खरी नहीं उतर पाई। इस चुनाव में भाजपा को जबरदस्त तरीके से 47 सीटों पर जीत का परचम लहराने में सफल रही वही कांग्रेस महज 16 सीटों पर सिमट गई जबकि रतलाम लोकसभा क्षेत्र की सैलाना सीट निर्दलीय के खाते में चली गई।

असमंजस में कांग्रेस किस पर लगाए दांव
सूबे की आठ लोकसभा सीटों पर कांग्रेस में असमंजस छाया हुआ है कि आखिर किस पर दांव लगाए। क्योंकि कांग्रेस के पास भाजपा को टक्कर देने वाले नेता का फिलहाल टोटा नजर आ रहा है। इसमे इंदौर सीट पर तो पार्टी अपने सारे दिग्गजों को आजमा चुकी है मगर भाजपा को हिला नहीं पाई उल्टे हर बार हार का अंतर बढ़ता गया।


सूबे की लोकसभा सीटों पर एक नजर

देवास -
सांसद
महेंद्रसिंह सोलंकी
पराजित
प्रहलादसिंह टिपानिया
जीत का अंतर
3,72,249

उज्जैन -
सांसद
अनिल फिरोजिया
पराजित
बाबूलाल मालवीय
जीत का अंतर
3,65,637

धार -
सांसद
छतरसिंह दरबार
पराजित
दिनेश ग्रेवाल
जीत का अंतर
1,56,029

मंदसौर -
सांसद
सुधीर गुप्ता
पराजित
मीनाक्षी नटराजन
जीत का अंतर
3,76,734

इंदौर -
सांसद
शंकर लालवानी
पराजित
पंकज संघवी
जीत का अंतर
5,47,754

खरगोन -
सांसद
गजेंद्रसिंह पटेल
पराजित
डॉ गोविंद मुजाल्दा
जीत का अंतर
2,02,510

रतलाम झाबुआ -
सांसद
गुमानसिंह डामोर
पराजित
कांतिलाल भूरिया
जीत का अंतर
90,636

खंडवा -
सांसद
स्व. नंदकुमार सिंह चौहान
ज्ञानेश्वर पाटिल (उपचुनाव)
पराजित
अरूण यादव
राजनारायण सिंह पूर्णी
जीत का अंतर
2,73,343
81,000 (उपचुनाव)

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