ITR की आखिरी तारीख मिस भी कर गए तो भी कुछ लोगों को नहीं भरना पड़ेगा जुर्माना
वित्त वर्ष 2022-23 (आकलन वर्ष 2023-24) के लिए आयकर रिटर्न (आईटीआर) दाखिल करने की अंतिम तिथि 31 जुलाई 2023 है। ऐसे लोग जो आईटीआर फाइल करने की डेडलाइन मिस कर जाते हैं, तो उन्हें बिलेटेड आईटीआर फाइल करते समय जुर्माने का भुगतान करना पड़ेगा। हालांकि, कुछ ऐसे व्यक्ति हैं जो आईटीआर फाइलिंग की समय सीमा समाप्त होने के बाद भी जुर्माना दिए बिना अपना आईटीआर (Income Tax Return) दाखिल कर सकेंगे। आइए एक नजर डालते हैं कि आईटीआर फाइलिंग की समय सीमा से चूकने पर किन लोगों को जुर्माने का भुगतान नहीं करना पड़ेगा। आयकर कानून के अनुसार, समय सीमा समाप्त होने के बाद आईटीआर दाखिल करने के लिए हर किसी को विलंब शुल्क का भुगतान करने की आवश्यकता नहीं है। यदि कोई व्यक्ति जिसकी सकल कुल आय मूल छूट सीमा से अधिक नहीं है और वह देर से आईटीआर दाखिल करता है, तो वह देर से दाखिल करने के लिए जुर्माना भरने के लिए उत्तरदायी नहीं होगा।
आयकर की धारा 234एफ के तहत देरी से रिटर्न दाखिल करने वालों को भी मिलती है छूट
आयकर रिटर्न दाखिल करने वाली वेबसाइट टैक्सटूविन डॉट इन हवाले से C A अमित मेहता बताया की आयकर विभाग ने एक बयान में कहा, 'अगर सकल कुल आय मूल छूट सीमा से अधिक नहीं होती है तो समयसीमा के बाद दाखिल किए गए आईटीआर पर धारा 234एफ के तहत उल्लिखित विलंब शुल्क नहीं लगेगा। कहा, 'धारा 139(1) में उल्लिखित सकल कुल आय का मतलब अधिनियम के तहत धारा 80सी से 80यू के तहत कटौती को ध्यान में रखने से पहले कुल आय से है।
किसी व्यक्ति पर लागू मूल कर छूट चुनी गई कर व्यवस्था पर करती है निर्भर
वर्तमान कर कानूनों के अनुसार किसी व्यक्ति पर लागू मूल कर छूट सीमा उसकी ओर से चुनी गई कर व्यवस्था पर निर्भर करती है। यदि कोई व्यक्ति नई कर व्यवस्था का विकल्प चुनता है, तो मूल छूट सीमा 2.5 लाख रुपये होगी, भले ही उसकी उम्रसीमा कुछ भी हो। हालांकि, यदि कोई व्यक्ति पुरानी कर व्यवस्था का विकल्प चुनता है, तो मूल छूट सीमा व्यक्ति की उम्र पर निर्भर करती है। वर्तमान में, 60 वर्ष से कम आयु के निवासी व्यक्तियों के लिए मूल छूट सीमा 2.5 लाख रुपये है। 60 वर्ष और उससे अधिक लेकिन 80 वर्ष से कम आयु के वरिष्ठ नागरिकों के लिए, 3 लाख रुपये तक की आय को कर से छूट दी गई है। अति वरिष्ठ नागरिकों (80 वर्ष से अधिक आयु के) के लिए, मूल छूट सीमा 5 लाख रुपये तक है। ध्यान दें कि बजट 2023 ने नई कर व्यवस्था के तहत नए आयकर स्लैब की घोषणा की है। हालांकि, नई कर व्यवस्था के तहत नए आयकर स्लैब चालू वित्त वर्ष 2023-24 (यानी 1 अप्रैल, 2023 और 31 मार्च, 2024 के बीच) और वित्त वर्ष 2023-24 (आकलन वर्ष 2024-25) के लिए अगले साल आईटीआर दाखिल करते समय अर्जित आय के लिए लागू होंगे।
उपरोक्त नियम के अपवाद
हालांकि, उपरोक्त नियम के दो अपवाद हैं। नियम का पहला अपवाद व्यक्तियों के कुछ वर्गों के लिए आईटीआर दाखिल करना अनिवार्य है, भले ही उनकी सकल कुल आय मूल छूट सीमा से अधिक न हो। ईवाई इंडिया में पीपुल एडवाइजरी सर्विसेज की टैक्स पार्टनर शालिनी जैन ने कहा, 'अगर कोई व्यक्ति धारा 139 (1) के सातवें नियम में उल्लिखित किसी भी शर्त को पूरा करता है, तो उसे वित्त वर्ष 2022-23 के लिए अनिवार्य रूप से आईटीआर दाखिल करना होगा, ऐसा नहीं करने पर धारा 234 एफ के तहत शुल्क लगाया जाएगा।
धारा 139 (1) के सातवें नियम के तहत निम्न व्यक्ति आते हैं-
- ऐसे व्यक्ति जिन्होंने अपने बैंक या सहकारी बैंक के एक या अधिक चालू खातों में 1 करोड़ रुपये से अधिक की राशि या कुल राशि जमा की है।
- जिन्होंने किसी विदेशी यात्रा के लिए अपने या किसी अन्य व्यक्ति के लिए 2 लाख रुपये से अधिक की राशि या कुल राशि का व्यय किया है।
- ऐसे व्यक्ति जिन्होंने बिजली की खपत के लिए 1 लाख रुपये से अधिक की राशि या कुल राशि का व्यय किया है।
- ऐसे व्यक्ति जो उपरोक्त में से किसी भी एक कारण के अंतर्गत आते हैं।
यदि आप ऊपर उल्लेखित किसी भी शर्त के अंतर्गत आते हैं तो आपको अनिवार्य रूप से आईटीआर दाखिल पड़ेगा। ऐसी स्थिति में आपको सुनिश्चित करना चाहिए कि आपने समय सीमा से पहले अपना टैक्स रिटर्न दाखिल कर लिया है अन्यथा आपको विलंब शुल्क भरना पड़ेगा, भले ही आपकी सकल कुल आय कर योग्य सीमा से नीचे हो।
विदेशी संपत्ति से आमदनी होने पर भी भरना पड़ेगा जुर्माना
दूसरा अपवाद यह है कि यदि आप विदेशी संपत्ति रखते हैं जैसे कि विदेशी कंपनी के स्टॉक इत्यादि और उस विदेशी संपत्ति से आप को आमदनी होती है तो आपको हर हाल में समय से पहले आईटीआर दाखिल करना पड़ेगा ऐसा नहीं करने पर आपको जुर्माना भरना पड़ेगा फिर चाहे आपकी आपकी आमदनी कुल आय कर योग्य सीमा से कम ही क्यों ना हो।