मेवाड़ लाइब्रेरी के विद्यार्थियों ने मनाई वीर शिरोमणि महाराणा प्रताप की जयंती

मेवाड़ लाइब्रेरी के विद्यार्थियों ने मनाई वीर शिरोमणि महाराणा प्रताप की जयंती
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चित्तोडगढ  ।मेवाड लाइब्रेरी के संचालक अशोक वैष्णव ने बताया कि लाइब्रेरी के संरक्षक मनीष चावला के नेतृत्व में प्रताप जयंती मनाई गई।
चावला ने महाराणा प्रताप जयंती पर प्रकाश डालते हुए बताया कि वीर शिरोमणि महाराणा प्रताप जी कि बहादुरी और मातृभूमि से प्रेम और समर्पण को पूरा देश जानता है , जिन्होंने अकबर की अधीनता स्वीकार नहीं की और उसका डटकर सामना किया,  आज उन्हीं महाराणा प्रताप की 483वीं जयंती है, मेवाड़ में इसे हर्षाेल्लास से मनाई जा रही है । चित्तौड़ शहर में भी कई कार्यक्रम हुए ।
महाराणा प्रताप का जन्म ज्येष्ठ शुक्ल तृतीया विक्रम संवत 1597 और अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार 9 मई 1540 में कुम्भलगढ़ में हुआ था। कुम्भलगढ़ किला उदयपुर संभाग के राजसमन्द जिले में है, इस विशाल किले को अजयगढ़ भी कहां जाता है, क्योंकि इसे कभी हराया नहीं जा सका। महाराणा प्रताप का बाल्यकाल यहीं पर गुजरा। फिर एक साल बाद 1541 में वह चित्तौड़गढ़ दुर्ग गए जहां 1546 तक रहे.फिर कुम्भकगढ़ में अगले 10 साल तक मां जयवंता बाई और सामंत जयमल के संरक्षण में शस्त्र और शास्त्र की शिक्षा ली।
वर्ष 1568 में अकबर ने चित्तौड़गढ़ दुर्ग पर आक्रमण कर दिया था, फिर युद्ध नीति के तहत महाराणा प्रताप पिता महाराणा उदय सिंह के साथ उदयपुर गिर्वा आ गए.इसके बाद पिता के साथ यहीं पर रहे ।
चित्तौड़गढ़ छोड़कर पिता के साथ महाराणा प्रताप उदयपुर आ गए थे, लेकिन चार साल बाद ही पिता महाराणा उदय सिंह की 28 फरवरी 1572 में निधन हो गया.इसके बाद प्रताप का राजतिलक गोगुन्दा के श्मशान क्षेत्र में महादेव मंदिर की बावड़ी के पास हुआ। गोगुन्दा जो उदयपुर से करीब 30 किलोमीटर दूर है.आज भी उनकी राजतिलक स्थली बनी हुई है ।
इस दौरान संरक्षक गोवर्धन  वैष्णव , कृष्ण कुमार जोशी,  पवन रजक , अभिमन्यु चावला , सोनाक्षी सोनी , देवराज गाडरी , भूपेंद्र सालवी , कमलेश गाडरी  आदि विधार्थी उपस्थित थे ।

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