ढोल ताशे के साथ पहुंची शनि के घर सूर्य देव की सवारी
उज्जैन में 51 बटुक ब्राह्मण अलग-अलग ग्रह के रंग का ध्वज लिए पालकी में विराजित सूर्य देव को मंत्रों की गूंज के साथ मकर शनि के घर पहुंचे।पिता पुत्र के संबंधों में मधुरता का संदेश देने के लिए सूर्य देव की सवारी कृष्णा गुरु के सानिध्य में निकली गई।
उज्जैन के शनि नवग्रह मंदिर में मंगलवार को जब सूर्य देव को पालकी में विराजित किया तो पूरा शनि मंदिर ताशे,मंत्र,शंखनाद से गूंज उठा।51 बटुक ब्राह्मण अलग-अलग ग्रह के रंगों के ध्वज लेकर निकले। यह सवारी शनि मंदिर परिक्रमा कर त्रिवेणी घाट पहुंची। जहां पंडित शैलेंद्र त्रिवेदी,प्रशांत व्यास ने आदित्य ह्रदय स्त्रोत के मंत्रों के साथ सूर्य देवता को शनि भूगर्भ में स्थापित किया गया। इसके बाद सूर्य शनि के मंत्रो के साथ पिता पुत्र मिलन करवाया गया।
उसके बाद मंदिर में हवन हुआ। इस मौके पर कृष्णा गुरु ने बताया मकर संक्रांति पर्व को युवा पिता पुत्र दिवस के रूप भी ले सकते है।शत्रु भाव होते हुए भी सूर्य शनि एक दूसरे के घर आना जाना बंद नहीं कर उनके घर का सम्मान करते है।आज के युग के युवा जरा-जरा सी बात पर अपने पिता से मुंह मोड़ लेते है।
उनको यह सोचना चाहिए उन्होंने जिस धरती पर जन्म लिया इसी धरती पर एक पिता दशरथ के एक बार कहने पर पुत्र राम 14 वर्ष के वनवास पर चले गए। वाल्मीकि समाज के बालयोगी उमेश नाथ ने कहा कि राष्ट्र निर्माण में युवा एक नई दिशा देगा। उन्हें राष्ट्रहित से जुड़े काम भी करना चाहिए। सवारी में भाग लेने के लिए शुभांगी,भारती मंडलोई,बजाज परिवार शनि मंदिर परिवार के सदस्य मौजूद थे।