भारत को विश्व के शिखर पर पहुंचाने का लें संकल्प-उपराष्ट्रपति
चित्तौड़गढ़। उपराष्ट्रपति बनने के बाद पहली बार जगदीप धनखड़ मंगलवार को अपने विद्यालय सैनिक स्कूल चित्तौड़गढ़ पहुंचे, जहां हेलिपेड पर जिला प्रभारी मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास ने उनका स्वागत किया। जिसके बाद उन्हें गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया, जिसके बाद उन्होंने विद्यालय परिसर में पौधारोपण किया। यहां से उपराष्ट्रपति पहले शहर के शास्त्रीनगर में अपने स्कूल टीचर हरपाल सिंह राठी कर घर पहुंचे। राठी उन्हें सैनिक स्कूल में केमिस्ट्री पढ़ाते थे। अपने प्रिय शिक्षक से लंबे समय बाद मिलने पर उपराष्ट्रपति भाव विभोर हो गए, उन्होंने अपने गुरु के चरण छूकर आशीर्वाद लिया। इस दौरान उपराष्ट्रपति ने अपने टीचर के साथ सैनिक स्कूल में बिताएं समय को याद किया। यहां से उपराष्ट्रपति पुनः सैनिक स्कूल पहुंचे जहां शंकर मेनन सभागार में आयोजित कार्यक्रम को उन्होंने सम्बोधित किया। इस दौरान उन्होंने सैनिक स्कूल में अपने अध्ययन के वृतांत सुनाते हुए स्कूल के विद्यार्थियों को देश की सेवा का कार्य करने के लिये प्रेरित किया। सैनिक स्कूल के छात्र-छात्राओं से मुलाकात के दौरान उपराष्ट्रपति ने अपने स्कूल के दिनों के कई रोचक संस्मरण सुनाए। छात्रों को अपनी रुचि का कैरियर चुनने की सलाह देते हुए, धनखड़ ने कहा कि हमारे जमाने में बच्चा पैदा होते ही माता पिता तय कर देते थे कि वो फौजी बनेगा या डॉक्टर बनेगा या इंजीनियर बनेगा और जिंदगी भर उसे वही बनाने की कोशिश करते थे भले ही बच्चे की उसमे रुचि हो या नहीं। नदी और नहर का उदाहरण देते उपराष्ट्रपति ने छात्रों से कहा कि बंधे किनारों वाली नहर ना बनें बल्कि स्वतंत्र नदी बनें जो अपना रास्ता स्वंय चुनती है। युवाओं से निडर होकर आगे बढ़ने की अपील करते हुए कि धनखड़ ने कहा कि असफलता के डर से डरिये मत डर सबसे बड़ी बीमारी है जो मानवता के लिये हानिकर है। उपराष्ट्रपति ने भारत द्वारा नित रचे जा रहे कीर्तिमानों का जिक्र करते हुए कहा कि भारत का डंका पूरी दुनिया में बज रहा है। आज हम अपने औपनिवेशिक शासकों को पीछे छोड़ पांचवीं बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है। कार्यक्रम को सम्बोधित करते उपराष्ट्रपति धनखड़ ने कहा कि देश मंे बहुत बड़ा बदलाव आया है, जिसमे ंप्रत्येक भारतीय का योगदान है। उन्होंने कहा कि कल चांद पर चंद्रयान के पहुचनें का सभी को इंतजार है। उन्होंने छात्रों से आह्वान किया आप 2047 के सिपाही हैं, आप हर प्रयास करें ताकि भारत आजादी की शताब्दी मनाते समय विश्व में शिखर पर पहुंचे। कानून को सर्वाेपरि रखने पर बल देते हुए उपराष्ट्रपति जी ने कहा कि कुछ लोग समझते हैं कि वे कानून से ऊपर हैं और जब कानून का शिकंजा उन पर कसता है तो वे सड़कों पर विरोध प्रदर्शन का रास्ता अपनाते हैं। धनखड़ ने यह भी कहा किसी को भी राष्ट्र और हमारे संस्थाओं की छवि धूमिल करने की अनुमति नहीं दी जा सकती। उन्होंने जोर देकर कहा कि हमेशा ऐसा काम करना चाहिए जिससे देश का नाम ऊपर हो। हर हालत में हमें देश को सर्वाेपरि रखना होगा। सैनिक स्कूलों में लड़कियों के एडमिशन को एक सकारात्मक और अच्छी शुरुआत बताते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि उन्हें विश्वास है कि आने वाले समय में इसके बहुत अच्छे परिणाम देखने को मिलेंगे। स्कूल के पूर्व छात्र लेफ्टिनेंट जनरल मान्धाता सिंह ने कहा कि आज उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ हमारे सामने एक रोल मॉडल है। उन्होंने सैनिक स्कूल अलूमनाई संगठन की ओर से उपराष्ट्रपति को स्मृति चिन्ह भेंट किया। जीओसी 61 सब एरिया एवं एलबीए चेयरमैन मेजर जनरल राय सिंह गोदारा एवं कार्यवाहक प्राचार्य लेफ्टिनेंट कर्नल पारूल श्रीवास्तव ने स्कूल परिवार की ओर से उपराष्ट्रपति को स्मृति-चिन्ह भेंट किया। स्कूल कैप्टन कैडेट अखिलेश कुमार ने धन्यवाद ज्ञापित किया। मंच का संचालन कैडेट नेहा ने किया। उपराष्ट्रपति ने स्कूल के शैक्षणिक भवन, इंडोर स्टेडियम एवं हाउस का दौरा किया। इस अवसर पर जिला कलेक्टर पीयूष सामरिया, स्कूल के पूर्व छात्र एवं वर्तमान में एसपी राजन दुष्यंत, प्रमिला गोदारा, एच एस राठी, सी एस द्विवेदी, डी एल सुरेडिया, यूएस भगवती, राव नरेंद्र सिंह, कैप्टन सुरेश इनानी, कर्नल वी पी सिंह, कर्नल प्रमोद बडसरा, मेजर आर पी सिंह, एस के गंगवार, राकेश भार्गव अरुण शर्मा सहित अन्य अधिकारी उपस्थित थे। कार्यक्रम के सम्बोधन के पश्चात उपराष्ट्रपति को स्कूल के प्राचार्य और कैडैट्स द्वारा सम्मान किया गया। यहां से उपराष्ट्रपति धनखड़ सांगा हाउस पहुंचे, जहां उनका अध्ययनकाल निकला था। उन्होंने सांगा हाउस का अवलोकन पुराने दिनांे का याद किया, जिसके बाद वे सभी का अभिवादन करते हुए हेलिकॉप्टर से रवाना हो गये।