खुशी,मिठाई, नेग के नाम पर बच्चे का जन्म होते ही देना पड़ता है मातृ-शिशु विभाग में टैक्स !

पाली . सरकार की ओर से राजकीय चिकित्सालयों में जांच व उपचार मुफ्त है, लेकिन कार्मिकों के मरीजों व उनके परिजनों से पैसा वसूलने पर कोई नियंत्रण नहीं है। मातृ-शिशु विभाग में तो किसी को रुपए लेने में डर तक नहीं लगता, कारण है लेबर रूम में किसी को जाने की इजाजत नहीं है और अंदर महिलाओं के अतिरिक्त अन्य कोई होता नहीं है। वे कार्मिकों के मांगने पर रुपए दे देती है। ऐसा ही लम्बे समय से चिकित्सालय में भी हो रहा है। नेग के नाम पर रुपए नहीं मिलने पर प्रसूता से कई कार्मिक दुर्व्यवहार तक करते है। वार्ड बॉय स्ट्रेचर बीच राह में छोड़ देते हैं। सफाई कर्मचारी पलंग के पास सफाई तक नहीं करते।
गांवों के लोगों को करते हैँ टारगेट अस्पताल में कार्मिक प्रसव के बाद रुपए की मांग ग्रामीणों से करते हैं, ताकि शिकायत नहीं हो। हालांकि कई कार्मिक हर किसी से रुपए मांग लेते है। उनकी शिकायत भी हुई है, लेकिन अस्पताल प्रशासन की फौरी कार्रवाई के कारण हालात बदल नहीं रहे।
मांग 1000 की, बात 500 में बन जाती
लेबर रूम में लड़का होेने पर 1000 रुपए की मांग की जाती है। परिजनों के नहीं मानने पर 500 रुपए तो लिए ही जाते है। राशि प्रसव कराने वाले कार्मिक ही नहीं, चौकीदार, वार्ड बॉय और सफाई कर्मचारी तक लेते हैं। हर वार्ड में सफाई करने वाले रोजाना प्रसूताओं व उनके परिजनों से सफाई करने के बाद 10-20 रुपए ले जाते है।
इनका कहना है
