भागवत कथा से जीवन जीने की कला आती है-सत्यनारायण महाराज
शाहपुरा-मूलचन्द पेसवानी
निकटवर्ती बड़ा महुआ ग्राम में महंतश्री दीपक पुरीजी महाराज के सानिध्य में आयोजित भागवत कथा के पांचवे दिन भगवान श्री कृष्ण द्वारा पूतना वध, कृष्ण बाल चरित्र, माखन चोरी लीला, दामोदर लीला तथा गोवर्धन की पूजा आदि की कथा का वर्णन किया।
आज कथा के दौरान वसुदेव और नंद बाबा की है मित्रता का वर्णन करते हुए कथा व्यास सत्यनारायण महाराज ने कहा कि जो व्यक्ति विपत्ति में अपने मित्र की सहायता नहीं करता है उस व्यक्ति को देखने से भी पाप लगता है। भागवत जीवन को सफल और सार्थक बनाने का सूत्र है। भागवत संयमित एवं मर्यादित जीवन जीने की प्रेरणा देती है।
कथा व्यास सत्यनारायण महाराज ने कहा कि सत्संग से संस्कार तथा भागवत से भगवान मिलते हैं। भागवत कलयुग में आत्म कल्याण तथा पित्र कल्याण का सबसे बड़ा यज्ञ है। इस दौरान उन्होंने बताया कि इंद्र को अपने देवराज होने का गर्व हो गया तो भगवान श्री कृष्ण ने उसके अभिमान का मधमर्दन करने के लिए गोवर्धन पर्वत की पूजा ब्रज वासियों से कराई जिस से कुपित होकर इंद्र ने घनघोर वर्षा कर दी।
कथा व्यास सत्यनारायण महाराज ने कहा कि जिस पर भगवान श्री कृष्ण ने अपनी कनिष्का पर गिरिराज पर्वत को धारण कर ब्रज वासियों की 7 दिन तक हुई घनघोर वर्षा से रक्षा की। जिसे देख इंद्र का अभिमान टूट गया और वह भगवान श्री कृष्ण की शरण में आ गया इस। दौरान कथा स्थल पर आयोजकों और उपस्थित श्रद्धालुओं ने पूरे भक्ति भाव के माहौल के साथ गोवर्धन की पूजा करते हुए व्यंजनों का भोग लगाकर प्रसादी का वितरण कराया। इस दौरान अनेक श्रद्धालु मौजूद थे।