एक माह में तैयार होती हे मेवाड़ की सबसे बड़ी श्रीनाथजी की होलिका,हजार से अधिक कांटों की मथारियों से बनाई जाती है

एक माह में तैयार होती हे मेवाड़ की सबसे बड़ी श्रीनाथजी की होलिका,हजार से अधिक कांटों की मथारियों से बनाई जाती है
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नाथद्वारा दर्पण पालीवाल । पुष्टिमार्गिय की  वल्लभ सम्प्रदाय की प्रधान पीठ प्रभु श्रीनाथजी की हवेली में होली महोत्सव धूमधाम से मनाया जाता है। होली महोत्सव पर नगर के होली मंगरा पर होली का डांडा रोपण कर होली तैयार की जा रही है। श्रीनाथजी की होली नगर सहित पूरे मेवाड़ क्षेत्र की सबसे बड़ी होली होती है। यह होली करीब एक हजार से ज्यादा काटों की मथारियों से बनाई जाती है, जिसको तैयार करने में करीब एक माह का समय लगता है।

होली के लिए श्रमिकों द्वारा नाथुवास बीड़े में 6 माह  पहले से काटेदार बेर की जाडियो को  काट कर मथारिया तैयार की जाती है। इसके बाद होली के पूरे फागुन माह पर भील समाज की महिलाएं व पुरुष सूखी टहनी रूपी कांटों की मथारियों को सिर पर रख कर करीब 3 किलोमीटर दूर होली मंगरा पर लाकर जमा करते हैं। जहां पर अनुभवी और होलिका थापने में महारथ हासिल श्रमिक मधारियों को जमाकर इसको होली का गोल और ऊंचा आकर देते हैं।जैसे जैसे होलिका की  ऊंचाई बढ़ती जाती है तो सीढ़ियों का उपयोग कर मथारियो  को जमाया जाता है।इसकी ऊंचाई लगभग दो मंजिला भवन जितनी होती है। मंदिर से खर्च भंडारी, मशालची की अगुवाई में जमाया जाता है।
होलिका दहन के दिन श्रीनाथजी मंदिर के कीर्तनकार, सेवावाले, ब्रजवासी कीर्तन,रसिया का गान करते हुए होली मंगरा पहुंचते हैं, जहां पर वैदिक मंत्रोचार के बाद होली की परिक्रमा लगाकर दहन किया जाता है। श्रीनाथजी की होली के प्रज्वलन के बाद आग की लपटे लगभग पचास से साठ फीट उंची उठती हैं,जिससे आसपास का क्षेत्र रोशन हो उठता है। इसके बाद ही नगर व आसपास के क्षेत्रों में होलिका दहन किया जाता है।

होलिका दहन का  मूहुर्त इस बार 25 मार्च सुबह 6 बजकर 36 मिनट से पहले होगा।  होलिका दहन के बाद श्रीनाथजी मंदिर में डोलोत्सव और दहन एक ही दिन होगा। सोमवार 25 मार्च को मंदिर में डोलोत्सव धूमधाम से मनाया जाएगा। डोलोत्सव के दिन बाल स्वरूपों को गुलाल, अबीर से सराबोर कर फाग खेलाया जाएगा। गवाल-बाल उप, चंग की थाप पर रसिया  गान करेंगे। 

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