रात में देर से खाने की आदत बन सकती है जानलेवा बीमारियों का कारण

आहार की पौष्टिकता, सेवन का समय और इसके तरीके का सीधा असर हमारी सेहत को प्रभावित करता है। स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, शरीर को स्वस्थ और पाचन क्रिया को बेहतर रखने के लिए भोजन का एक समय निर्धारित करें और रोजाना उसी समय पर ही भोजन करें। क्या आपकी भी रोजाना रात को देर से भोजन करने की आदत है? स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, इससे गंभीर और जानलेवा बीमारियों के बढ़ने का खतरा हो सकता है। हाल ही में किए गए एक अध्ययन में शोधकर्ताओं ने पाया कि रात में देर से भोजन करने वाले लोगों में मोटापा बढ़ने का जोखिम अधिक पाया गया है। मोटापे को अध्ययनों में हृदय रोग और डायबिटीज का कारक माना जाता है। ये दोनों स्थितियां वैश्विक स्तर पर मृत्यु के प्रमुख कारणों में से एक हैं।
अध्ययनकर्ताओं की टीम ने पाया कि रात में देर से भोजन करने की आदत कैलोरी की मात्रा, मेटाबॉलिज्म और पाचन तंत्र को प्रभावित करती है जिसके कारण वजन बढ़ने का खतरा हो सकता है। अध्ययन में शोधकर्ताओं में प्रयोगात्मक तथ्यों के आधार पर बताया है कि रात में देर से खाने की आदत ऊर्जा व्यय में कमी, भूख में वृद्धि और वसा ऊतकों में परिवर्तन को बढ़ा देती है। ये स्थितियां संयुक्त रूप से मोटापे के खतरे को बढ़ा देती हैं।
विशेषज्ञों की टीम से सभी लोगों से भोजन के नियमबद्ध सेवन पर विशेष ध्यान देने की अपील की है। आइए इस अध्ययन के बारे में विस्तार से समझते हैं।देर से भोजन करना सेहत के लिए हानिकारक
ब्रिघम डिवीजन ऑफ स्लीप एंड सर्कैडियन डिसऑर्डर के शोधकर्ताओं की टीम ने अध्ययन में उन तंत्रों के बारे में जानने की कोशिश की जिनके कारण रात में देर से खाने से मोटापे का खतरा बढ़ सकता है। प्रोफेसर और अध्ययन के प्रमुख लेखक फ्रैंक ए जे एल स्कीर कहते हैं, पहले के अध्ययनों में भी देर से भोजन करने से मोटापे के जोखिमों के बारे में बताया जाता रहा है। इस बार हम यह जानना चाहते थे कि आखिर ऐसा होता क्यों है?
अध्ययन में हमने पाया कि निर्धारित समय से चार घंटे के बाद भोजन करने के कारण हमारे भूख के स्तर पर महत्वपूर्ण अंतर पड़ता है, जिससे कैलोरी बर्न और वसा का संचय भी प्रभावित होता है, जो मोटापे का कारण बनती है।
दो समूह वाले लोगों पर अध्ययन
इसके लिए शोधकर्ताओं की टीम ने अधिक बॉडी मास इंडेक्स (बीएमआई), अधिक वजन या मोटापे के शिकार लोगों पर अध्ययन किया। इसमें लोगों को दो हिस्सों में बांटा गया। पहले समूह के लोगों ने कुछ समय तक निर्धारित समय पर भोजन किया जबकि दूसरे समूह वालों को लगभग चार घंटे बाद भोजन दिया गया। प्रतिभागियों के सोने और जागने के समय पर भी ध्यान केंद्रित किया गया। भोजन का समय किस प्रकार से मॉलीक्यूलर पाथवे को प्रभावित करता है इसे जानने के लिए भी जांच किए गए।
