सुहागिनों ने दशामाता की पूजा कर मांगी खुशहाली
चित्तौड़गढ़। होली पर्व के दसवें दिन मनाये जाने वाला दशामाता पर्व चैत्र-कृष्णा दशमी पर शहर और ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाओं ने अलग-अलग स्थानों पर पूजनीय पीपल वृक्ष के समीप दशामाता की पूजा-अर्चना कर घर-परिवार में सुख-समृद्धि, गृहदशा में उत्तरोत्तर वृद्धि और सुहागिन महिलाओं ने अखण्ड सौभाग्य की कामना की। इस अवसर पर पारम्परिक वेशभूषा में महिलाओं ने सुख-समृद्धि देने वाली दशामाता को आटे से बने आभूषण और धूप नेवेध्य भेंट कर हिन्दू परम्परा अनुसार अखण्ड सौभाग्य के प्रतीक केसरियां डोरे की कण्ठियां धारण कर दशामाता की कथाएं और दस कहानियां सुनने के बाद विधिवत व्रत का उद्यापन किया। कई प्राचीन पीपल वृक्षों के समीप महिलाएं मंगल गीत गाती हुई पहुंची। जहां पूजा अर्चना के बाद ब्रह्मा का निवास माने जाने वाले पीपल वृक्ष पर कच्चे सूत का धागा लपेटते हुए सप्त परिक्रमा कर सभी के लिये मंगल कामना की गई। यह पर्व धार्मिक, आस्था और विश्वास के साथ प्रकृति पूजा का प्रतीक है, इसी कारण पीपल के वृ़क्ष में ब्रह्मा का निवास मानकर सभी महिलायें प्रतिकात्मक रूप में दशामाता की वहां आराधना कर सर्वत्र खुशी और धन-धान्य की कामना करती है।