लैंडर इमेजर कैमरे से कुछ ऐसा नजर आया चांद

लैंडर इमेजर कैमरे से कुछ ऐसा नजर आया चांद
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इसरो ने बताया कि चंद्रयान-3 की लैंडिंग का लाइव टेलीकास्ट 23 अगस्त को शाम 5 बजकर 20 मिनट पर शुरू होगा। इसी के साथ इसरो ने 19 अगस्त 2023 को विक्रम लैंडर के लैंडर पोजिशन डिटेक्शन कैमरा (एलपीडीसी) से ली गईं कुछ तस्वीरें भी साझा कीं। बताया गया है कि इन्हें चांद के 70 किमी ऊपर से लिया गया।

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अबतक कोई भी देश चंद्रमा के दक्षिणी सतह पर नहीं पहुंच पाया है, इसी उद्देश्य के साथ इसरो ने 14 जुलाई को चंद्रयान-3 लॉन्च किया था।

23 अगस्त को आई बाधा तो ...
इसरो के अहमदाबाद स्थित अंतरिक्ष अनुप्रयोग केंद्र के निदेशक नीलेश एम देसाई ने सोमवार को बताया था कि यह निर्णय उस समय लैंडर मॉड्यूल की सेहत, टेलीमेट्री डाटा और चंद्रमा की स्थिति  के आधार पर होगा। अगर उस समय कोई ऐसी वजह सामने आई जो चंद्रयान 3 को उतारने के लिए अनुकूल नहीं लगी, तो लैंडिंग को टाल कर 27 अगस्त के लिए निर्धारित किया जाएगा। वहीं अगर कोई समस्या नजर नहीं आई, तो 23 अगस्त को ही लैंडर उतारा जाएगा।

निदेशक एम देसाई ने कहा कि यान को 30 किमी की ऊंचाई से चंद्रमा पर उतारने की प्रक्रिया शुरू होगी। यह प्रक्रिया शुरू करने से 2 घंटे पहले सभी निर्देश लैंडिंग मॉड्यूल को भेजे जाएंगे। उन्होंने कहा कि इस समय उन्हें चंद्रयान 3 को 23 अगस्त को ही चंद्र सतह पर उतारने में कोई मुश्किल नजर नहीं आ रही है, इसलिए उसी तारीख पर यान को उतारने का प्रयास होगा। 27 अगस्त को लैंडिंग के लिए भी सभी सावधानियां बरती जा रही हैं। सभी प्रणालियां भी तैयार रखी गई हैं।
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शुरुआत में 1.68 किमी प्रति सेकंड का रहेगा वेग
देसाई ने बताया कि 30 किमी की ऊंचाई से लैंडिंग शुरू करने पर लैंडर मॉड्यूल के उतरने का वेग 1.68 किमी प्रति सेकंड रहेगा। यह बेहद तेज गति मानी जाती है। चंद्रमा का गुरुत्वाकर्षण भी उसे नीचे की ओर खींचेगा। इस वजह से यान के थ्रस्टर से रेट्रो-फायर (यान को उसके बढ़ने की दिशा से विपरीत दिशा में धकेलने के लिए) किए जाएंगे। इससे उसकी गति कम होती जाएगी। जब वह चंद्र की सतह की ओर बढ़ेगा तो उसे छूने तक धीरे-धीरे इंजन थ्रस्टर फायर से गति लगभग शून्य के करीब लाई जाएगी। इसके लिए लैंडर मॉड्यूल में 4 थ्रस्टर इंजन लगाए गए हैं।

27 अगस्त को उतारा तो मौजूदा साइट से 450 किमी दूर लैंडिंग देसाई ने बताया कि अगर 23 अगस्त से टाल कर चंद्रयान 3 को 27 अगस्त को उतारने का निर्णय लिया गया, तो उसे पहले से तय स्थान से करीब 450 किमी दूर स्थित नये स्थान पर उतारा जाएगा।
 

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