शस्त्र काटने का शास्त्र जोड़ने का काम करता है- साध्वी चंदनबाला

आसींद हलचल। पहले प्रभु की वाणी सुनकर दीक्षा ग्रहण कर लेते थे। साधु बनने के बाद ज्ञान ध्यान सिखाने के लिए स्थिवर मुनियों के पास भेजते थे जो उन्हें शास्त्र का ज्ञान प्रदान करते थे। मानव का जीवन मिलना आसान है लेकिन मानवता मिलना आसान नही है। पूर्व के जन्मों में अच्छे कर्म किये होंगे तो आपको इस भव में सुख प्राप्त होगा। शस्त्र काटने का काम करता है जब कि शास्त्र जोड़ने का काम करता है। उक्त विचार तपाचार्य साध्वी जयमाला की सुशिष्या साध्वी चंदनबाला ने महावीर भवन में उत्तराध्ययन सूत्र के वाचन की व्याख्या करते हुए कहे।
साध्वी ने कहा कि विश्वास और श्रद्धा दोनो अलग अलग है। विश्वास एक थोपी हुई चीज होती है जब कि श्रद्धा मन से भीतर से जुड़ी हुई होती है। हम अपनी शक्ति और समय सदैव अच्छे कामो में लगावे , बुरे और अनैतिक कामो में कभी भी नही लगावे। मनुष्य का भव ही एक ऐसा भव है जिसमे आत्मा मोक्ष में जा सकती है। मानव को सदैव क्रोध से बचना चाहिए जितना आप कम बोलोगे यानि कि आवश्यकता के अनुरूप बोलोगे उतना ही अच्छा है। आज भाषा का उच्चारण सही नही करने से कितने विवाद, अपराध मानव कर बैठता है। वाणी के ऊपर सदैव लगाम होनी चाहिए। हम ऐसा कोई कटु शब्द नही बोले जिससे सामने वाले कि आत्मा को कोई ठेस पहुचे। धर्मसभा में साध्वी डॉ चंद्रप्रभा भी उपस्थित थे। बाहर से आये श्री संघो का स्थानीय संघ ने शब्दो से स्वागत किया।