सीलबंद लिफाफे में कैद अतीक-अशरफ की हत्या का राज, खुलेगा तो मचेगा हड़कम्प
वकील विजय मिश्रा ने कहा कि जल्द ही योगी आदित्यनाथ के पास एक सीलबंद चिट्ठी पहुंचेगी। इसमें अतीक और अशरफ को मरवाने वाले का नाम लिखा होगा।
अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ हत्याकांड ने न केवल यूपी बल्कि देश की राजनीति को गरमा दिया है। दोनों की हत्या को लेकर विपक्ष सरकार पर हमलावर है तो सरकार मामले के लिए जांच टीम गठित कर चुकी है। इस बीच चर्चा है कि जल्द ही अशरफ की एक गुप्त चिट्ठी मुख्य न्यायधीश और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के पास पहुंच सकती है, इसमें उसका नाम है जिसने अशरफ और अतीक पर हमला करवाया। दरअसल इस बात को और मजबूती तब मिली जब अतीक के वकील विजय मिश्रा ने कहा कि जल्द ही योगी आदित्यनाथ के पास एक सीलबंद चिट्ठी पहुंचेगी। इसमें अतीक और अशरफ को मरवाने वाले का नाम लिखा होगा। अशरफ मुझसे बोला था अगर उसकी हत्या हो जाती है तो यह बंद लिफाफा चीफ जस्टिस और सीएम योगी आदित्यनाथ पास पहुंच जाएगा।
अशरफ ने जता दी थी हमले की आशंका
बीते 29 मार्च को अशरफ को पुलिस एक मुकदमे की पेशी के दौरान प्रयागराज में थी। इसके बाद वह वापस आधी रात को बरेली जिला पहुंचता है। इस दौरान अशरफ ने पत्रकारों से कहा था कि एक पुलिस अधिकारी ने उसको धमकी दी है कि अगले दो सप्ताह में हत्या कर दी जाएगी। ऐसा हुआ तो उस अधिकारी का नाम लिखा बंद लिफाफा अदालत के सामने खुलेगा। हाईकोर्ट का आदेश है कि किसी भी केस की सुनवाई वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए कराई जा सकती है। फिर भी उसे और उसके भाई को जेल से निकाला गया। जेल में हत्या की आशंका को लेकर अशरफ ने कहा था कि मुझे जेल में नहीं बल्कि बाहर खतरा है और अंत में हुआ भी वही।
ढूंढा जा रहा इस सवाल का जवाब
उमेश पाल हत्याकांड में पूछताछ के लिए रिमांड पर लिए गए माफिया अतीक अहमद और अशरफ ही हत्या पुलिस की लापरवाही का नतीजा मानी जा रही है। उसकी तरफ से हर कदम पर चूक हुई। साबरमती जेल से माफिया अतीक और बरेली जेल से लाए गए अशरफ को कस्टडी रिमांड पर लिए जाने के बाद सुरक्षा की अनदेखी से कई सवाल खड़े हो गए हैं। रिमांड के दौरान जहां, माफिया और उसके भाई के वकील को भी सौ मीटर दूर रहने की इजाजत कोर्ट ने दी थी, वहां मेडिकल मुआयने से पहले अस्पताल गेट पर मीडियाकर्मियों को सवाल करने की छूट कैसे दी गई? इसका जवाब ढूंढ़ा जा रहा है।
साधारण जीप में घूमता रहा आतंक का दूसरा नाम अतीक
जिस माफिया अतीक की पेशी के दौरान सुरक्षा में एक हजार से अधिक पुलिस-पीएसी और आरएएफ के जवान लगाए जा रहे थे, जेल से बायोमीट्रिक लॉक वाली प्रिजन वैन में लाया जाता था, उसे दो दिन से धूमनगंज पुलिस थाने की साधारण जीप में लेकर घूमती रही। इतना ही नहीं उमेश पाल हत्याकांड में प्रयुक्त असलहों की बरामदगी के लिए कसारी-मसारी के जंगल में भी पुलिस अतीक-अशरफ को लेकर जीप से ही टहलती देखी गई। इस दौरान एक ही हथकड़ी की चेन में दोनों भाइयों के हाथ बांध कर घुमाया जाता रहा।
बार-बार मेडिकल कराना खड़े कर रहा सवाल
सीजेएम कोर्ट ने दोनों की रिमांड मंजूर करते हुए अपने आदेश में लिखा है कि न्यायिक अभिरक्षा से विवेचक की पुलिस कस्टडी में लेने से पहले और फिर पुलिस अभिरक्षा से न्यायिक अभिरक्षा में सौंपते समय दोनों का चिकित्सकीय परीक्षण और कोरोना जांच कराई जाएगी। लेकिन, तीन दिन से लगातार रात को पुलिस चिकित्सकीय परीक्षण के लिए लेकर अतीक-अशरफ को पहुंचती रही।
ऐसे में बार-बार चिकित्सकीय परीक्षण कराने की वजहों को लेकर भी सवाल खड़े हो रहे हैं। बिना औचित्य के कॉल्विन अस्पताल में चिकित्सकीय परीक्षण के लिए माफिया अतीक और उसके भाई को लेकर जाने के सवाल पर धूमनगंज के इंस्पेक्टर राजेश कुमार मौर्य का कहना था कि उनकी तबीयत खराब हो गई थी। जबकि अस्पताल के गेट पर शूटआउट से चंद सेकंड पहले तक अतीक सहज तरीके से बात करता नजर आ रहा था।