आत्मा अजर अमर अविनाशी, मृत्यु का अधिकार मात्र हमारे शरीर पर- शास्त्री

आत्मा अजर अमर अविनाशी, मृत्यु का अधिकार मात्र हमारे शरीर पर- शास्त्री
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भीलवाड़ा,। जिस दिन मनुष्य का जन्म तय हुआ उसी दिन मृत्यु भी साथ-साथ ही तय हो गई। कोई ये नहीं समझे कि मृत्यु तो अभी तय नहीं है ओर वह कहीं से जन्म लेकर आएगी। मौत तो हर पाल मानव के साथ ही चल रही है। वह तो जब चाहे उठा कर ले जाएगी कोई अवसर भी प्रदान नहीं करेगी ओर न ही किसी का इन्तजार करेगी। ये विचार अन्तरराष्ट्रीय श्री रामस्नेही सम्प्रदाय शाहपुरा के अधीन शहर के माणिक्यनगर स्थित रामद्वारा धाम में वरिष्ठ संत डॉ. पंडित रामस्वरूपजी शास्त्री (सोजत सिटी वाले) ने सोमवार को चातुर्मासिक सत्संग प्रवचनमाला के तहत व्यक्त किए। उन्होंने गर्ग संहिता के माध्यम से चर्चा करते हुए कहा कि मौत के साये में हमारा हर पल खतरे में बीत रहा है तो कभी मुख से लिया हुआ ग्रास भी नहीं खा पाओंगे। मृत्यु के भय से मुक्त होना है तो जीवात्मा ओर परमात्मा का पूर्ण ज्ञान प्राप्त करना होगा। इस बात को जानना समझना होगा कि मृत्यु का अधिकार हमारे शरीर पर है आत्मा पर नहीं। आत्मा तो अजर, अमर, अविनाशी है वह जन्म ही नहीं लेती तो फिर वह मरेगी कैसे, हमारा शरीर ही जन्म लेता ओर मरता है। इस मानव शरीर में छह प्रकार के कष्ट तो सबको देखने ही पड़ते है जन्म,मृत्यु, बुढ़ापा, व्याधियां, दुःख एवं क्षणिक सुख।  शास्त्रीजी ने जन्म-मृत्यु से जुड़े गुढ़ रहस्यों की विवेचना करते हुए कहा कि ज्ञान की अवस्था हो जाए तो हम समझ लेंगे कि पुराने वस्त्र त्याग नए वस्त्र धारण करने के समान मृत्यु जीवन का परिवर्तन मात्र है। यदि हमे नया शरीर प्राप्त करना है तो वस्त्र किस क्वालिटी के धारण करने यह मानव के हाथ में है। उन्होंने कहा कि नया शरीर कौनसा प्राप्त होगा यह हमारे कर्म से तय होता है। शुभ कर्म, धर्ममय जीवन है तो उत्तम शरीर की प्राप्ति होगी ओर यदि जीवन पापमय बिताया तो हल्के, गंदे अधम शरीर में जाना होगा। अच्छे कर्म करके परभव को सुधारना हमारे हाथ में है। सच्चे मन से परमात्मा की भक्ति व सत्संग करने पर केवल्य पद मोक्ष की प्राप्ति भी मानव को हो सकती है। अपना यह भव ओर परभव सुधारना किसी ओर के नहीं हमारे ही हाथ में है। सत्संग के दौरान मंच पर रामस्नेही संत श्री बोलतारामजी एवं संत चेतरामजी का भी सानिध्य प्राप्त हुआ। चातुर्मास के तहत प्रतिदिन भक्ति से ओतप्रोत विभिन्न आयोजन हो रहे है। भीलवाड़ा शहर के विभिन्न क्षेत्रों से श्रद्धालु सत्संग-प्रवचन श्रवण के लिए पहुंच रहे है। प्रतिदिन सुबह 9 से 10.15 बजे तक संतो के प्रवचन व राम नाम उच्चारण हो रहा है। चातुर्मास के तहत प्रतिदिन प्रातः 5 से 6.15 बजे तक राम ध्वनि, सुबह 8 से 9 बजे तक वाणीजी पाठ, शाम को सूर्यास्त के समय संध्या आरती का आयोजन हो रहा है।

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