राज्य के सबसे बड़ा 8 लाख कि लागत से बनेगा पक्षी घर ग्राम धोली में

मेवाड़ क्षेत्र में पक्षियों को बचाने के लिए एक अनोखी पहल शुरू हुई हैं। जबरकिया निवासी भेरुलाल गुर्जर ने बताया की आसींद क्षेत्र के मोतीपुर ग्राम पंचायत के धोली ग्राम के युवा सत्यनारायण प्रजापत, राजू लाल साहू व चारभुजा मित्र मंडल द्वारा एक नई पहल की है यह इंसानों के रहने के लिए आशियाने बनते आपने खूब देखे होंगे लेकिन आज दिखाते हैं आपको परिंदो के लिए बनाने जा रहे जिला मुख्यालय भीलवाडा से महज 50 किलो मीटर दूर आसींद उपखंड के मोतीपुर ग्राम पंचायत के धौली ग्राम में भगवान देवनारायण मंदिर के पास 100x100 फिट जमीन पर गार्डन के बिच में पक्षिघर पक्षियों के लिए अनोखे आशियाना बनाया जा रहा है,
ग्रामीण सत्यनारायण प्रजापत ने बताया की जहाँ पूरे देश में अपने आप में अनोखी ऐसी कॉलोनी बनाई जाएगी जहाँ उड़ते परिंदो के लिए ऊंचे से टावर में 1500 फ्लैट्स बनाए जायेंगे जिसमे 2000 से ज्यादा पक्षी रेह सकेंगे .यहां पर अब पक्षियों के लिए पक्के घर यानी पक्षी घर बनाए जा रहे हैं। यह धोली ग्राम के चारभुजा मित्र मंडल व समस्त युवाओं ने एक पहल शुरू कि तो यह पक्षी घर बनाने में गांव के और जबरकिया, मोतीपुर बडला,कालियास व आसपास के गांवों के युवा भामाशाहों की ओर से राशि एकत्रित करने मे भरपूर सहयोग मिल रहा है , घर में पक्षी सुरक्षित रूप रह सकते हैं। साथ ही पक्षियों पर कोई जानवर भी हमला नहीं कर पाता हैं। बड़े बड़े शहरों में अपार्टमेंट्स की भरमार है. 1 बीएचके 2 बीएचके प्लैट पाना हर किसी का सपना होता है लेकिन कभी सोचा है पेड़ पौधे कटने से बेजुबान पशु पक्षियों की क्या स्थिति हो गई है तेज गर्मी और तपती धूप से बचने के लिए आसरा ढूंढना उनके लिए मुश्किल हो गया है इसी मुश्किल से बचाने के लिए ग्राम धौली में 10 मंजिला जिसकी ऊंचाई इस खास अपार्टमेंट में करीब 2000 पक्षी निवास कर सकते हैं सभी पक्षियों के लिए खाने पीने का भी इंतजाम है. 8 मंजिला अपार्टमेंट में पक्षियों की सुविधाओं का विशेष ध्यान रखा जायेगा आकाशीय बिजली से बचाने ले लिए लाइटिंग अरेस्टर लगायेंगे जिससे बारिश के समय बिजली गिरने की संभावना नहीं रहेगी
वापस आने वाली है अब गौरैया अपने द्वारा बनाये हुवे घर में रहने के लिए ; कान्हा जाएगी बेचारी धीरे धीरे विलुप्त हो रही है क्यों की रहने के लिए घर नहीं है पहले पुराने कच्चे घर के केलु में रहा करती थी अब सभी के पक्के मकान बन गये और इनके घर टूट गये अब अपने प्रयास से इनको घर मिलेगा और फिर से चहचहाहट की आवाज़ आपके कानो में गूंजेगी पेड़ काटकर कोयला बनाए वाले माफिया ने सारे पक्षियों का घर छीन लिया गया एक समय था जब गौरैया भारत के ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों की अलार्म घड़ी हुआ करती थी। सुबह की मीठी नीदं इस नन्ही सी चिड़िया की चहचहाट से खुला करती थी। साथ ही घर के बरामदे में, नुक्कड़ों में, बस और रेलवे स्टेशनों की छतों तथा मिट्टी की दीवारों में गौरैया आमतौर पर दिख ही जाया करती थी। मनुष्यों के साथ गौरैया लगभग 10,000 वर्षों से सहजीवी के रूप में रह रही है। लेकिन पिछले कुछ ही दशकों में, भारत के शहरी क्षेत्रों में इसकी आबादी में इतनी भारी कमी आई है कि गौरैया आज भारतीय शहरों में एक दुर्लभ पक्षी बन गई है। मोबाइल टावर से निकलने वाली हानिकारक रेडिएशन से जितना खतरा मानवों को है उससे अधिक खतरा छोटे -बड़े जीव-जंतुओं, पशु-पक्षियों, पेड़-पौधों, हिमालयी प्रवासी पक्षियों और वन्य प्राणियों को भी है।आपको जानकर यह आश्चर्य होगा कि रेडिएशन के दुष्परिणाम स्वरूप विभिन्न प्रकार के जीव-जंतुओं व पक्षियों की प्रजातियां लुप्त हो चली हैं और भारत में अब पक्षियों की 42 प्रजातियां विलुप्त होने की कगार पर हैं। अध्ययन एवं शोधों में मधुमक्खियों के लिए भी रेडिएशन खतरनाक साबित हुआ है। इसके अलावा रेडिएशन का दुष्प्रभाव न केवल पक्षियों बल्कि फल,सब्जियों के साथ ही दूध पर भी पड़ता है। हमारा यही मकसद है बेजुबान जानवरों के लिए घर बनाये ,