नानी बाई रो मायरो की कथा प्रेरणादायी : अर्जुनराम महाराज

नानी बाई रो मायरो की कथा प्रेरणादायी : अर्जुनराम महाराज
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भीलवाड़ा  सिधेश्वर महादेव महिला मंडल की ओर से शनिवार  को 2 बजे से 5 बजे तक सिधेश्वर महादेव मंदिर गार्डन 1 सेक्टर आर सी व्यास कॉलोनी भीलवाड़ा में धार्मिक कथा नानी बाई रो मायरो का आयोजन किया गया।  कथा 1 अप्रेल से 4 अप्रेल तक। चलेगी।।

कथा सुनने के लिए बड़ी संख्या में श्रद्धालु पंडाल में पहुंचे। अर्जुन राम जी महाराज जोधपुर वालो ने कथा का शुभारंभ करते हुए कहा कि नानी बाई रो मायरो अटूट श्रद्धा पर आधारित प्रेरणादायी कथा है। कथा के माध्यम से भगवान श्रीकृष्ण का गुणगान किया जाता है। भगवान को यदि सच्चे मन से याद किया जाए तो वे अपने भक्तों की रक्षा करने स्वयं आते हैं। अर्जुन राम जी महाराज ने कथा का झांकियों के साथ विस्तार से वर्णन करते हुए कहा कि नानी बाई रो मायरो की शुरूआत नरसी भगत के जीवन से हुई। नरसी का जन्म गुजरात के जूनागढ़ में हुआ था। नरसी जन्म से ही गूंगे-बहरे थे। वो अपनी दादी के पास रहते थे। उनका एक भाई-भाभी भी थे। भाभी का स्वभाव कड़क था। एक संत की कृपा से नरसी की आवाज आयी तथा उनका बहरापन भी ठीक हो गया। नरसी के माता-पिता गांव की एक महामारी का शिकार हो गए। नरसी का विवाह हुआ । समय बीतने पर नरसी की लड़की नानीबाई का विवाह अंजार नगर में हुआ। इधर नरसी की भाभी ने उन्हें घर से निकाल दिया। नरसी श्रीकृष्ण के अटूट भक्त थे। वे उन्हीं की भक्ति में लग गए। भगवान शंकर की कृपा से उन्होंने ठाकुर जी के दर्शन किए। उसके बाद तो नरसी ने सांसारिक मोह त्याग दिया और संत बन गए। उधर नानीबाई ने पुत्री को जन्म दिया और पुत्री विवाह लायक हो गई किंतु नरसी को कोई खबर नहीं थी। लड़की के विवाह पर ननिहाल की तरफ से भात भरने की रस्म के चलते नरसी को सूचित किया गया। नरसी के पास देने को कुछ नहीं था। उसने भाई-बंधु से मदद की गुहार लगाई किंतु मदद तो दूर कोई भी चलने तक को तैयार नहीं हुआ। अंत में टूटी-फूटी बैलगाड़ी लेकर नरसी खुद ही लड़की के ससुराल के लिए निकल पड़े। कथा के बीच महाराज जी द्वारा गाए गए मधुर भजनों पर पंडाल में बैठे श्रद्धालु झूम उठे।

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